बासी -
भइया नांगर जोत के,बइठे जउने छाँव।
भउजी बासी ला धरे,पहुँचे तउने ठाँव।
भइया भउजी ला कहय,लउहा गठरी छोर।
लाल गोंदली हेर के,लेय हथेरी फोर।
बासी नून अथान ला,देय गहिरही ढार।
उँखरु बइठ के खात हे,मार मार चटकार।
भइया भउजी के मया,पुरवाही फइलाय।
चटनी बासी नून कस,सबके मन ला भाय।
रचनाकार - श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
ग्राम - गोरखपुर (कवर्धा) छत्तीसगढ़
भइया नांगर जोत के,बइठे जउने छाँव।
भउजी बासी ला धरे,पहुँचे तउने ठाँव।
भइया भउजी ला कहय,लउहा गठरी छोर।
लाल गोंदली हेर के,लेय हथेरी फोर।
बासी नून अथान ला,देय गहिरही ढार।
उँखरु बइठ के खात हे,मार मार चटकार।
भइया भउजी के मया,पुरवाही फइलाय।
चटनी बासी नून कस,सबके मन ला भाय।
रचनाकार - श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
ग्राम - गोरखपुर (कवर्धा) छत्तीसगढ़
बहुत सुघ्घर दोहा बासी अउ लाल गोदली संग खाय के सुवाद भैया जी आपके दोहा म हावय बधाई हो सुघ्घर रचना सुखदेव भाई
ReplyDeleteवाहःहः भाई सुखदेव
ReplyDeleteबहुते सुघ्घर दोहावली
वाह्ह्ह्ह्
ReplyDeleteबासी के महिमा अबड़,जाने जे हा खाय।
तन मन आथे ताजगी, रोग तीर नइ आय।।
बहुत बढ़िया भइया जी
वाह्ह्ह्ह्
ReplyDeleteबासी के महिमा अबड़,जाने जे हा खाय।
तन मन आथे ताजगी, रोग तीर नइ आय।।
बहुत बढ़िया भइया जी
मन - भर बढिया हे बने, दोहा हर सुखदेव
ReplyDeleteकर्म गली मा आ अपन, डोंगा ला अब खेव।
बहुत बढ़िया बधाई हो सर जी
ReplyDeleteसुग्घर दोहावली भैया जी। बधाई हो।
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया भावाभिव्यक्ति। बधाई, शुभकामनाएं बंधु
ReplyDeleteबासी खा के मजा आगे संगवारी ।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई हो ।
महेन्द्र देवांगन माटी
बहुत सुग्घर दोहा सर।सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर दोहा सर।सादर बधाई
ReplyDeleteसुग्घर दोहा अहिलेश्वर भाई।
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