काया खंडी -
मनखे अच ता मनखे कस रह, झन उलझा तँय काम।
अपन जनम ला सफल बनाले, लेवत गा प्रभु नाम।।1।।
कहना मान मोर गा भाई, हरी नाम हे सार।
माया के चक्कर मा झन फँस, सबकुछ हे बेकार।।2।।
जिनगी दूभर हो जाही गा, भटकत सुबहों शाम।
जिनगी भर पछताबे तैहा, नइ गाबे प्रभु नाम।।3।।
पाप करे ले नरक भोगबे, खाबे यम के मार।
खौलत पानी मा ओमन जी, तोला दिही उतार।।4।।
तड़पत रहिबे दुख मा भाई, सुरता आही बात।
भटकत रहिबे जनम जनम तँय, आनी बानी खात।।5।।
साँप-डेरु अउ बिच्छी कीरा, बघवा छेरी गाय।
बइला भइसा जोनी पाके, मालिक संग कमाय।।6।।
अपन करम ला आज सँवारौ, लेके शिव के नाम।
सबो जनम बर तार दिही वो,भोले सुख के धाम।।7।।
तोर करम जब बढ़िया रइही, मिलही तोला राज।
ये जग हावय करम भरोसा, कहिथे संत समाज।।8।।
रचनाकार - श्री जगदीश "हीरा"साहू
कड़ार (भाटापारा)
छ.ग.
मनखे अच ता मनखे कस रह, झन उलझा तँय काम।
अपन जनम ला सफल बनाले, लेवत गा प्रभु नाम।।1।।
कहना मान मोर गा भाई, हरी नाम हे सार।
माया के चक्कर मा झन फँस, सबकुछ हे बेकार।।2।।
जिनगी दूभर हो जाही गा, भटकत सुबहों शाम।
जिनगी भर पछताबे तैहा, नइ गाबे प्रभु नाम।।3।।
पाप करे ले नरक भोगबे, खाबे यम के मार।
खौलत पानी मा ओमन जी, तोला दिही उतार।।4।।
तड़पत रहिबे दुख मा भाई, सुरता आही बात।
भटकत रहिबे जनम जनम तँय, आनी बानी खात।।5।।
साँप-डेरु अउ बिच्छी कीरा, बघवा छेरी गाय।
बइला भइसा जोनी पाके, मालिक संग कमाय।।6।।
अपन करम ला आज सँवारौ, लेके शिव के नाम।
सबो जनम बर तार दिही वो,भोले सुख के धाम।।7।।
तोर करम जब बढ़िया रइही, मिलही तोला राज।
ये जग हावय करम भरोसा, कहिथे संत समाज।।8।।
रचनाकार - श्री जगदीश "हीरा"साहू
कड़ार (भाटापारा)
छ.ग.
बहुत बढ़िया सर जी बधाई हो
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteधन्यवाद
Deleteछत्तीसगढिया सबले बढिया, सुग्हर सरसी छंद
ReplyDeleteजगदीश अनुज मोर लिखे हे,आइस हे आनंद।
Thank you
Deleteछत्तीसगढिया सबले बढिया, सुग्हर सरसी छंद
ReplyDeleteहीरा भाई बने लिखिस हे, आइस हे आनंद।
धन्यवाद दीदी
Deleteबहुत सुन्दर सरसी छंद जगदीश भाई
ReplyDeleteआभार भइया जी
Deleteबहुत बढ़िया जगदीश भाई
ReplyDeleteसुघ्घर भाव सृजन हे।
धन्यवाद दीदी
Deleteबहुत सुग्घर भावपूर्ण रचना भैया।सादर बधाई
ReplyDeleteआभार भइया जी
Deleteबहुत सुग्घर भावपूर्ण रचना भैया।सादर बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद भाई जी
Deleteबहुत बढ़िया सरसी छंद जगदीश जी।हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteआभार गुरूजी, आप सब के मया अइसने मिलत रहय
Deleteबहुत ही बढ़िया जगदीश भाई
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया जगदीश भाई
ReplyDeleteधन्यवाद भैया जी
Deleteसही कहे हस करही ओही, सबके नैया पार।
ReplyDeleteपापी अन हम कब का होही, जाना यम के द्वार।।
बहुत बढ़िया भाई...बधाई आप ला
आभार गुरूजी
Deleteबधाई हो जगदीश जी
ReplyDeleteसुग्घर सरसी छन्द गढ़े हव
धन्यवाद मथुरा भाई
Deleteधन्यवाद मथुरा भाई
Deleteबहुत सुग्घर,सरसी छन्द हे ,हीरा भाई। बधाई अउ शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद भैया जी
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद भैया जी
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