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Sunday, May 29, 2022

रेलगाड़ी(रूपमाला)

 रेलगाड़ी(रूपमाला)


रेलगाड़ी    रेलगाड़ी   रेलगाड़ी   रेल।

नित सवारी के लहू पीये समझ के तेल।

टेम  म  आये  नही न टेम मा पहुँचाय।

दू मिनट लाँघे डहर घंटो खड़े रहि जाय।


कोट करिया ओढ़ के कइथे टिकिट देखाव।

वो सवारी के भला कइसे ग देखय घाव।

हे ठसाठस भीड़ तभ्भो ले चढ़े सब पेल।

रेलगाड़ी रेलगाड़ी रेलगाड़ी रेल---------।


रेल के रद्दा ल जोहव रोज माछी मार।

अउ कहूँ जब लेट होबे होय तब वो पार।

माल गाड़ी मार सीटी सँग हवा बतियाय।

नाम के गाड़ी सवारी रोज के रोवाय।


झन करव एखर भरोसा थाम बूता काम।

का ठिकाना रेल के होही सुबे ले शाम।

जोर जे जग लेगथे जादा जनावै जेल।

रेलगाड़ी रेलगाड़ी रेलगाड़ी रेल-------।


कोहरा का घाम पानी होय सब दिन लेट।

अउ नवा ला काय करबों काय मेट्रो जेट।

रेलवे तरसाय तेमा चोर अउ चंडाल।

हाल हे बेहाल भारी काल मा अउ काल।


यातरी के यातना ला देखही अब कोन।

काखरो बेरा गँवाये काखरो धन सोन।

कब समे मा दौड़ही आवय समझ ना खेल।

रेलगाड़ी रेलगाड़ी रेलगाड़ी रेल-----------।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को(कोरबा)

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