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Monday, October 10, 2022

कज्जल छंद - जीवन दरपन*

 *कज्जल छंद - जीवन दरपन*


जिनगी दुख के खान आय,

सुख तो दिन के चार पाय।

दुनिया मा तँय का कमाय,

मोर-मोर कह तँय भुलाय।।


जप  ले  मानुष  राम नाम,

बन जाही सब  तोर काम।

राम चरन सुख दुःख धाम,

चेत  लगावव  सिया राम।।


जय रघुनन्दन जय तुम्हार,

किरपा   करके  दौ  दुलार।

संझा  बिहना  रोज  हार,

तोला  चढ़ावँव सरकार।।


पापी  मनुवा   कर   उपाय,

माटी  चोला  ह तर   जाय।

नइ तो  जिनगी  फेर  आय,

का तँय  खोए  काय पाय।।


रचनाकार:-

बोधन राम निषादराज"विनायक"

सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)

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