आल्हा छंद-- सुधा शर्मा
राम कहाँ तँय लुकाय भगवन, होवत हाबे गजब अबेर।
बाठ निहारत आँखी पथरा,माते हावे जग अंधेर।।
धनुष बाण धरके अब आवौ,भक्तन देख करे गोहार।
मँझ लहरा मा डोलत नइया,आके प्रभु जी हमें उबार।।
राम भरोसा जिनगी हावे,उही लगाही नइया पार।
संकट लउहा गा टर जाही,राम हवे सबके आधार।।
नहीं भीत राखव अंतर मा,भीतर हावे अंतर याम।
भक्ति भाव ले जागे संगी,भज ले सदा राम के नाम।
मीठ मया के बोली बोलव,होवव झन माया मा चूर।
मया भाव ला मानय सब झन,सुख देवय मन ला भरपूर।।
काबर कोनो संग अरझथस,जिनगी चारे दिन के ताय।
दपलक झपकत जिनगी बुड़ही,धार नदी के लहुत न आय।
पारा परोस में झन जाहू,कतको मयारू हो मितान।
सावचेत राहव सब संगी,घर मा रहव बचावव प्राण।।
जात धरम के भेद ल छोड़व,मानुष आगू बन इंसान।
इही भेद सब जड़ फसाद के,बाँट डरिन गा निज भगवान।।
नोहर होगे बाहिर जवई,घर खुसरा सबला ग बनाय।
बिन बलाय पहुना घर आथे,जीव ले बिगर नइ तो जाय।
सुधा शर्मा
राजिम छत्तीसगढ़
राम कहाँ तँय लुकाय भगवन, होवत हाबे गजब अबेर।
बाठ निहारत आँखी पथरा,माते हावे जग अंधेर।।
धनुष बाण धरके अब आवौ,भक्तन देख करे गोहार।
मँझ लहरा मा डोलत नइया,आके प्रभु जी हमें उबार।।
राम भरोसा जिनगी हावे,उही लगाही नइया पार।
संकट लउहा गा टर जाही,राम हवे सबके आधार।।
नहीं भीत राखव अंतर मा,भीतर हावे अंतर याम।
भक्ति भाव ले जागे संगी,भज ले सदा राम के नाम।
मीठ मया के बोली बोलव,होवव झन माया मा चूर।
मया भाव ला मानय सब झन,सुख देवय मन ला भरपूर।।
काबर कोनो संग अरझथस,जिनगी चारे दिन के ताय।
दपलक झपकत जिनगी बुड़ही,धार नदी के लहुत न आय।
पारा परोस में झन जाहू,कतको मयारू हो मितान।
सावचेत राहव सब संगी,घर मा रहव बचावव प्राण।।
जात धरम के भेद ल छोड़व,मानुष आगू बन इंसान।
इही भेद सब जड़ फसाद के,बाँट डरिन गा निज भगवान।।
नोहर होगे बाहिर जवई,घर खुसरा सबला ग बनाय।
बिन बलाय पहुना घर आथे,जीव ले बिगर नइ तो जाय।
सुधा शर्मा
राजिम छत्तीसगढ़
वाह वाह बहुत सुग्घर छंद, बहुत बधाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर दीदी जी बधाई हो
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