🇮🇳"सोनाखान के वीर"🇮🇳
----------------------------------------
आल्हा छंद-कमलेश कुमार वर्मा
सत्रह सौ पंचनबे सन मा,झूम उठिस बड़ सोनाखान।
रामराय घर जनम धरिन जी,हमर राज के बड़का शान।1।
मातु पिता मन खुशी मनावत,नारायण सिंह धर लिन नाम।
निडर साहसी बचपन ले वो,पूजय देवता बिहना शाम।2।
आघू वो हा जमींदार बन,बिकट करिस जी जनकल्यान।
पूरा कोशिश सदा करय वो,झन राहय कोनो परशान ।3।
जब अकाल अउ सूखा पड़ गिस,सन छप्पन के घटना जान।
तब जनता मा बँटवा दिस वो,अपन सबो कोठी के धान।4।
तभो बहुत झन भूख-प्यास ले, करत रिहिन हे चीख-पुकार।
लोगन संगे नारायण तब,गिस व्यापारी माखन- द्वार।5।
फेर सेठ के दिल नइ पिघलिस,नइ दिस वोहर धान उधार।
तब नारायण सिंह हा बोलिस,सबो लूट ले जव भंडार।6।
घटना पाछू माखन पहुँचिस, अंगरेज इलियट के तीर।
मोर लूट लिन कोठी साहब,मनखें अउ नारायण वीर।7।
फेर पकड़ के नारायण ला, अंगरेज मन भेजिन जेल।
तोड़ जेल ला वोहर निकलिस,करके बड़का सुग्घर खेल।8।
वापिस सोनाखान पहुँच के,कर लिस वो सेना तैयार।
अंगरेज मन संग युद्ध मा, सेना भारी करिस प्रहार।9।
चलयँ दनादन बाण धनुष ले, अउ होवय भाला ले वार।
कैप्टन स्मिथ के दल कोती जी, मच जय बिक्कट हाहाकार।10।
फेर अंत मा घमासान के, बंदी बनगे वीर महान।
चलिस मुकदमा झूठ-कपट ले, देशद्रोह ला कारण मान।11।
नारायण ला सजा सुना दिस, फाँसी देके लेबर जान।
रइपुर के जय स्तंभ चौक मा, दे दिस योद्धा हा बलिदान।12।
अपन प्रान ला देके वोहर,रख लिस बड़ माटी के मान।
जुग-जुग बर अम्मर होगे जी, लाँघन-भूखन के भगवान।13।
सन संतावन के ये घटना, छागे पूरा हिन्दुस्तान।
जनता मन हा जागिन भारी, आजादी बर दिन सब ध्यान।14।
नारायण सिंह के भुइँया ला, सरग सँही देवव सम्मान।
बार-बार मैं मूड़ नवावँव,पावन माटी सोनाखान।15।
रचना--
कमलेश कुमार वर्मा
व्याख्याता, भिम्भौरी
बेरला,बेमेतरा
मो.-9009110792
----------------------------------------
आल्हा छंद-कमलेश कुमार वर्मा
सत्रह सौ पंचनबे सन मा,झूम उठिस बड़ सोनाखान।
रामराय घर जनम धरिन जी,हमर राज के बड़का शान।1।
मातु पिता मन खुशी मनावत,नारायण सिंह धर लिन नाम।
निडर साहसी बचपन ले वो,पूजय देवता बिहना शाम।2।
आघू वो हा जमींदार बन,बिकट करिस जी जनकल्यान।
पूरा कोशिश सदा करय वो,झन राहय कोनो परशान ।3।
जब अकाल अउ सूखा पड़ गिस,सन छप्पन के घटना जान।
तब जनता मा बँटवा दिस वो,अपन सबो कोठी के धान।4।
तभो बहुत झन भूख-प्यास ले, करत रिहिन हे चीख-पुकार।
लोगन संगे नारायण तब,गिस व्यापारी माखन- द्वार।5।
फेर सेठ के दिल नइ पिघलिस,नइ दिस वोहर धान उधार।
तब नारायण सिंह हा बोलिस,सबो लूट ले जव भंडार।6।
घटना पाछू माखन पहुँचिस, अंगरेज इलियट के तीर।
मोर लूट लिन कोठी साहब,मनखें अउ नारायण वीर।7।
फेर पकड़ के नारायण ला, अंगरेज मन भेजिन जेल।
तोड़ जेल ला वोहर निकलिस,करके बड़का सुग्घर खेल।8।
वापिस सोनाखान पहुँच के,कर लिस वो सेना तैयार।
अंगरेज मन संग युद्ध मा, सेना भारी करिस प्रहार।9।
चलयँ दनादन बाण धनुष ले, अउ होवय भाला ले वार।
कैप्टन स्मिथ के दल कोती जी, मच जय बिक्कट हाहाकार।10।
फेर अंत मा घमासान के, बंदी बनगे वीर महान।
चलिस मुकदमा झूठ-कपट ले, देशद्रोह ला कारण मान।11।
नारायण ला सजा सुना दिस, फाँसी देके लेबर जान।
रइपुर के जय स्तंभ चौक मा, दे दिस योद्धा हा बलिदान।12।
अपन प्रान ला देके वोहर,रख लिस बड़ माटी के मान।
जुग-जुग बर अम्मर होगे जी, लाँघन-भूखन के भगवान।13।
सन संतावन के ये घटना, छागे पूरा हिन्दुस्तान।
जनता मन हा जागिन भारी, आजादी बर दिन सब ध्यान।14।
नारायण सिंह के भुइँया ला, सरग सँही देवव सम्मान।
बार-बार मैं मूड़ नवावँव,पावन माटी सोनाखान।15।
रचना--
कमलेश कुमार वर्मा
व्याख्याता, भिम्भौरी
बेरला,बेमेतरा
मो.-9009110792
बड़ सुग्घर आल्हा छंद म वीरनारायण जी के ऊपर रचना। बधाई.
ReplyDeleteबहुत सुग्घर आल्हा छंद सर जी बधाई हो
ReplyDeleteबहुत सुन्दर वाह!
ReplyDeleteगज्जब कमलेश जी।
ReplyDeleteवाह वर्मा जी
ReplyDeleteशहीद वीरनारायण सिंह जी के वीरता अउ त्याग के सुग्घर बखान
ReplyDelete