"बेटी"
(1)
झन मारव कोंख रखौ बिटिया जग लेवन देवव गा अँवतार।
अँगना तुँहरे जब आहयँ जी उँन देहयँ गा सब संकट टार।
कमती नइ होवयँ जी बिटिया अटके नइया करहीं छिन पार।
लव खा किरिया ग करौ पिरिया मिलही तुँहला सुख हा भरमार ।
(2)
बनके लछमी भरही घर जी बन शारद देहयँ गा सब ज्ञान।
इँदिरा प्रतिभा सुषमा जइसे करही उँन कारज पाहयँ मान।
डँटके लड़हीं बइरी मन ले उँन भारत के अगराहयँ शान।
रहि जाहयँ जी सब नैन फटे बिटवा बनके उड़हीं धर यान।
(3)
ककरो जब राहय भाग बड़े जनमे बिटिया घर ओकर आय।
सब बेद पुरान म देव घलो महिमा इँकरे सब हें बड़ गाय।
महकावयँ जीवन के बगिया इँकरे चलते जग हे सुघराय।
कर केलवली ग मितान कहै करके हइता झन लेवव हाय।
रचनाकार - श्री मनीराम साहू "मितान"
ग्राम - कचलोन (सिमगा) छत्तीसगढ़
(1)
झन मारव कोंख रखौ बिटिया जग लेवन देवव गा अँवतार।
अँगना तुँहरे जब आहयँ जी उँन देहयँ गा सब संकट टार।
कमती नइ होवयँ जी बिटिया अटके नइया करहीं छिन पार।
लव खा किरिया ग करौ पिरिया मिलही तुँहला सुख हा भरमार ।
(2)
बनके लछमी भरही घर जी बन शारद देहयँ गा सब ज्ञान।
इँदिरा प्रतिभा सुषमा जइसे करही उँन कारज पाहयँ मान।
डँटके लड़हीं बइरी मन ले उँन भारत के अगराहयँ शान।
रहि जाहयँ जी सब नैन फटे बिटवा बनके उड़हीं धर यान।
(3)
ककरो जब राहय भाग बड़े जनमे बिटिया घर ओकर आय।
सब बेद पुरान म देव घलो महिमा इँकरे सब हें बड़ गाय।
महकावयँ जीवन के बगिया इँकरे चलते जग हे सुघराय।
कर केलवली ग मितान कहै करके हइता झन लेवव हाय।
रचनाकार - श्री मनीराम साहू "मितान"
ग्राम - कचलोन (सिमगा) छत्तीसगढ़
बहुत बढ़िया सुघ्घर रचना साहू जी बधाई हो
ReplyDeleteबहुत बढिया हे अरविंद सवैया हर, मनीराम। बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सृजन हे भाई
ReplyDeleteलाजवाब सरजी।सादर बधाई
ReplyDeleteलाजवाब सरजी।सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर अउ लाजवाब अरविंद सवैयाभैया जी ।सादर बधाई।
ReplyDeleteबहुत बहुत बढ़िया भईया जी बधाई हो
ReplyDeleteबड़ सुग्घर अरविन्द सवैया के सृजन सर जी।सादर बधाई।
ReplyDeleteझन मारव खोंख मा,
ReplyDeleteबहुत सुंदर अरविन्द सवैया गुरूजी