बाल दिवस के हार्दिक बधाई।
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तेल फूल मा लइका बाढ़य, अउ पानी मा धान।
फेर आज तो अइसे लगथे, उल्टा हे गुनगान।।
तेल चुपर अउ सेंक पेट ला, दूध पियाथे कोन।
बोतल धरके लइका चुहकय, बाजत रहिथे फोन।।
बबा डोकरी दाई नइये, एकल हे परिवार।
किस्सा कहिनी आज नँदागे, गोदी मया दुलार।।
लइका सँग खेलइया नइये, कहाँ निकलथे खोर।
बचपन ले शाला वो जाथे, होवत रइथे बोर।।
अपन वजन ले लादे जादा, वो बस्ता के भार।
होमवर्क के पालो परथे, गुरुजी के फटकार।।
दाई ददा हुदेरत रहिथें, कहिथें पढ़ दिन रात।
सब ला जादा नंबर चाही, एके गोठ हे सार।।
पालक मन ले बिनती हाबय, बचपन झन मुरझाय।
अंग्रेजी शिक्षा के कीरा, काट काट झन खाय।।
हवैं भविष्य हमर लइका मन, वोमन सिर के ताज।
उँखर हाथ मा भाग हमर हे, हवै देश के लाज।।
बनैं बीर बढ़िया संस्कारीं, मेहनती गुनवान।
हलधरिया के बेटी बेटा, पावैं जग सम्मान।।
चोवा राम वर्मा 'बादल'
हथबंद, छत्तीसगढ़
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