दामाखेड़ा धाम
1-माघी पुन्नी मा चलव, दामाखेड़ा धाम।
दरशन ले साहेब के, बनथे बिगड़े काम।
2-धर्मदास सतगुरु धनी,धरम नगर दरबार।
दामाखेड़ा धाम के, चारों खुँट जयकार।
3-उग्रनाम साहेब जी, लीन इहाँ अवतार।
हाथ जोड़ हे बंदगी, सतगुरु बारम्बार।
4-उग्रनाम साहेब जी, होइन संत फकीर।
धरम नगर मा आ बसे, ब्यालिस अंश कबीर।
5-प्रगटे हें तिथि दसरहा, श्री प्रकाशमुनि नाम।
दरस चरन गुरु के मिलय, दामाखेड़ा धाम।
6-माघ पंचमी शुभ घड़ी,सादर चढ़य गुलाल।
दसमी ले पुन्नी जिहाँ, लगय संत चौपाल।
7-माँस सबो हा एक हे, का छेरी का गाय।
मार काट जे खात हे, मरत नरक मा जाय।
8- एक बरोबर जात हे, मनखे एक समान।
सबले सुग्घर धर्म तैं, मानवता ला जान।
9-खइता माया मोह हा, नाम भजन हे सार।
जनम मरन के फेर ले, सतगुरु करही पार।
10-सादर बिनती मैं करँव, सतगुरु नाम प्रकाश।
बंदी छोंड़व मोर जी, उड़ँव उदित आकाश।
11-मिलथे मनखे अब कहाँ, कहाँ संत हे आज।
दामाखेड़ा धाम मा, संगम सकल समाज।
रचनाकार -
श्री कन्हैया साहू"अमित"(शिक्षक)भाटापारा, छत्तीसगढ़
1-माघी पुन्नी मा चलव, दामाखेड़ा धाम।
दरशन ले साहेब के, बनथे बिगड़े काम।
2-धर्मदास सतगुरु धनी,धरम नगर दरबार।
दामाखेड़ा धाम के, चारों खुँट जयकार।
3-उग्रनाम साहेब जी, लीन इहाँ अवतार।
हाथ जोड़ हे बंदगी, सतगुरु बारम्बार।
4-उग्रनाम साहेब जी, होइन संत फकीर।
धरम नगर मा आ बसे, ब्यालिस अंश कबीर।
5-प्रगटे हें तिथि दसरहा, श्री प्रकाशमुनि नाम।
दरस चरन गुरु के मिलय, दामाखेड़ा धाम।
6-माघ पंचमी शुभ घड़ी,सादर चढ़य गुलाल।
दसमी ले पुन्नी जिहाँ, लगय संत चौपाल।
7-माँस सबो हा एक हे, का छेरी का गाय।
मार काट जे खात हे, मरत नरक मा जाय।
8- एक बरोबर जात हे, मनखे एक समान।
सबले सुग्घर धर्म तैं, मानवता ला जान।
9-खइता माया मोह हा, नाम भजन हे सार।
जनम मरन के फेर ले, सतगुरु करही पार।
10-सादर बिनती मैं करँव, सतगुरु नाम प्रकाश।
बंदी छोंड़व मोर जी, उड़ँव उदित आकाश।
11-मिलथे मनखे अब कहाँ, कहाँ संत हे आज।
दामाखेड़ा धाम मा, संगम सकल समाज।
रचनाकार -
श्री कन्हैया साहू"अमित"(शिक्षक)भाटापारा, छत्तीसगढ़
वाहःहः अमित भाई
ReplyDeleteबेहतरीन दोहावली के सृजन
बहुत बहुत बधाई
वाह्ह वाह अमित भइया अब्बड़ सुग्घर दामाखेड़ा धाम के गजब सुग्घर बरनन भइया
ReplyDeleteसाहेब बंदगी..... बहुत सुघ्घर भईया जी बधाई हो
ReplyDeleteसाहेब बंदगी..... बहुत सुघ्घर भईया जी बधाई हो
ReplyDeleteबेहतरीन दोहा छंद रचना। बधाई। गुरु महिमा के वरणन हे सुघर।
ReplyDeleteबहुतेच सुघ्घर सर
ReplyDeleteबढिया दोहा हे अमित, गुरु के महिमा मान
ReplyDeleteगुरु लाघव ला जान के, परमेश्वर पहिचान।
वाह जबरदस्त दोहावली अमित जी।
ReplyDeleteबधाई
बेहतरीन दोहा सर
ReplyDeleteबेहतरीन दोहा सर
ReplyDeleteदामाखेड़ा धाम के सुग्घर चित्रण दोहा छंद मा करे हव भैया जी। बधाई।
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