मदारी -
मदारी धरे बाँसुरी ला बजावै।
सुनै गाँव वाले सबो दौड़ आवै।
खड़े आदमी हे बना गोल घेरा।
जमूरा मदारी लगाये ग फेरा।
हवै बेंदरा नेवला साँप भालू।
करे काम दौड़े जमूरा ग चालू।
बने नाच के बेंदरा हा दिखावै।
बजे ताल भालू नरी ला झुलावै।
कहाँ गा पटे नेवला साँप तारी।
लड़ाई करावै ग देखौ मदारी।
बजै ढोल बाजा लड़े खूब दोनो।
कहाँ साँस ले आदमी देख कोनो।
जमूरा ह हाँसी ठिठोली करे गा।
सबे हाथ ले खूब ताली झरे गा।
जियाँ हा अघाये सबे आदमी के।
उना पेट ताये ग जंजाल जी के।
करे खेल गाँवे गली मा मदारी।
कभू मान पाये कभू खाय गारी।
चले खेल ले रोज दाना ग पानी।
हरे खेल देखौ ग ये जिंदगानी।
जमाना नवा हे नवा खेल छाये।
कहाँ गा मदारी जमूरा सुहाये।
गँवागे मदारी गँवागे जमूरा।
धरे हाथ मा फोन घूमे ग टूरा।
रचनाकार - श्री जीतेंद्र वर्मा "खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
9981441795
मदारी धरे बाँसुरी ला बजावै।
सुनै गाँव वाले सबो दौड़ आवै।
खड़े आदमी हे बना गोल घेरा।
जमूरा मदारी लगाये ग फेरा।
हवै बेंदरा नेवला साँप भालू।
करे काम दौड़े जमूरा ग चालू।
बने नाच के बेंदरा हा दिखावै।
बजे ताल भालू नरी ला झुलावै।
कहाँ गा पटे नेवला साँप तारी।
लड़ाई करावै ग देखौ मदारी।
बजै ढोल बाजा लड़े खूब दोनो।
कहाँ साँस ले आदमी देख कोनो।
जमूरा ह हाँसी ठिठोली करे गा।
सबे हाथ ले खूब ताली झरे गा।
जियाँ हा अघाये सबे आदमी के।
उना पेट ताये ग जंजाल जी के।
करे खेल गाँवे गली मा मदारी।
कभू मान पाये कभू खाय गारी।
चले खेल ले रोज दाना ग पानी।
हरे खेल देखौ ग ये जिंदगानी।
जमाना नवा हे नवा खेल छाये।
कहाँ गा मदारी जमूरा सुहाये।
गँवागे मदारी गँवागे जमूरा।
धरे हाथ मा फोन घूमे ग टूरा।
रचनाकार - श्री जीतेंद्र वर्मा "खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
9981441795
बहुत बढ़िया रचना वर्मा जी ।आपके रचना ला पढके हमर गाँव मा मदारी आथे तेकरे सुरता आगे ।बिल्कुल सटीक रचना लिखे हो।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई ।
सादर नमन भैया
Deleteवाह बहुत बढ़िया भईया जी बधाई हो
ReplyDeleteसधन्यवाद भाई
Deleteपरम् पूज्य गुरुदेव संग आप सबो ल अन्तस् ले नमन
ReplyDeleteमदारी उपर बहुत बढ़िया रचना हे जितेन्द्र जी ।
ReplyDeleteवाहःहः भाई जुन्ना मनोरंजन के साधन ला जीवंत करे हव।
ReplyDeleteअइसने रचना आने वाले पीढ़ी के लिए उत्सुकता के विषय रहही।
बहुत बहुत बधाई।
दीदी,सधन्यवाद,,
Deleteक्या बात है।जबरदस्त रचना वर्माजी । बधाई।
ReplyDeleteसर जी,,नमन
Deleteमन मोहन तुम भूल गये हो, आज सुनाओ मुरली तान
ReplyDeleteवृंदावन की कुंज गली में, गोप - गोपियों की मुस्कान।
सादर चरण बन्दन दीदी
Deleteभई वाह क्या बात है
ReplyDeleteभई वाह क्या बात है
ReplyDeleteवाह्ह्ह् बहुत खूब भइया जी
ReplyDeleteलाजवाब सरजी
ReplyDeleteलाजवाब सरजी
ReplyDeleteलाजवाब भुजंग प्रयात।
ReplyDeleteभुजंग प्रयात छंद मा शानदार चित्रण,भैया ।बधाई अउ शुभकामना।
ReplyDeleteआप सबके दया मया पाके मन गदगद होगे, परम पूज्य गुरुदेव के श्री चरण म माथ नवावत आप सबो ल सादर नमन
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