आल्हा छंद :- जगदीश "हीरा" साहू
रामायण सार
पद वंदन कर वाल्मिकी के, तुलसी चरण नवाके शीश।
कथा सुनावत हँव रघुबर के, मन मा ध्यान लगा जगदीश।।
शिव के कथा सुनावँव पहिली,फिर रावण के अत्याचार।
धरम करम पाना कस डोलय, हाहाकार मचे संसार।।
राम जनम लेके जब आये, गुरु वशिष्ठ देवय सब ज्ञान।
राम लखन ला माँगे आवय, विश्वामित्र लगाके ध्यान।।
सँग ले जावय राम लखन ला, देख ताड़का बड़ गुस्साय।
मार ताड़का अउर सुबाहू, बन में धरम धजा लहराय।।
तार अहिल्या गौतम नारी, गुरू संग मिथिलापुर आय।
धनुष टोर शिव जी के रामा, माँ सीता सँग ब्याह रचाय।।
कैकेयी के वर ला सुनके, लुटगे अवधपुरी के आस।
वचन निभाये राम संग मा, सिया लखन जावय बनवास।।
बड़भागी केंवट हर भइया, पार उतारय पाँव पखार।
भरत राम के मिलन देख के,पंचवटी मानय उपकार ।।
सूर्पनखा के नाक काट के, खर दूषण ला मार गिराय।
मिरगा बन मारीच पहुँच गे, राम लखन पाछू सँग जाय। ।।
ततके बेरा रावण राजा,भिक्षा मांगे कुटिया आय।
छलिया रावण सीता ला हर, पुष्पक धर लंका ले जाय।।
बन मा भटके राम लखन बड़, तारे शबरी के घर आय।
करय राम सुग्रीव मितानी, खोजे सीता हनुमत जाय।।
सिया खबर लाके वो देवय, सागर बाँधे सब मिल जाय।
करे चढ़ाई लंका ऊपर, मार काट बोलय चिल्लाय ।।
मेघनाद के शक्ति बाण ले,लछिमन मुरछित सब घबराय।
जान बचाये खातिर हनुमत,पर्वत ला धर के ले आय ।।
मेघनाद अउ कुम्भकरण के,मरे बाद रावण रण आय।
रावण ला मारय प्रभु रण मा, आय अवधपुर सब हरसाय।।
राज तिलक तब करे गुरूजी, राम राज में सब सुख पाय।
कथा सुनावँव मैं रघुबर के, राम चरण मा माथ नवाय।।
छंदकार :- जगदीश "हीरा" साहू
कड़ार (भाटापारा), छत्तीसगढ़
रामायण सार
पद वंदन कर वाल्मिकी के, तुलसी चरण नवाके शीश।
कथा सुनावत हँव रघुबर के, मन मा ध्यान लगा जगदीश।।
शिव के कथा सुनावँव पहिली,फिर रावण के अत्याचार।
धरम करम पाना कस डोलय, हाहाकार मचे संसार।।
राम जनम लेके जब आये, गुरु वशिष्ठ देवय सब ज्ञान।
राम लखन ला माँगे आवय, विश्वामित्र लगाके ध्यान।।
सँग ले जावय राम लखन ला, देख ताड़का बड़ गुस्साय।
मार ताड़का अउर सुबाहू, बन में धरम धजा लहराय।।
तार अहिल्या गौतम नारी, गुरू संग मिथिलापुर आय।
धनुष टोर शिव जी के रामा, माँ सीता सँग ब्याह रचाय।।
कैकेयी के वर ला सुनके, लुटगे अवधपुरी के आस।
वचन निभाये राम संग मा, सिया लखन जावय बनवास।।
बड़भागी केंवट हर भइया, पार उतारय पाँव पखार।
भरत राम के मिलन देख के,पंचवटी मानय उपकार ।।
सूर्पनखा के नाक काट के, खर दूषण ला मार गिराय।
मिरगा बन मारीच पहुँच गे, राम लखन पाछू सँग जाय। ।।
ततके बेरा रावण राजा,भिक्षा मांगे कुटिया आय।
छलिया रावण सीता ला हर, पुष्पक धर लंका ले जाय।।
बन मा भटके राम लखन बड़, तारे शबरी के घर आय।
करय राम सुग्रीव मितानी, खोजे सीता हनुमत जाय।।
सिया खबर लाके वो देवय, सागर बाँधे सब मिल जाय।
करे चढ़ाई लंका ऊपर, मार काट बोलय चिल्लाय ।।
मेघनाद के शक्ति बाण ले,लछिमन मुरछित सब घबराय।
जान बचाये खातिर हनुमत,पर्वत ला धर के ले आय ।।
मेघनाद अउ कुम्भकरण के,मरे बाद रावण रण आय।
रावण ला मारय प्रभु रण मा, आय अवधपुर सब हरसाय।।
राज तिलक तब करे गुरूजी, राम राज में सब सुख पाय।
कथा सुनावँव मैं रघुबर के, राम चरण मा माथ नवाय।।
छंदकार :- जगदीश "हीरा" साहू
कड़ार (भाटापारा), छत्तीसगढ़
वाह्ह वाह वाह्ह हीरा भइया जी बहुते सुग्घर रामायण के आल्हा छंद म शानदार वर्णन भइया गो लाजावाब हार्दिक बधाई भइया 🙏🙏
ReplyDeleteछंद खजाना मा जगा दिए बर धन्यवाद भैया जी,
ReplyDeleteगुरुदेव जी ला सादर प्रणाम
बड़ सुग्घर सृजन आदरणीय
ReplyDeleteरामायण सारांश, आल्हा छंद मा सुग्घर सिरजन
ReplyDeleteलाजवाब सृजन आदरेय बधाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर सर जी बधाई हो
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