विश्व चाय दिवस म,,
सरसी छंद(गीत)-जीतेंन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
चाय
लौंग लायची दूध डार के, बने बना दे चाय।
अदरक तुलसी पात मिलादे, पियत मजा आ जाय।
चले चाय हा सरी जगत मा, का बिहना का शाम।
छोटे बड़े सबे झन रटथे, चाय चाय नित नाम।
सुस्ती भागे चाय पिये ले, फुर्ती तुरते आय।
अदरक तुलसी पात मिलादे, पियत मजा आ जाय।
साहब बाबू सगा बबा के, चाय बढ़ाये मान।
चाय पुछे के हवै जमाना, चाय लाय मुस्कान।
रथे चाय के कतको आदी, नइ बिन चाय हिताय।
अदरक तुलसी पात मिलादे, पियत मजा आ जाय।
छठ्ठी बरही मँगनी झँगनी, बिना चाय नइ होय।
चले चाय के सँग मा चरचा, मीत मया मन बोय।
घर दुवार का होटल ढाबा, सबके मान बढ़ाय।
अदरक तुलसी पात मिलादे, पियत मजा आ जाय।
चाहा पानी बर दे खर्चा, कहै कई घुसखोर।
करे चापलूसी कतको मन, चाहा कहिके लोर।
संझा बिहना चाय पियइया, चाय चाय चिल्लाय।
अदरक तुलसी पात मिलादे, पियत मजा आ जाय।
जीतेंन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको,कोरबा
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