विधान-सरसी छंद
*सरसी छन्द (१६-११)*
डाँड़ (पद) - २, ,चरन - ४
तुकांत के नियम - दू-दू डाँड़ के आखिर मा
माने सम-सम चरन मा,
हर डाँड़ मा कुल मात्रा – २७
विषम चरन मा मात्रा – १६,
सम चरण मा मात्रा - ११
यति / बाधा – १६, ११ मात्रा म
खास- सम चरण के आखिर मा गुरु, लघु (२,१)
उदाहरण - *भोले भगवान (सरसी छन्द)*
जब सागर-मंथन मा निकरिस, अपन करिस बिखपान।
बिपदा ले दुनिया - ल बचाइस , जै भोले भगवान ।।
बिख के आगी तपिस गरा - मा, जइसे के बैसाख ।
मरघट-मा जा के सिव-भोला , बदन चुपर लिस राख ।।
गंगा जी ला जटा उतारिस , अँधमधाय के नाथ ।
मन नइ माढ़िस तब चन्दा ला , अपन बसाइस माथ ।।
तभो चैन नइ पाइस भोला , धधके गर के आग।
अपन नरी - मा हार बना के , पहिरिस बिखहर नाग ।।
सीतलता खोजत - खोजत मा , जब पहुँचिस कैलास
पारबती के संग उहाँ सिव , अपन बनालिस वास।।
*अरुण कुमार निगम*
No comments:
Post a Comment