घाम- दोहा चौपाई
दोहा छंद ...
नवटप्पा आगे हवय, बनके रहव सुजान।
लू के झोंका ले बचव, खुद के राखव ध्यान।।
चौपाई छंद ...
नवटप्पा आये हे जब ले। चैन गँवागे हावय तब ले।।
का गलती के सजा मिलत हे। तावा जइसे धरा तिपत हे।।
गजब कहर लू हा बरपावत। सुरुज घलो आगी बरसावत।।
बोहावत दिन रात पछीना। अबड़ पड़त हें पानी पीना।।
हाथ अपन पंखा जोड़त हे। कूलर तक हा दम तोड़त हे।।
चिटको कन नइ राहत पावत। लोगन मन हावँय उसनावत।।
कुछु खाये के मन नइ लागे। भोजन ले हे स्वाद रिसागे।।
कमती खाना खावत हें सब। गरमी ले डर्रावत हें सब।।
आतप के तिरपाल तने हे। घर हा कारावास बने हे।।
गरमी मा तड़पत हें लोगन। कृपा करव हे! संकटमोचन।।
दोहा छंद ...
गरमी के मारे इहाँ, लोगन हें हलकान।
मानसून ला भेज के, दव राहत भगवान।।
छंदकार:- श्लेष चन्द्राकर,
महासमुंद (छत्तीसगढ़)
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