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Friday, April 13, 2018

दोहा छन्द - श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर

बासी -

भइया नांगर जोत के,बइठे जउने छाँव।
भउजी बासी ला धरे,पहुँचे तउने ठाँव।

भइया भउजी ला कहय,लउहा गठरी छोर।
लाल गोंदली हेर के,लेय हथेरी फोर।

बासी नून अथान ला,देय गहिरही ढार।
उँखरु बइठ के खात हे,मार मार चटकार।

भइया भउजी के मया,पुरवाही फइलाय।
चटनी बासी नून कस,सबके मन ला भाय।

रचनाकार - श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
ग्राम - गोरखपुर (कवर्धा) छत्तीसगढ़ 

12 comments:

  1. बहुत सुघ्घर दोहा बासी अउ लाल गोदली संग खाय के सुवाद भैया जी आपके दोहा म हावय बधाई हो सुघ्घर रचना सुखदेव भाई

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  2. वाहःहः भाई सुखदेव
    बहुते सुघ्घर दोहावली

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  3. वाह्ह्ह्ह्

    बासी के महिमा अबड़,जाने जे हा खाय।
    तन मन आथे ताजगी, रोग तीर नइ आय।।

    बहुत बढ़िया भइया जी

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  4. वाह्ह्ह्ह्

    बासी के महिमा अबड़,जाने जे हा खाय।
    तन मन आथे ताजगी, रोग तीर नइ आय।।

    बहुत बढ़िया भइया जी

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  5. मन - भर बढिया हे बने, दोहा हर सुखदेव
    कर्म गली मा आ अपन, डोंगा ला अब खेव।

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  6. बहुत बढ़िया बधाई हो सर जी

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  7. सुग्घर दोहावली भैया जी। बधाई हो।

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  8. बहुत ही बढ़िया भावाभिव्यक्ति। बधाई, शुभकामनाएं बंधु

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  9. बासी खा के मजा आगे संगवारी ।
    बहुत बहुत बधाई हो ।

    महेन्द्र देवांगन माटी

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  10. बहुत सुग्घर दोहा सर।सादर बधाई

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  11. बहुत सुग्घर दोहा सर।सादर बधाई

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  12. सुग्घर दोहा अहिलेश्वर भाई।

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