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Friday, October 14, 2022

विधान--*रूपमाला छन्द (मदन छन्द)* १४-१०

विधान--*रूपमाला छन्द  (मदन छन्द)* १४-१०


डाँड़ (पद) - ४,

चरन - ८ 


*तुकांत के नियम -*

 दू-दू डाँड़ के आखिर मा माने सम-सम चरन मा, बड़कू,नान्हें (२,१)


*मात्रा-*

हर डाँड़ मा कुल मातरा – २४ , बिसम चरन मा मातरा – १४, सम चरन मा मातरा- १० 


*यति / बाधा –*

१४, १० मातरा मा 


*खास-*

 एला मदन छन्द घलो कहिथें    


*उदाहरण*


*नाम  रहि जाही  (रूपमाला छन्द)* 



देह   जाही   रूप  जाही ,  छोड़  जाही  चाम 

जोर ले कतको इहाँ धन, कुछु न आही काम 

धरम करले करम करले , तँय कमा ले साख 

नाम  रहि  जाही  जगत-मा , देह  होही राख  | 



साँस के  झन कर भरोसा , छोड़ जाही साथ 

तोर  जिनगी काठ-पुतरी , डोरि ओखर हाथ

करम डोंगा ला सजा के , उतर जा भव-पार 

मन रमाले हरि-भजन-मा , बस इही हे सार |


*गुरुदेव अरुण कुमार निगम*


💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐


*आज एक नवा छन्द*


*रूपमाला छन्द*  (मदन छन्द) 14-10


डाँड़ (पद) - 4, ,चरण - 8


तुकांत के नियम - दू-दू डाँड़ के आखिर मा माने सम-सम चरण मा, गुरु-लघु (2,1)


हर डाँड़ मा कुल मात्रा – २४ , बिसम चरण मा मात्रा – १४, सम चरण मा मात्रा- १० 


यति / बाधा – १४, १० मात्रा मा 


खास- एला मदन छन्द घला कहिथ


*मात्राबाँट*


2122 2122, 2122 21


लय बर अइसे गाके अभ्यास करव -


रूपमाला, रूपमाला, रूपमाला, रूप


या 


लाललाला, लाललाला, लाललाला, लाल


*ध्यान रहे - तीसरा, दसवाँ, सत्रहवाँ अउ चौबीसवाँ मात्रा अनिवार्य रूप ले लघु होना चाही।बाकी जघा एक गुरु के बदला दू लघु घलो हो सकथे*


*उदाहरण*


देह जाही रूप जाही , छोड़ जाही  चाम ।

जोर ले कतको इहाँ धन, कुछु न आही काम ।

कर धरम तँय कर करम तँय, अउ कमा ले साख ।

नाम  रहि  जाही  जगत-मा , देह  होही राख ।।


* कुमार निगम जी *

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