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Friday, April 17, 2020

आल्हा छंद - श्लेष चन्द्राकर

आल्हा छंद - श्लेष चन्द्राकर
विषय - रानी दुर्गावती

रानी दुर्गावती असन गा, रिहिस देश के बेटी एक।
अपन राज बर जेहा सुग्घर, करिन हवय जी काम अनेक।।

जे कालिंजर के राजा के, एक रिहिन हे गा संतान।
आघू जाके जेन बनिस हे, रानी दुर्गावती महान।।

जनमिस हे जे आठे के दिन, पड़िस हवय तब दुर्गा नाम।
अपन अलग पहिचान बनाइन, सुग्घर-सुग्घर करके काम।।

रिहिस साहसी बचपन ले जी, बोलय ओला गुण के खान।
राज महोबा के बेटी हा, गजब चलावय तीर कमान।।

धरे रहय बंदूक हाथ मा, चितवा के ओ करे शिकार।
अइसे ओ तलवार घुमावय, क्षण मा देतिस बैरी मार।।

बढ़े बाढ़हिस दुर्गा हा तब, ददा करिस हे उँखर विवाह।
राज गोंड़वाना के राजा, जीवन संगी दलपत शाह।।

सरग सिधारिन उनकर पति तब, दुख के टूटिस हवय पहाड़।
हँसी-खुशी सब गायब होगे, जिनगी होगे सुक्खा झाड़।।

राजपाट के रानी दुर्गा, थामिस हावय तहाँ कमान।
घात बढाइस आघू जाके, राज गोंड़वाना के शान।।

अबला नारी जान करिस हे, अउ राजा मन जब परसान।
मजा चखाये बर उँन मन ला, रानी दुर्गा लिस हे ठान।।

अकबर भेजिस आसफ खाँ ला, हड़पे बर रानी के राज।
बैरी ऊपर रणचंडी हा, टूट पड़िस हे बनके गाज।।

पहिली लड़ई मा आसफ के, सेना गिस हे भइया हार।
जघा-जघा अब्बड़ होइस हे, रानी दुर्गा के जयकार।।

घोड़ा मा बइठे रानी हा, भाँजय बड़ सुग्घर तलवार।
बैरी मुगलन मन के भइया, घात करय गा उन संहार।।

एक बार मा मुँड़ दस-दस के, खड़ग चला उन देवय काट।
कायर मुगलन सैनिक मन के, लाश ह पहुँचय मुर्दा घाट।।

धूल चटाइन मुगलन मन ला, उँखर दिखाइस जी औकात।
रानी दुर्गा के सेना ला, मिलिस जीत के तब सौगात।।

हारिस ता आसफ हा चिढ़गे, बदला लेबर आइस फेर।
दुर्गा के कमती सेना ला, ओकर सेना लिस हे घेर।।

पुरुष वेश धरके रानी हा, युद्ध लड़ेबर लिस हे ठान।
हार कभू नइ मानव सोचिस, भले निकल जाए गा प्रान।।

आनबान के खातिर भिड़गे, धरके भाला अउ तलवार।
दुर्गा के सेना मुगलन के, मारिस सैनिक तीन हजार।।

चालबाज मुगलन मन हा जी, अपन दिखादिस हे औकात।
दुगुना तिगुना उनकर सेना, घात मचाइस हे उत्पात।

लुका-लुका के कायर मन हा, रिहिस चलावत भाला तीर।
लड़त-लड़त रानी दुर्गा के, घायल होगे अबड़ शरीर।।

बैरी मनके हाथों मरना, रानी समझिस हे अपमान।
अपन घेंच मा चला कटारी, उन माटी बर दे दिस प्रान।।

छंदकार - श्लेष चन्द्राकर,
पता - खैराबाड़ा, गुड़रुपारा, वार्ड नं. 27,
महासमुंद (छत्तीसगढ़)

33 comments:

  1. छंद खजाना मा जघा देये बर हार्दिक आभार गुरुदेव

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    1. वाहह बहुत सुंदर सृजन

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    2. बेहतरीन सर बहुत बधाई

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    3. बहुत सुंदर।रानी दुर्गावती के दे देशप्रेम और शौर्य का ज़िंदा दस्तावेज़ है आपको बधाई इस वृतांत को रोचक ढंग से प्रस्तुत करने की खातिर।

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    4. जी, हार्दिक आभार आपका

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  2. बहुँते सुन्दर सृजन

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  3. बहुत सुग्घर सर रचना सर जी। बधाई हो

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    1. हार्दिक आभार आपका सर

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  4. बहुत सुन्दर रचना वाह्ह्ह्ह्ह् गजब

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  5. वाह्ह्ह् सुग्घर सिरजन

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  6. सुग्घर गाथा! सुग्घर सृजन!

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  7. बहुत जबरदस्त हे चंद्राकर जी
    👌👌👌👏👏👍👍🌹🌹
    बधाई आप ला

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  8. बहुत बहुत बधाई 👌🏼👌🏼🌷🌷🌷

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  9. लाजवाब क़लमकारी वाह वाह

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  10. रानी दुर्गावती के वीरता के सुग्घर वर्णन चन्द्राकर जी

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  11. सुग्घर सृजन।हार्दिक बधाई

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  12. लाजवाब भैया, कमाल

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  13. बहुत बढ़िया सृजन महामने

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  14. बहुत बढ़िया सृजन महामने

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