बरवै छंद - श्री जगदीश "हीरा" साहू
*1. जय हनुमान*
जय हो बजरंगी बल, बुद्धि निधान।
सबझन मिलके बोलव, जय हनुमान।।1।।
संकट बाधा हरही, प्रभु बलवान।
राम-नाम जप-जपके, बने महान।।2।।
हावय उपकारी जी, आथे काम।
महिमा गावय जेकर, प्रभु श्रीराम।।3।।
हवय भरोसा देवव, प्रभु आशीष।
हाथ जोड़के बइठे, हे जगदीश।।4।।
*2. रामभक्त हनुमान*
जय हो बजरंगी बल, बुद्धि निधान।
राम काज बर जनमे, श्रीे हनुमान।।1।।
रावण हरके सीता, लंका जाय।
राम-लखन बड़ रोये, दुःख सुनाय।।2।।
पार गये सागर के, तँय बलवान।
खोजे सीता ला अउ, पाये मान।।3।।
शक्ति लगे लछमन ला, सब थर्राय।
उड़ गेये तुरते तँय, परवत लाय।।4।।
संजीवनी लाय अउ, राखे जान।
राम तोर गुन के बड़, करे बखान।।5।।
तोर सही नइहे प्रभु, कोनो बीर।
सिया राम देखाये, छाती चीर।।6।।
राम बसे कण-कण मा, देये ज्ञान।
कहे राम बिन जिनगी, बिरथा जान।।7।।
करबे रक्षा मोरो, लइका जान।
जय हो बजरंगी जय, श्री हनुमान।।8।।
रचनाकार - श्री जगदीश "हीरा" साहू
कड़ार (भाटापारा) छत्तीसगढ़
*1. जय हनुमान*
जय हो बजरंगी बल, बुद्धि निधान।
सबझन मिलके बोलव, जय हनुमान।।1।।
संकट बाधा हरही, प्रभु बलवान।
राम-नाम जप-जपके, बने महान।।2।।
हावय उपकारी जी, आथे काम।
महिमा गावय जेकर, प्रभु श्रीराम।।3।।
हवय भरोसा देवव, प्रभु आशीष।
हाथ जोड़के बइठे, हे जगदीश।।4।।
*2. रामभक्त हनुमान*
जय हो बजरंगी बल, बुद्धि निधान।
राम काज बर जनमे, श्रीे हनुमान।।1।।
रावण हरके सीता, लंका जाय।
राम-लखन बड़ रोये, दुःख सुनाय।।2।।
पार गये सागर के, तँय बलवान।
खोजे सीता ला अउ, पाये मान।।3।।
शक्ति लगे लछमन ला, सब थर्राय।
उड़ गेये तुरते तँय, परवत लाय।।4।।
संजीवनी लाय अउ, राखे जान।
राम तोर गुन के बड़, करे बखान।।5।।
तोर सही नइहे प्रभु, कोनो बीर।
सिया राम देखाये, छाती चीर।।6।।
राम बसे कण-कण मा, देये ज्ञान।
कहे राम बिन जिनगी, बिरथा जान।।7।।
करबे रक्षा मोरो, लइका जान।
जय हो बजरंगी जय, श्री हनुमान।।8।।
रचनाकार - श्री जगदीश "हीरा" साहू
कड़ार (भाटापारा) छत्तीसगढ़
बहुत बढ़िया रचना
ReplyDeleteजय बजरंग बली
धन्यवाद माटी जी
Deleteपोथी कहिस सिसक के, पढव किताब
ReplyDeleteपाप - पुण्य के देखव, अपन हिसाब।
बढिया बरवै छंद लिखे हस, जगदीश।
आभार दीदी, आप सब के प्रेरणा ले ऊर्जा मिलथे
Deleteबहुत बहुत बधाई भईया जी
ReplyDeleteधन्यवाद भाई जी
Deleteबहुत बढ़िया बरवै छंद सिरजाय हव भाई
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई शुभकामना
धन्यवाद दीदी
Deleteवाह वाह हीरा भाई। हीरा कस चमकत शानदार बरवै छन्द सृजन बर हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteधन्यवाद गुरुदेव जी
Deleteधन्यवाद गुरुदेव जी
Deleteबहुत सुग्घर अउ लाजवाब बरवै छंद हे,हीरा भाई। सादर बधाई ।
ReplyDeleteआभार भइया जी
Deleteआभार भइया जी
Deleteबहुत सुग्घर रचना भैयाजी।सादर बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद ज्ञानु भइया
Deleteबहुत सुग्घर रचना भैयाजी।सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर रचना भैयाजी।सादर बधाई
ReplyDeleteगज़ब सुघर रचना भैयाजी।सादर बधाई
ReplyDeleteगज़ब सुघर रचना भैयाजी।सादर बधाई
ReplyDeleteआभार भइया जी
Deleteबहुते सुघ्घर भैया
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