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Friday, October 14, 2022

विधान-सरसी छंद

 

विधान-सरसी छंद

*सरसी छन्द (१६-११)* 

डाँड़ (पद) - २, ,चरन - ४

तुकांत के नियम - दू-दू डाँड़ के आखिर मा 


माने सम-सम चरन मा,

हर डाँड़ मा कुल मात्रा – २७ 

विषम चरन मा मात्रा  – १६,

सम चरण मा मात्रा - ११

यति / बाधा – १६, ११ मात्रा म

खास- सम चरण  के आखिर मा गुरु, लघु (२,१)

उदाहरण - *भोले भगवान  (सरसी छन्द)* 

जब सागर-मंथन मा निकरिस, अपन करिस बिखपान।

बिपदा ले  दुनिया - ल बचाइस , जै  भोले भगवान ।।

बिख  के आगी तपिस  गरा - मा, जइसे के बैसाख ।

मरघट-मा जा के सिव-भोला , बदन चुपर लिस राख ।। 


गंगा जी  ला जटा  उतारिस , अँधमधाय  के  नाथ  । 

मन नइ माढ़िस तब चन्दा ला , अपन बसाइस माथ ।।

तभो  चैन  नइ  पाइस  भोला , धधके गर के आग। 

अपन नरी - मा हार बना के , पहिरिस बिखहर नाग ।। 

सीतलता खोजत - खोजत मा , जब पहुँचिस कैलास 

पारबती के  संग  उहाँ  सिव , अपन बनालिस वास।।

 *अरुण कुमार निगम*

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