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Monday, October 10, 2022

दोहा गीत सुनव रावण के गोठ ला।

 दोहा गीत

सुनव  रावण के गोठ ला। 


ये कलयुग ला देखके, मैं झुक गे हंव राम। 


नव दिन के नवरात मा, लोगन नाचें गाँय। 

येती ओती घूमके, अब्बड़ खुशी मनाँय। 

हारत हें सब पाप ले, विजया दशमी नाम।। 

ये कलयुग ला देखके, मै झुक गे हँव राम।। 


दारू हा पानी बने, अउ कुकरा हा साग। 

कुकुर सही सूंघत चले, गदहा जैसे राग। 

 जिभिया मा अंगूर रस, देखावत हें आम। 

ये कलयुग ला देखके, मै झुक गे हँव राम। 


डिस्को डीजे देखके, रोवत हे संगीत। 

दया धरम कोंदा बने, फूहड़ता के जीत।। 

करणी ला करिया करें, धरके उज्जर चाम। 

ये कलयुग ला देखके, मैं झुक गे हँव राम।।


सिसकत हें मैंना सुआ, नोचत हावय चील। 

तन कपड़ा के मान ला, फैशन डारिस लील। 

लाज शरम के कद घटे, चिरहा के हे दाम। 

ये कलयुग ला देखके, मै झुक गे हँव राम।।


रुख राई मा छाय हे, अमर बेल के नार। 

पथरा मा लदकाय हें, गाँव गली अउ खार। 

चतुरा के घर द्वार मा, सिधवा बने गुलाम। 

ये कलयुग ला देखके, मैं झुक गे हँव राम।।


रत्ती पत्ती बोलथे, चुप हें चाँदी सोन। 

 झूठ कछेरी मा पले, सच ला लाही कोन। 

हीरा मोती बैठगे, मिले काँच ला काम। 

ये कलयुग ला देखके, मैं झुक गे हँव राम। 


आशा देशमुख

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