Followers

Monday, October 10, 2022

शरद पुन्नी विशेष छंदबद्ध कविता



शरद पुन्नी विशेष छंदबद्ध कविता

सूरज कस उजियार कर, हवस कहूँ यदि एक।
चंदा बन चमकत रहा, तारा बीच अनेक।।।।।।

पुन्नी के चंदा(सार चंदा)

सज धज के पुन्नी रतिहा मा, नाँचत हावै चंदा।
अँधियारी रतिहा ला छपछप,काँचत हावै चंदा।

बरै चँदैनी सँग में रिगबिग, सबके मन ला भाये।
घटे बढ़े नित पाख पाख मा,एक्कम दूज कहाये।
कभू चौथ के कभू ईद के, बनके जिया लुभाये।
शरद पाख सज सोला कला म,अमृत बूंद बरसाये।
सबके मन में दया मया ला,बाँचत हावै चंदा--।
सज धज के पुन्नी रतिहा मा,नाँचत हावै चंदा।

बिन चंदा के हवै अधूरा,लइका मन के लोरी।
चकवा रटन लगावत हावै,चंदा जान चकोरी।
कोनो मया म करे ठिठोली,चाँद म महल बनाहूँ।
कहे पिया ला कतको झन मन,चाँद तोड़ के लाहूँ।
बिरह म रोवत बिरही ला अउ,टाँचत हावै  चंदा--।
सज धज के पुन्नी रतिहा मा, नाँचत हावै चंदा।

सबे तीर उजियारा हावै,नइहे दुःख उदासी।
चिक्कन चिक्कन घर दुवार हे,शुभ हे सबके रासी।
गीता रामायण गूँजत हे, कविता गीत सुनाये।
खीर चुरत हे चौक चौक मा,मिलजुल भोग लगाये।
धरम करम ला मनखे मनके,जाँचत हावै चंदा----।
सज धज के पुन्नी रतिहा मा, नाँचत हावै चंदा।



जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)

💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

        शरत-पूर्णीमा 

        

1-

शरद पूर्णिमा रात में, अमरित के हे आस |

किरपा होही श्याम के, मोला हे विसवास ||

2-

खीर बना तैं राख ले , छत मे जाके आज |

अमरित के बरसा करो,राखव स्वामी लाज ||

3-

गाड़ा-गाड़ा हे विनय, टुकना भर जोहार |

विनती मोरे आज के, करिहव प्रभु स्वीकार ||

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

कमलेश प्रसाद शरमाबाबू 🙏🏻

कटंगी-गंडई 

जिला-केसीजी

💐💐💐💐💐💐💐💐👌


*शरद पुन्नी (कुण्डलिया )*


सुग्घर पुन्नी रात हे , शरद सुहावन आज ।

जन्मदिवस शुभकामना , बालमीकि महराज।।

बालमीकि महराज , रमायण तैं लिख डारे ।

राम नाम के बोल , जगत ला पार उतारे ।।

तोर लिखे ये ग्रंथ , करे तन मन ला उज्जर।

झिलमिल दिखे अगास ,शरद पुन्नी के सुग्घर।।


चंदा चमके रात मा , सबो चँदैनी संग।

जगर बगर चारो डहर , दिखे दूधिया रंग।।

दिखे दूधिया रंग , मोहिथे सबके मन ला ।

मिलथे खुशी अपार ,जीव मनखे सब झन ला।।

बरसे अमरित बूंद , काटथे दुख के फंदा।

लइका रोत भुलाय , देखके मामा चंदा ।।


आगे पुन्नी रात जी , सजगे मंदिर द्वार।

करे भगत जस गान तब , झूमे जी संसार।।

झूमे जी संसार , खीर पकवान बनाए ।

छानी ऊपर टाँग , रात भर रहे मडा़ए ।।

अमरित के परसाद , दावना मन भर पा गे।

होगे सुघर बिहान , खुशी के पुन्नी आगे।।


          परमानंद बृजलाल दावना

                      भैंसबोड़

                 6260473556

💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐


 

No comments:

Post a Comment