विधान--*रूपमाला छन्द (मदन छन्द)* १४-१०
डाँड़ (पद) - ४,
चरन - ८
*तुकांत के नियम -*
दू-दू डाँड़ के आखिर मा माने सम-सम चरन मा, बड़कू,नान्हें (२,१)
*मात्रा-*
हर डाँड़ मा कुल मातरा – २४ , बिसम चरन मा मातरा – १४, सम चरन मा मातरा- १०
*यति / बाधा –*
१४, १० मातरा मा
*खास-*
एला मदन छन्द घलो कहिथें
*उदाहरण*
*नाम रहि जाही (रूपमाला छन्द)*
देह जाही रूप जाही , छोड़ जाही चाम
जोर ले कतको इहाँ धन, कुछु न आही काम
धरम करले करम करले , तँय कमा ले साख
नाम रहि जाही जगत-मा , देह होही राख |
साँस के झन कर भरोसा , छोड़ जाही साथ
तोर जिनगी काठ-पुतरी , डोरि ओखर हाथ
करम डोंगा ला सजा के , उतर जा भव-पार
मन रमाले हरि-भजन-मा , बस इही हे सार |
*गुरुदेव अरुण कुमार निगम*
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*आज एक नवा छन्द*
*रूपमाला छन्द* (मदन छन्द) 14-10
डाँड़ (पद) - 4, ,चरण - 8
तुकांत के नियम - दू-दू डाँड़ के आखिर मा माने सम-सम चरण मा, गुरु-लघु (2,1)
हर डाँड़ मा कुल मात्रा – २४ , बिसम चरण मा मात्रा – १४, सम चरण मा मात्रा- १०
यति / बाधा – १४, १० मात्रा मा
खास- एला मदन छन्द घला कहिथ
*मात्राबाँट*
2122 2122, 2122 21
लय बर अइसे गाके अभ्यास करव -
रूपमाला, रूपमाला, रूपमाला, रूप
या
लाललाला, लाललाला, लाललाला, लाल
*ध्यान रहे - तीसरा, दसवाँ, सत्रहवाँ अउ चौबीसवाँ मात्रा अनिवार्य रूप ले लघु होना चाही।बाकी जघा एक गुरु के बदला दू लघु घलो हो सकथे*
*उदाहरण*
देह जाही रूप जाही , छोड़ जाही चाम ।
जोर ले कतको इहाँ धन, कुछु न आही काम ।
कर धरम तँय कर करम तँय, अउ कमा ले साख ।
नाम रहि जाही जगत-मा , देह होही राख ।।
* कुमार निगम जी *
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