(1)
भूख मरत हँव श्याम, कहाँ ले माखन खाबे
रोवत हावय गाय, शकुन कब गाय चराबे ?
ललचाए के बात, कहाँ अब माखन भइया
बछरू मर गे मोर, बचय कइसे अब गइया ?
(2)
बन के आ जा गोप, गाय ला बने चराबे
मुश्किल मा हे जान, प्राण ला तहीं बचाबे।
बछरू मन ला देख, पेट भर पसिया देबे
मन मा तैंहर ठान, मोर अरज़ी सुन लेबे।
(3)
नाचत हावय बंद, सबो देखय गिरधारी।
नावा लुगरा मोर, मारबे झन पिचकारी
हो झन जावय सोर, देख ले बिरज बिहारी।
होरी - गावय - छंद, तहूँ - सुन ले बनवारी।
(4)
होरी के हुड़दंग, नगाड़ा अड़बड़ बाजै
साँवर मोहन संग, राधिका गोरी साजै।
मन भर उडय पतंग,पवन धर उड़ै उड़ावै
हवा पिए हे भंग, गगन मा नाचय गावै।
रचनाकार - शकुन्तला शर्मा
भिलाई, छत्तीसगढ़
भूख मरत हँव श्याम, कहाँ ले माखन खाबे
रोवत हावय गाय, शकुन कब गाय चराबे ?
ललचाए के बात, कहाँ अब माखन भइया
बछरू मर गे मोर, बचय कइसे अब गइया ?
(2)
बन के आ जा गोप, गाय ला बने चराबे
मुश्किल मा हे जान, प्राण ला तहीं बचाबे।
बछरू मन ला देख, पेट भर पसिया देबे
मन मा तैंहर ठान, मोर अरज़ी सुन लेबे।
(3)
नाचत हावय बंद, सबो देखय गिरधारी।
नावा लुगरा मोर, मारबे झन पिचकारी
हो झन जावय सोर, देख ले बिरज बिहारी।
होरी - गावय - छंद, तहूँ - सुन ले बनवारी।
(4)
होरी के हुड़दंग, नगाड़ा अड़बड़ बाजै
साँवर मोहन संग, राधिका गोरी साजै।
मन भर उडय पतंग,पवन धर उड़ै उड़ावै
हवा पिए हे भंग, गगन मा नाचय गावै।
रचनाकार - शकुन्तला शर्मा
भिलाई, छत्तीसगढ़
वाह्ह दीदी अब्बड़ सुग्घर गौ माता के पीरा ला बतावत
ReplyDeleteअउ होली मा माते भगवान राधा कृष्णा के मया के सुग्घर वर्णन दीदी सादर प्रणाम
बधाई हो बहुत बढ़िया दीदी जी
ReplyDeleteबधाई हो बहुत बढ़िया दीदी जी
ReplyDeleteअन्तस् ले नमन दीदी।बहुतेच बढ़िया रोला,परोसे हव
ReplyDeleteबहुत सुघ्घर लिखे हस रोला छंद रोला छंद दीदी
ReplyDeleteदीदी आपमन के छंद सृजन तो जइसे
ReplyDeleteऋचा मन ही बोली बदल के आय हे लगथे।
सादर नमन दी
वाहह्ह्ह्ह्हह् बहुँत सुग्घर भाव दीदी। पहिली रोला के अर्थ समझे बर थोरिक समय लगिस।बहुँत सुग्घर।
ReplyDeleteप्रणाम।
वाह!दीदीबहुत सुग्घर रोला छंद
ReplyDeleteबहुत ही सुग्घर रोला छंद के सृजन करे हव दीदी। सादर बधाई। प्रणाम।
ReplyDeleteवाह्ह्ह वाहह दीदी बहुतेच सुन्दर रोला छंद सृजन।सादर नमन।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना दीदी। सादर प्रणाम
ReplyDeleteलाजवाब रचना दीदी
ReplyDeleteलाजवाब रचना दीदी
ReplyDeleteबहुत सुंदर रोला छंद दीदी
ReplyDeleteजय श्री कृष्णा
बहुत सुंदर रोला छंद दीदी
ReplyDeleteजय श्री कृष्णा
वाह वाह बहुतेच सुग्घर रोला सृजन करे हव दीदी जी।सादर नमन।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना दीदी जी
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई हो