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Monday, October 10, 2022

बोरे बासी, खेंड़हा* (कुण्डलिया छंद)

 *बोरे बासी, खेंड़हा*

(कुण्डलिया छंद)


खालौ अम्मट मा जरी, संग चना के साग।

बोरे बासी गोंदली, मिले हवै बड़ भाग।

मिले हवै बड़ भाग, पेट ला ठंडा करही।

खीरा फाँकी चाब, मूँड़ के ताव उतरही।

हमर इही जुड़वास, झाँझ बर दवा बनालौ।

बड़े बिहनिया रोज, नहाँ धोके सब खालौ।1


चिक्कट चिक्कट खेंड़हा, चुहक मही के झोर।

बासी ला भरपेट खा,जीव जुड़ाथे मोर।

जीव जुड़ाथे मोर, जरी सस्ता मिल जाथे।

मनपसंद हे स्वाद, गुदा हा अबड़ मिठाथे।

सेहत बर वरदान, विटामिन मिलथे बिक्कट।

बखरी के उपजाय, खेंड़हा चिक्कट चिक्कट।


चोवा राम 'बादल '

हथबंद, छत्तीसगढ़

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