Followers

Tuesday, April 28, 2020

रोला छंद - बोधन राम निषादराज

रोला छंद - बोधन राम निषादराज

(1)बसंत बहार:-
देखौ छाय  बहार, आय  हे  गावत  गाना।
मन होगे खुश आज,देख के परसा पाना।।
फूले परसा  लाल, कोयली  बोलय  बानी।
गुरतुर लागे बोल,करौं का मँय अब रानी।।

(2) पानी:-
पानी पीयव छान,छान लव  बढ़िया दाई।
सुघ्घर घइला धोय,होय झन ओ करलाई।।
इही बात ला सोच,करौ झन नादानी ला।
जिनगी के आधार,देख लौ जिनगानी ला।।

(3) आगी:
आगी ला तँय बार, जोर दे  लकड़ी  छेना।
साग भात अउ दार,चाय ला बढ़िया देना।।
आगी सबो चुरोय,जेन ला  तँय ह  चुरोबे।
चुर पक के तइयार,खाइ के बढ़िया सोबे।।

(4) बेटी:
बेटी  फूल  गुलाब, बाग के  सुघ्घर  लाली।
देखौ खुशियाँ छाय,बनौ जी ओखर माली।।
घर के  वो  सिंगार, ददा के मन मा बसथे।
दाई  देय   दुलार, मया  मा  बेटी  हँसथे।।

(5) लछमी दाई:-
लछमी दाई तोर,पाँव ला परथौ मँय हा।
दे मोला आशीष,तार दे मोला  तँय हा।।
दीन हीन मँय तोर,देखले  बेटा  आवव।
रहिबे कुरिया मोर,आरती तोरे  गावव।।

(6) माटी :-
धरती दाई मोर,जनम ला मँय हा पावँव।
तोला माथ  नवाय, बंदना  रोजे  गावँव।।
अन पानी सिरजाय,चलौ जी महिमा गाबो।
गंगा जमना धार,मया के  फूल  चढ़ाबो।।   

(7) हाट बजार :-
मोर  गाँव  के  हाट, लगे  हे  भारी  रेला।
देखव मनखे आय,भीड़ जस लागै मेला।।
रंग - रंग के साग,आय  हे  भाजी  पाला।
मुर्रा लाडू  सेव, देख ले  गुप-चुप  वाला।।

(8) विरहा:-
करिया बादर आय,मोर मन मा छावत हे।
रही रही के सोर,पिया जी  के  लावत हे।।
नाचय बने  मँजूर,देख  लव ताना  मारय।
सुरता मोला आय,कोन अब जिनगी तारय।।

(9)ए तन माटी
ए तन माटी जान,मोह ला झन कर जादा।
रहिले तँय हा साथ,राख ले जिनगी सादा।।
कोन  जनी ए जीव, उड़ा जाही कब भाई।
करले  बने  उपाय,राम  जी  रही  सहाई।।

(10)सुरता आथे
सुरता आथे तोर,भुलावँव नइ मँय तोला ।
घड़ी घड़ी मन रोय,सोच हा आथे मोला।।
चैन घलो नइ आय,करौ का कान्हा मँयहा।
अब्बड़ धरथौ धीर,तीर आ जल्दी तँयहा।।

छंदकार - बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा, जिला-कबीरधाम
(छत्तीसगढ़)

9 comments: