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Saturday, April 11, 2020

आल्हा छंद:- महेंद्र कुमार बघेल

आल्हा छंद:- महेंद्र कुमार बघेल

(करव हियाव)

दुनिया के मौसम ला देखत, अब प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाव।
हल्का अउ सादा खाना ला, निसदिन भोजन मा अपनाव।।

खानपान के चेत करे बर , जेकर मन मा आही बोध।
रोग रई ला खुद भगाय बर, तब तन हा करही प्रतिरोध।।

धरना परही नेक नियत ला, गलत सोच नाली मा फेंक।
डगमग झन होवय अंतस हर,बाॅंध छोर के पहिली छेंक।।

रगड़ रगड़ के धोवत माॅंजत, रोग रई ला तुरत भगाव।
बासी के सुरता ला छोड़व, गरम गरम ताजा बस खाव।

वन पहाड़ नदिया नरवा ला, मिलजुल करना परही साफ।
वरना पर्यावरण घलव अब, बिल्कुल नइ कर पाही माफ।।

वजन बढ़े झन घर मा बइठे, करना परही सोच विचार।
मोल मेहनत के बड़ होथे,जिनगी मा चल तहूॅं उतार।।

नख मुड़ ले अपने काया के ,सोवत जागत करव हियाव।
खई खजानी बाहिर वाले, कभू भूल के अब झन खाव।।

ताजा कहिके रोज खात हें, फेर साग मा दवा छिताय।
जान बूझ के परबुधिया कस,पइसा देके रोग बिसाय।।

येती ओती देख ताक के ,साफ सफाई ला पहिचान।
जब उज्जर रहि घर दुवार हर ,तब कर पाबो गरब गुमान।।

छंदकार-महेंद्र कुमार बघेल डोंगरगांव जिला-राजनांदगांव

8 comments:

  1. बहुत सुग्घर सर जी बधाई हो

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  2. वाह वाह बहुत सुग्घर रचना मनखे ल सावचेत करत
    बधाई सर

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  3. बधाई हो भाई💐💐👍

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  4. सुग्घर सिरजन बघेल जी।बधाई

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  5. सुग्घर सिरजन बघेल जी।बधाई

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  6. सुग्घर सिरजन बघेल जी।बधाई

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  7. जोरदार गुरुजी

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  8. जोरदार गुरुजी

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