शरत-पूर्णीमा
1-
शरद पूर्णिमा रात में, अमरित के हे आस |
किरपा होही श्याम के, मोला हे विसवास ||
2-
खीर बना तैं राख ले , छत मे जाके आज |
अमरित के बरसा करो,राखव स्वामी लाज ||
3-
गाड़ा-गाड़ा हे विनय, टुकना भर जोहार |
विनती मोरे आज के, करिहव प्रभु स्वीकार ||
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कमलेश प्रसाद शरमाबाबू 🙏🏻
कटंगी-गंडई
जिला-केसीजी
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*शरद पुन्नी (कुण्डलिया )*
सुग्घर पुन्नी रात हे , शरद सुहावन आज ।
जन्मदिवस शुभकामना , बालमीकि महराज।।
बालमीकि महराज , रमायण तैं लिख डारे ।
राम नाम के बोल , जगत ला पार उतारे ।।
तोर लिखे ये ग्रंथ , करे तन मन ला उज्जर।
झिलमिल दिखे अगास ,शरद पुन्नी के सुग्घर।।
चंदा चमके रात मा , सबो चँदैनी संग।
जगर बगर चारो डहर , दिखे दूधिया रंग।।
दिखे दूधिया रंग , मोहिथे सबके मन ला ।
मिलथे खुशी अपार ,जीव मनखे सब झन ला।।
बरसे अमरित बूंद , काटथे दुख के फंदा।
लइका रोत भुलाय , देखके मामा चंदा ।।
आगे पुन्नी रात जी , सजगे मंदिर द्वार।
करे भगत जस गान तब , झूमे जी संसार।।
झूमे जी संसार , खीर पकवान बनाए ।
छानी ऊपर टाँग , रात भर रहे मडा़ए ।।
अमरित के परसाद , दावना मन भर पा गे।
होगे सुघर बिहान , खुशी के पुन्नी आगे।।
परमानंद बृजलाल दावना
भैंसबोड़
6260473556
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