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Sunday, August 15, 2021

आजादी के 75वीं वर्षगाँठ म छंद बद्ध कवितायें- छंद के छ परिवार


 

आजादी के 75वीं वर्षगाँठ म छंद बद्ध कवितायें- छंद के छ परिवार


सार छंद  -- महेन्द्र देवांगन *माटी*

*झंडा ला फहराबो*


देश हमर हे सबले प्यारा , येकर मान बढ़ाबो ।

कभू झुकन नइ देन तिरंगा, झंडा ला फहराबो ।।


भेदभाव ला छोड़ के संगी, सबझन आघू बढ़बो ।

हिन्दू मुस्लिम सिक्ख इसाई, मिल के हम सब लड़बो ।।


अपन देश के रक्षा खातिर, बाजी सबो लगाबो ।

कभू झुकन नइ देन तिरंगा, झंडा ला फहराबो ।।


रानी लक्ष्मीबाई आइस, अपन रूप देखाइस ।

गोरा मन ला मार काट के, वोला मजा चखाइस ।।


हिलगे सब अंग्रेजी सत्ता, कइसे हमन भुलाबो

कभू झुकन नइ देन तिरंगा,  झंडा ला फहराबो ।।


आन बान अउ शान तिरंगा, लहर लहर लहराबो ।

दुनियाँ भर के सबो जगा मा, येकर यश फइलाबो ।।


भारत भुइयाँ के माटी ला, माथे तिलक लगाबो ।

कभू झुकन नइ देन तिरंगा, झंडा ला फहराबो ।।


छंदकार

महेन्द्र देवांगन *माटी*

(प्रेषक- सुपुत्री प्रिया देवांगन *प्रियू*

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: आल्हा छंद- विजेन्द्र वर्मा


आजादी के मोल समझ के,अपने मन ला खुदे टटोल।

लोकतंत्र के रक्षा खातिर,आवव अपने बुध ला खोल।।


जनम भूमि हा सब ले बड़का,होथे येला तुम सब मान।

येकर रक्षा खातिर संगी,चाहे जावय अब तो जान।।


लहू बहे हे पुरखा मन के,अमर रहय ओकर बलिदान।

भारत माँ के सेवा बर जी,जेन गँवाये अपने जान।।


जात पात सब छोड़ छाड़ के,मनखे बन जव एक समान।

देश तभे आगू बढ़ही जी,मनखे बनहू तभे महान।।


अपने बर तो सब जीथे सुन, देश धरम बर जीना सीख।

दया मया ले काम करव अब, कोनों माँगव झन अब भीख।।


राजनीति जे करथे बिक्कट,खाथे भक्कम रिश्वत रोज।

सेवा खाली झूठ लबारी,बन के गिधवा करथे भोज।।


पद पइसा के भूखे हाबय,जेन भरत अपने घर बार।

सरम करम सब बेच खात हे, अइसन मनखे ला धिक्कार।।


अगुवा बनके रेंगव संगी,लावव अब तो नवा बिहान।

तोर मोर के चक्कर छोड़व,तभे हमर बनही पहिचान।।


विजेन्द्र वर्मा

नगरगाँव(धरसीवाँ)

जिला-रायपुर

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जीतेन्द्र वर्मा खैरझिटिया: स्वतंत्रता दिवस अमर रहे,,,


बलिदानी (सार छंद)


कहाँ चिता के आग बुझा हे,हवै कहाँ आजादी।

भुलागेन बलिदानी मन ला,बनके अवसरवादी।


बैरी अँचरा खींचत हावै,सिसकै भारत माता।

देश  धरम  बर  मया उरकगे,ठट्ठा होगे नाता।

महतारी के आन बान बर,कोन ह झेले गोली।

कोन  लगाये  माथ  मातु के,बंदन चंदन रोली।

छाती कोन ठठाके ठाढ़े,काँपे देख फसादी----।

भुलागेन बलिदानी मन ला,बनके अवसरवादी।


अपन  देश मा भारत माता,होगे हवै अकेल्ला।

हे मतंग मनखे स्वारथ मा,घूमत हावय छेल्ला।

मुड़ी हिमालय के नवगेहे,सागर हा मइलागे।

हवा  बिदेसी महुरा घोरे, दया मया अइलागे।

देश प्रेम ले दुरिहावत हे,भारत के आबादी----।

भुलागेन बलिदानी मन ला,बनके अवसरवादी।


सोन चिरइयाँ अउ बेंड़ी मा,जकड़त जावत हावै।

अपने  मन  सब  बैरी  होगे,कोन  भला  छोड़ावै।

हाँस हाँस के करत हवै सब,ये भुँइया के चारी।

देख  हाल  बलिदानी  मनके,बरसे  नैना धारी।

पर के बुध मा काम करे के,होगे हें सब आदी--।

भुलागेन  बलिदानी मन ला,बनके अवसरवादी।


बार बार बम बारुद बरसे,दहले दाई कोरा।

लड़त  भिड़त हे भाई भाई,बैरी डारे डोरा।

डाह  द्वेष  के  आगी  भभके ,माते  मारा   मारी।

अपन पूत ला घलो बरज नइ,पावत हे महतारी।

बाहिर बाबू भाई रोवै,घर मा दाई दादी--------।

भुलागेन बलिदानी मन ला,बनके अवसरवादी।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को(कोरबा)

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कुकुभ छंद - राजेश कुमार निषाद

।।आजादी परब मनाबो।।

चलव चलव सब दीदी भइया,आजादी परब मनाबो।

तीन रंग के धजा तिरंगा,मिलके हम सब फहराबो।।


गली गली मा योद्धा मन के,करत घूमबो जयकारा।

धरे हाथ मा धजा तिरंगा,लगही सुघ्घर बड़ प्यारा।।


आजादी पाए बर कतको,वीर बनिन हे बलिदानी।

कइसे हमन भुलाबो संगी,वोकर मन के कुर्बानी।।


अंग्रेजन ले मुक्त करे बर,पुरखा मन खाइन गोली।

हाँसत झुलगे जब फाँसी मा,कतको वीरों की टोली।।


गोली से अब हमन खेलबो,फाँसी मा भी चढ़ जाबो।

जब तक साँस हमर हे तन मा,बइरी ला मार भगाबो।।


जेन देश हा आँख उठाही,वोला चुर चुर कर जाबो।

कतको आही चाहे विपदा,मन मा हम नइ घबराबो।।


चलव चलव सब दीदी भइया, आजादी परब मनाबो।

तीन रंग के धजा तिरंगा,मिलके हम सब फहराबो।।


छंदकार:- राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद रायपुर (छ. ग.)

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*आजादी के परब*

हरिगीतिका छंद - बोधन राम निषादराज


चल आज लहराबो बने,मिलके तिरंगा शान मा।

बइरी सबो देखत रहै,चलबो इहाँ अभिमान मा।।

आँखी उठाके देखही,बइरी कहूँ अब देश ला।

दे के जवाबी खेल मा,हम जीत जाबो रेश ला।।


स्वाधीनता के हे परब,खाबो मिठाई आज जी।

अब तो खुशी मा झूम के,करबो बने हम काज जी।।

सुग्घर हमर  जनतंत्र हे,सुग्घर  हमर ये देश जी।

अब डर नहीं कखरो इहाँ,चिटको नहीं अब क्लेश जी।।


झंडा परब महिना इही,आवव मनाबो आज जी।

बलिदान होइस वीर मन,पाए हवन तब राज जी।।

करबो इँखर सम्मान ला,दे के सलामी हाथ मा।

करबो सुरक्षा देश के,रहिबो सबो जी साथ मा।।


छंदकार:-

बोधन राम निषादराज"विनायक"

सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)

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 मनोज वर्मा: सरसी छंद

तीन रंग ले सजे तिरंगा, भारत मॉं के शान।

केसरिया सादा अउ हरियर, सुग्घर हे पहिचान।।


केसरिया हर साहस के सॅंग, हरे चिन्ह बलिदान।

सादा सत्य शान्ति निरमलता, के जी आय निशान।।


रंग तीसरा हे समृद्धि के, हरियर हा धन धान।

भाईचारा के  संदेश ल दय, बढ़थे गौरव ज्ञान।।

तीन रंग ले सजे तिरंगा, भारत मॉं के शान.....


कहे चक्र ये अशोक के जी, चलना दिन हे रात।

कारज नित करना हे बढ़िया, घूम बतावय बात।।


चिन्ह सबो चोबीस तीलि हर, मनखे गुन के आय।

करम धरम निज सुग्घर करले, पावन बात बताय।।


लहर लहर लहराय तिरंगा, करे हिन्द जय गान।

केसरिया सादा अउ हरियर, सुग्घर हे पहिचान......

तीन रंग ले सजे तिरंगा, भारत मॉं के शान......


मनोज कुमार वर्मा

बरदा लवन बलौदा बाजार

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 आल्हा छंद - अनिल सलाम 

स्वतंत्रता दिवस


नमन देश के वीर सिपाही, जुग जुग सुरता रइही शान। 

आज खुशी मा झूमत हावन, ये सब हे तुम्हरे बलिदान।।


आज तिरंगा लहरावव जी, बड़े खुशी के दिन हे आज।

जन गण मन के गान करव जी, पाये हावन अपन सुराज।। 


समझे ला परही सबला गा, बड़ मुश्किल मा मिले सुराज।

जात पात के भेद मिटाबो, मिलके किरिया खाबो आज।।


रोजगार अउ शिक्षा बर जी, आव उठाबो हम आवाज।

नइ लड़ना हे जात पात बर, सुमता ला बाँधव जी आज।।


राजनीति हावी झन होवय, इहाँ रहय जनता के राज।

नहीं गुलामी झेले परही, जागव जागव सबो समाज।।


छंद साधक सत्र - 11

अनिल सलाम

गाँव - नयापारा उरैया

तहसील - नरहरपुर

जिला - कांकेर (छत्तीसगढ़)

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लीलेश्वर देवांगन,बेमेतरा: रूपमाला  छन्द


तिरंगा...

देश  के   लहरा  तिरंगा , आज  सीमा पार |

दाग गोली  आज फौजी,  चोर   बैरी   मार ||

देख दुश्मन भग जही जी,फौज ला बलवान |

हिन्द के जयकार कर के, देश  के रख मान||


शान भारत के    तिरंगा,   खूब हे पहिचान |

देश खातिर जंग लड़ के,वीर मन दिस जान||

वीर के गाथा सुनव   जी, बड़ छिपे हे राज |

गीत   वंदेमातरम  के , जय  बुला ले आज।।


लिलेश्वर देवांगन

सत्र १०

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हेम के त्रिभंगी छंद 

हे भारत माता, भाग्य विधाता, तोर शरण मा, माथ नवे।

झंडा फहराबो, जश्न मनाबो, शुभ दिन आये, आज हवे।।

मन राखे चंगा, बन बजरंगा, वीर सिपाही, मोर रहें।

भारत जयकारा, गूँजय नारा, भारतीय जय, जगत कहें।।

-हेमलाल साहू

छंद साधक, सत्र-1

ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा

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उल्लाल छंद

भारत माता बोलथे , बेटा सुनलव बात ला |

भाईचारा  मा रहव , छोड़व झगरा जात ला || 

              अशोक जायसवाल

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छन्द - *कुण्डलिया छन्द*

विषय - *तिरंगा*


शान तिरंगा देश के,  सुख समृद्धि के संग।

केसरिया सादा हरा, मन मा भरँय उमंग।।

मन मा भरँय उमंग, हरा हरियाली लाथे।

केसरिया के रंग, त्याग  के भाव जगाथे ।

*पद्मा* सादा रंग, बहाथे सुख के गंगा ।

नीला चक्र अशोक, सजे हे शान तिरंगा।।


गाँधी भगत सुभाष अउ, मंगल पांडे राज ।

खुदीराम सुखदेव मन, करिन नेक हे काज।। 

करिन नेक हे काज, ब्रिटिश ला मार भगाइन।

अपन प्राण ला त्याग , देश के मान बचाइन।

छेड़िन हें संग्राम, क्रांति के बनके आँधी।

आजादी के वीर, चंद्रशेखर अउ गाँधी।।


आजादी के ये परब,  भाईचारा संग।

चलो मनाबो आज सब , छोड़ दुश्मनी जंग।।

छोड़ दुश्मनी जंग , करौ सुरता कुर्बानी ।

झंडा थामे हाथ , अमर होगे बलिदानी ।

*पद्मा* जोड़य हाथ ,आज बन के फरियादी ।

समझव कीमत मान, मिलिस कइसे आजादी।।


पद्मा साहू *पर्वणी* 

खैरागढ़ जिला राजनांदगांव छत्तीसगढ़

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*विधा - दोहा छंद*

 भाषा- छत्तीसगढ़ी

*।। शीर्षक- जलक्षत्री के देशभक्ति दोहा ।।*


भारत देश महान हे, बसे इही मा जान।

करनी अइसन हँव करत, बढ़य देश के मान।।१।।

मान बढ़य आदर मिलय, निसदिन हो बढ़वार।

धजा तिरंगा के हमर, होवय जय जयकार।।२।।

मातृभूमि बर जान ला, कर देहूँ न्यौछार।

आँच न आवन दँव कभू , बइरी देहूँ मार।।३।।

जीना मरना मोर हो, राष्ट्रभक्ति के साथ।

मान देश के दँव बढ़ा, दुनिया टेके माथ।।४।।

देश भक्ति ले हे नहीं, बढ़ के कोनो काम।

जान लुटाथे देश बर, होथे ओखर नाम।।५।।

सरहद मा दिन रात भर, डटे हवँय जाँबाज।

उँखरे खातिर चैन से, सूतत हावन आज।।६।।

करथे रक्षा देश के, उही सपूत कहाय।

मातृभूमि के मान बर, शीष घलो कटवाय।।७।।

सीमा खडे़ जवान हे, बाजी जान लगाय।

भारत माँ के मान ला, सगरो जग बगराय।।८।।

रक्षा भारत के करँय, सीमा खड़े जवान।

मर के घलो मरय नहीं, अमर होय बलिदान।।९।।

केसरिया सादा हरा, हरे तिरंगा शान।

गूँजय वंदे मातरम, भारत देश महान।।१०।।


*छंदकार- अशोक धीवर "जलक्षत्री"*

ग्राम- तुलसी (तिल्दा-नेवरा)

जिला- रायपुर (छत्तीसगढ़)

सचलभास क्र.-९३००७१६७४०

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आशा देशमुख: कुकुभ छंद


आज़ादी के मोल


कतको झन मन जान गवाइन ,तभे मिलिस  आज़ादी हा।

सिल्क मखमली आगी पहिरिस, शोभा पाइस खादी हा।।1


बंधुआ कस बड़ दुख भोगे हें,अपने खेती बारी मा।

ये अँगेजी सत्ता सब के ,सुख ला काटे आरी मा।।2


सोन चिरैया के पाँखी ला, दुष्ट शिकारी मन नोंचे।

हमर देश के कोहिनूर ला, अपन मुकुट मा हे खोंचे।।3


सोच गुलामी के पीड़ा ला ,आँसू के बोहय धारी।

दाना दाना बर तरसाइन ,अंग्रेजन अत्याचारी।।4


आज़ादी के अब्बड़ कीमत ,सस्ता येला झन जानौं।

लहू सींच के बाग बचाये,गुण शहीद मन के मानौं।।5


आज परब आज़ादी के हे, आवव जश्न मनावौ जी।

भारत माता के पँउरी मा ,माथा अपन नवावौ जी।6


शान तिरंगा मान तिरंगा ,लहर लहर लहरावौ जी।

भारत भुइयां सबले बढ़िया, अपन भाग सँहरावौ जी।7



आशा देशमुख

एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा

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: *कुकुभ छंद*  *देश के सैनिक*


माथ नवावँव सैनिक मन ला, अपन देश बर लड़ जाथे।

मातृभूमि के रक्षा खातिर, सीना मा गोली खाथे।।


ये धरती के प्यारा बेटा, भारत के शान बढ़ाथे।

आँच कभू नइ आवन देवे, खुद के वो प्राण चघाथे।। 

जब जब आथे घर के सुरता, आँखी आँसू बोहाथे।

मातृभूमि के रक्षा खातिर, सीना मा गोली खाथे।।



देखत रहिथे रोज सुवारी, मोर पिया कब घर आही।

हँसी ठिठोली करबो मिल के, सुख दुख के बात बताही।।

मया मोह के बंधन तज के, घर ले दुरिहा हो जाथे।

मातृभूमि के रक्षा खातिर, सीना मा गोली खाथे।।


डटे रथे सीमा में सैनिक, आये आँधी या पानी।

अपन वचन ला पूरा करथे, निकले चाहे जिनगानी।।

खुद बलिदानी हो जाथे अउ, माटी के कर्ज चुकाथे।।

मातृभूमि के रक्षा खातिर, सीना मा गोली खाथे।।


प्रिया देवांगन *प्रियू*

*छंद सत्र- 13

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दोहा गीत(हमर तिरंगा)


लहर लहर लहरात हे,हमर तिरंगा आज।

इही हमर बर जान ए,इही  हमर ए लाज।

हाँसत  हे  मुस्कात  हे,जंगल  झाड़ी देख।

नँदिया झरना गात हे,बदलत हावय लेख।

जब्बर  छाती  तान  के, हवे  वीर  तैनात।

संसो  कहाँ  सुबे   हवे, नइहे  संसो   रात।

महतारी के लाल सब,मगन करे मिल काज।

लहर------------------------------ आज।


उत्तर  दक्षिण देख ले,पूरब पश्चिम झाँक।

भारत भुँइया ए हरे,कम झन तैंहर आँक।

गावय गाथा ला पवन,सूरज सँग मा चाँद।

उगे सुमत  के  हे फसल,नइहे बइरी काँद।

का  का  मैं  बतियाँव गा,हवै सोनहा राज।

लहर------------------------------लाज।


तीन रंग के हे ध्वजा, हरा गाजरी स्वेत।

जय हो भारत भारती,नाम सबो हे लेत।

कोटि कोटि परनाम हे,सरग बरोबर देस।

रहिथे सब मनखे इँहा, भेदभाव ला लेस।

जनम  धरे  हौं मैं इहाँ,हावय मोला नाज।

लहर-----------------------------लाज।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

कोरबा,छत्तीसगढ़

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देशभक्ति

एक दिन के देश भक्ति (सरसी छन्द)-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"


देशभक्ति चौदह के जागे, सोलह के छँट जाय।

पंद्रह तारिक के दिन बस सब, जय भारत चिल्लाय।


आय अगस्त महीना मा जब, आजादी के बेर।

देश भक्ति के गीत बजे बड़, गाँव शहर सब मेर।

लइका संग सियान मगन हे, झंडा हाथ उठाय।

पंद्रह तारिक के दिन बस सब, जय भारत चिल्लाय।


रँगे बसंती रंग म कोनो, कोनो हरा सफेद।

गावै हाथ तिरंगा थामे, भुला एक दिन भेद।

तीन रंग मा सजे तिरंगा, लहर लहर लहराय।

पंद्रह तारिक के दिन बस सब, जय भारत चिल्लाय।


ये दिन आये सबझन मनला, बलिदानी मन याद।

गूँजय लाल बहादुर गाँधी, भगत सुभाष अजाद।

देशभक्ति के भाव सबे दिन, अन्तस् रहे समाय।

पंद्रह तारिक के दिन बस सब, जय भारत चिल्लाय।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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2, अपन देस(शक्ति छंद)


पुजारी  बनौं मैं अपन देस के।

अहं जात भाँखा सबे लेस के।

करौं बंदना नित करौं आरती।

बसे मोर मन मा सदा भारती।


पसर मा धरे फूल अउ हार मा।

दरस बर खड़े मैं हवौं द्वार मा।

बँधाये  मया मीत डोरी  रहे।

सबो खूँट बगरे अँजोरी रहे।


बसे बस मया हा जिया भीतरी।

रहौं  तेल  बनके  दिया भीतरी।

इहाँ हे सबे झन अलग भेस के।

तभो  हे  घरो घर बिना बेंस के।

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चुनर ला करौं रंग धानी सहीं।

सजाके बनावौं ग रानी सहीं।

किसानी करौं अउ सियानी करौं।

अपन  देस  ला  मैं गियानी करौं।


वतन बर मरौं अउ वतन ला गढ़ौ।

करत  मात  सेवा  सदा  मैं  बढ़ौ।

फिकर नइ करौं अपन क्लेस के।

वतन बर बनौं घोड़वा रेस के---।

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जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"

बाल्को(कोरबा)

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3, कइसे जीत होही(सार छंद)


हमर देश मा भरे पड़े हे,कतको पाकिस्तानी।

जे मन चाहै ये माटी हा,होवै चानी चानी----।


देश प्रेम चिटको नइ जानै,करै बैर गद्दारी।

भाई चारा दया मया ला,काटै धरके आरी।

झगरा झंझट मार काट के,खोजै रोज बहाना।

महतारी  ले  मया करै नइ,देवै रहि रहि ताना।

पहिली ये मन ला समझावव,लात हाथ के बानी।

हमर देश मा भरे पड़े हे,कतको पाकिस्तानी--।


राजनीति  के  खेल निराला,खेलै  जइसे  पासा।

अपन सुवारथ बर बन नेता,काटै कतको आसा।

मातृभूमि के मोल न जानै,मानै सब कुछ गद्दी।

मनखे  मनके मन मा बोथै,जात पात के लद्दी।

फौज  फटाका  धरै फालतू,करै मौज मनमानी।

हमर देश मा भरे पड़े हे,कतको पाकिस्तानी--।


तमगा  ताकत  तोप  देख  के,काँपै  बैरी  डर मा।

फेर बढ़े हे भाव उँखर बड़,देख विभीषण घर मा।

घर मा  ये  मन  जात  पात  के,रोज मतावै गैरी।

ताकत हावय हाल देख के,चील असन अउ बैरी।

हाथ  मिलाके  बैरी  मन ले,बारे  घर  बन छानी।

हमर देश मा भरे पड़े हे,कतको पाकिस्तानी----।


खावय ये माटी के उपजे,गावय गुण परदेशी।

कटघेरा मा डार वतन ला,खुदे लड़त हे पेशी।

अँचरा फाड़य महतारी के,खंजर गोभय छाती।

मारय काटय घर वाले ला,पर ला भेजय पाती।

पलय बढ़य झन ये माटी मा,अइसन दुश्मन जानी।

हमर देश मा भरे पड़े हे,कतको पाकिस्तानी-----।


घर के बइला नाश करत हे, हरहा होके खेती।

हारे हन इतिहास झाँक लौ,इँखरे मन के सेती।

अपन देश के भेद खोल के,ताकत करथे आधा।

जीत भला  तब कइसे होही,घर के मनखे बाधा।

पहिली पहटावय ये मन ला,माँग सके झन पानी।

हमर देश मा भरे पड़े हे,कतको पाकिस्तानी----।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को(कोरबा) छग

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अंकुर के दोहे... 


आजादी बर देश के, पुरखा देइन जान ।

आइस तभे सुराज हा, राखव येकर मान ।।

राखव मान शहीद के, सदा करव सम्मान ।

रक्षा खातिर देश के, वीर गँवाइन प्राण ।।

आजादी बर देश के, दे दिस खुद के जान ।

अइसन वीर शहीद के, आव करन सम्मान ।।

भाई -भाई झन लड़व, बनही बिगड़े काम ।

सुमता मा बँध के रहव, चलही जग मा नाम ।।

झन कर तँय बिरथा करम, होही अपजस तोर ।

करबे सुग्घर काम ता, उड़ही अब्बड़ सोर ।।

सुम्मत के दीया जला, झन कर पर अपमान ।

गांधी जी के बात ले, मत रह तँय अनजान ।।


         ओमप्रकाश साहू "अंकुर "

          सुरगी, राजनांदगाँव

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अमर अटल बनहूँ फौजी (हेम के कुकुम्भ छंद)


कहिथे नोनी सुन दाई ला, अमर अटल बनहूँ फौजी।

अपन देश के रक्षा खातिर, करहूँ मँय हर मन मौजी।।


मोरो रग रग मा भारत हे, बनहूँ मँय हर मर्दानी।

सब दुश्मन ले लोहा लेहूँ, बन मँय झाँसी के रानी।।


जय भारत जय भाग्य विधाता, रोजे मँय गावँव गाथा।

हे भारत भुइँया महतारी, अपन लगालँव तोला माथा।।


बइरी मन के काल बनव मँय, घुसे नहीं सीमा द्वारी।

खड़े तान के सीना रइहूँ, सौ सौ झन बर मँय भारी।।


काली दुर्गा रणचंडी बन, बइरी ला मार भगाहूँ।

भारत के वीर तिरंगा ला, सदा सदा मँय लहराहूँ।।


अटल खड़े रइहूँ पहाड़ जस, अपन देश के मँय सीमा।

देख देख बइरी मन भागय, ताकत रखहूँ जस भीमा।।


दुश्मन कतको मार भगाहूँ, रहूँ एकदम मँय चंगा।

मर जाहूँ ता पहिरा देबे, मोला तँय कफन तिरंगा।।


जय भारत जय भारतीय के, बोले दुनिया जयकारा।

अपन वीर बलिदानी मन के, गूँजय सबो डहर नारा।।


-हेमलाल साहू

छंद साधक सत्र-01

ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

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सार छंद - हमर तिरंगा


तीन रंग के हमर तिरंगा, लहर लहर लहराही।

डोल वीरता अमन चैन के, सुग्घर गीत सुनाही।।

रंग केसरी सादा हरियर, जन गण मन ला भाथे।

नील चक्र मा धम्म ध्वजा हर, फहर फहर फहराथे।। 


जन्म भूमि मा गौतम ज्ञानी, ध्यान ज्ञान ला पागे।

पंचशील अउ अष्टांगिक ले, जग ला राह दिखागे।।

मूलनिवासी भारत वासी, वंशी नाग कहाथें।।

जल जंगल माटी के सेवक, दुनिया देश बचाथें।।


बोय धान गहुॅ दलहन तिलहन, खेत किसान कमाये। 

भारत माता के अॅचरा मा, सोन सोन बरसाये।।

रिमझिम रिमझिम सावन बरसय, बादर कारी कारी। 

हाथ तिरंगा झंडा धरके, कुलकय सब नर नारी।।


जनम धरिंन हें वीर शिवाजी, गौरव राष्ट्र बढ़ागें।

भारत के रक्षा बर बेटा, अपने प्राण गवागें।।

बोस भगत आजाद राज गुरु, अड़बड़ लड़िन लड़ाई।

हाॅसत हाॅसत फाॅसी चढ़गिन, सत्य इहीं हे भाई।।


देश भारती लोग भारती, झंडा ला फहराओ

देश अजादी के उत्सव ला, जुरमिल सबो मनाओ।।

बलिदानी सब वीरन मन के, चरनन फूल चढ़ाबो।

धरा धाम के रक्षा करबो, बैरी मार गिराबो।।

रामकली कारे बालको 

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कुण्डलिया छंद - श्लेष चन्द्राकर

(1)

आजादी के दिन हरय, सब ले बड़े तिहार।

चलव मनाबो हम बने, हो जावव तइयार।।

हो जावव तइयार, तिरंगा ला फहराबो।

राष्ट्र-गान ला नीक, एक सुर मा सब गाबो।।

मिलत हमन ला आज, सबो सुविधा बुनियादी।

भूलव झन ये गोठ, फलत सुग्घर आजादी।।

(2)

गावव वंदेमातरम, राहव झन खामोश।

सुरता वीरन ला करव, भरव सबो मा जोश।।

भरव सबो मा जोश, सुनाके अमर कहानी।

मातृभूमि बर लोग, दिहिन कइसे कुर्बानी।।

स्वतंत्रता के पर्व, सबो झन बने मनावव।

देशभक्ति के गीत, आज सब मिलके गावव।। 


छंदकार - श्लेष चन्द्राकर

पता - खैरा बाड़ा, गुड़रु पारा, वार्ड नं.-27,

महासमुंद (छत्तीसगढ़)

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[8/15, 6:12 PM] विजेन्द्र: कुण्डलिया छंद- विजेन्द्र वर्मा


भारत माँ के वीर मन, करिन देश आजाद।

हाँसय छाती तान के, गर मा फंदा लाद।

गर मा फंदा लाद, अपन देइन बलिदानी।

लानिन नवा बिहान, देश बर दे कुर्बानी।

कतका दुख ला भोग, लिखिन हे नवा इबारत।

माथ नँवाके आज, कहव जय हो जय भारत।।


चंदन जइसे हे हमर, माटी बड़ ममहात।

येकर रक्षा मा लगे, हवय वीर  तैनात।

हवय वीर तैनात, रात दिन पहरा देथे।

बइरी काहय भाग, नींछ खड़री ला लेथे।

माटी बर दय जान, वीर सैनिक ला वंदन।

महर-महर ममहात, हमर माटी हे चंदन।।


विजेन्द्र वर्मा

नगरगाँव (धरसीवाँ)

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दोहा चौपाई छंद-द्वारिका प्रसाद लहरे


भाई-चारा एकता,भारत के पहिचान।

मिलके रहिथन संग मा,कोनों नोहन आन।।


भारत भुँइयाँ के गुन गावौं।

होत बिहनिया माथ नवावौं।।

ये माटी मा जनम बितावौं।

सात जनम बर येला पावौं।।


तीन रंग के धजा तिरंगा।

देखत मा मन होवय चंगा।।

हमर एकता भाई-चारा।

रहिथन मिलके झारा-झारा।।


ऊँचा भारत देश के,राहय जग मा भाल।

सबो बढ़ाबो मान ला,हम भारत के लाल।।


सरग बरोबर भारत भुँइयाँ।

झरना सागर लागय पँइयाँ।।

तरिया नदिया पाँव पखारे।

खड़े हिमालय बाँह पसारे।।


अब्बड़ सोहे हवय पहाड़ी।

हरियर-हरियय जंगल झाड़ी।।

फूल बाग के पहिरे साँटी।

खेत-खार के महके माटी।।


पावन भारत देश के,कतका करँव बखान।

सरग बरोबर लागथे,सुख के इहाँ खदान।।


जगत गुरू भारत कहिलावै।

सोन चिरइयाँ जग दुलरावै।।

अजर-अमर भारत के गाथा।

जुग-जुग टेंकय जग हा माथा।।


आनी-बानी गहना गोंटी।

भरे धान के सुघ्घर ओंटी।

जीव-जगत ला पार लगावै।

भारत भुँइयाँ सब ला भावै।।


वंदन भारत देश ला,जग मा हवय महान।

नमन् हवय सब वीर ला,जे होगें बलिदान।।


छंदकार

द्वारिका प्रसाद लहरे

बायपास रोड़ कवर्धा 

छत्तीसगढ़

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आल्हा छंद: आजाद


मिलिस हवय आजादी जब ले,

हम सब होगे हन आजाद। 

कहाँ मानथन कखरो कहना, 

करत हवन सब ला बरबाद। 


का सपना देखिन पुरखा मन, 

जेखर बर आजादी लाय। 

माटी खातिर पगला बन के, 

लड़त-लड़त सब जान गँवाय। 


स्वारथ मा सब याद करत हन,

घड़ियाली आँसू बोहाय। 

भाषण झाड़त रहिथन दिनभर,

दिन निकलत सबकुछ बिसराय। 


सरग बरोबर सपना देखे, 

नरक सहीं करदे हन हाल। 

सबो डहर कचरा फइले हे, 

भारत माँ दिखथे कंगाल। 


हिजगा पारी मा सब छोड़न, 

हमला का करना हे बोल। 

अवसर पाके कतको झन मन, 

करत हवँय जी भारी झोल। 


अपन पाँव मा मार कुल्हाड़ी, 

बोहावत हन आँसू धार।

बछर पछत्तर तको बीत गे, 

नइ होइस हे बेड़ा पार। 


चला मनाबो परब अजादी, 

कर लेथन थोरिक चल याद। 

तहाँ रोज कस ढर्रा चलही, 

काबर की हम हन आजाद। 


रचनाकार- दिलीप कुमार वर्मा 

बलौदाबाजार

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कवि बादल: *जय भारत माता*

(चौपाई छंद)

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जय जय हो जय भारत माता । जय किसान जय भाग्य विधाता।।

 धजा तिरंगा के जय जय हो। नजर परे बैरी मा भय हो।।


 जय शहीद बलिदानी मन के। हिंद निवासी जम्मों झन के।।

 अजर अमर हे भारत माता। तहीं हमर अच भाग्य विधाता।।


 शांति दूत जग जाहिर गाँधी। जे सुराज के लाइस आँधी।।

 बाल पाल अउ लाल जवाहर। लौह पुरुष सब हवयँ उजागर ।।


जय सुभाष जे फौज बनाइच। आजादी के अलख जगाइच।।

भगत सिंग बिस्मिल गुरु अफजल। गोरा मन के टोरिन नसबल।।


 ऊँचा माथ चंद्रशेखर के। गौरव गाथा हे घर घर के।।

 रानी लक्ष्मी झाँसी वाली। दुर्गावती लड़िस जस काली ।।


 कतको झन हावयँ बलिदानी। उनकर कोनो नइये सानी।। 

महराणा वो चेतक वाला। जेन अपन नइ छोड़िच भाला ।।


 वीर शिवाजी सुरता आथे। रोम-रोम पुलकित हो जाथे।।

 देवभूमि माँ हे कल्यानी। पबरित गंगा जमुना पानी ।।


सेवा मा सब हावय अरपन। भारतवासी के  तन मन  धन।।  

 रहिबे छाहित भारत माता ।सरग सहीं सब सुख के दाता ।।


चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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दोहे: *देशभक्ति*🇮🇳🇮🇳


रक्षा करबो देश के, नइ आवन दन आँच।

बैरी बन ललकारहीं, ओला देबो खाँच।

   

आजादी के रूख ला, रखबो खूब सम्हाल। 

अपन लहू ला छींचबो, नइ मुरझावै डाल। 


रक्षा खातिर देश के, भेदभाव सब टार।

सुरता करव शहीद के, देखव आँख उघार।

     

करँय गरब माँ बाप हा, होवय पूत शहीद।

अइसन बेटा ला नमन, करय लड़े बर जीद।

  

फाँसी चढ़ेव देश बर, राज भगत सुखदेव।

करँव नमन तुहँला सदा, माँ के लाज रखेव। 

    

कतको इहाँ तिहार हे, राहय कोई वार। 

सब्बो ले सुग्घर हवै, ये राष्ट्रीय तिहार।

     

जाति-धरम ला टार दव, भाई-भाई आन। 

मिट जाबो हम देश बर, भारत के संतान।

      

बोस भगत मन देश बर, होगें हवँय शहीद। 

तभे खुशी से मान थन, दीवाली अउ ईद।


भारत माँ के पूत मैं, मोरे ले उम्मीद।

दस-दस झन ला मारके, होगे हवँव शहीद।

   

माँग उजर गय सैकड़ों, सुन्ना होगय गोद।

बिजय मिलिस गा अंत मा, छागय बड़ आमोद।

   

      

भेजइया:-धन्नूलाल भास्कर 'मुंगेलिहा' 

              लोरमी, जि.मुंगेली (छ.ग.) 

                साधक सत्र  - 15

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दोहा छंद-संतोष कुमार साहू


पन्द्रह अगस्त तिहार ला,मानन बढ़िया आज।

भारत माँ के जोर से,जय कर लन आवाज।।


इही दिवस के आज गा,होयन हम आजाद।

बलिदानी मन के सबो,सुग्घर कर लन याद।।


आजादी के मान ला,सदा रखन सब पास।

भूलावन झन हम कभू,मानन एला खास।।


भारत माँ हा अब  कभू,अउ झन होय गुलाम।

राहन सबो सचेत हम,सबके राहय काम।।


छंदकार-संतोष कुमार साहू

रसेला,जिला-गरियाबंद, छ.ग.

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विधा-दोहा छंद

शीर्षक-देशभक्ति


हमर तिरंगा  शान हे, रहय अमर  ये छाप।

तन मन ले सेवा करव, ये भुइँया के आप।।


महू  पूत  हँव  हिंद  के, बघवा  मोला जान।

सिधवा बर सिधवा हरँव, बैरी बर तन हान।।


देशभक्ति ले तँय बता, का हे बड़का सार।

देह समरपन  मोर  हे, माटी मया अपार।।


स्वतंत्रता  बर देश के, मिटगे कतको आन।

राजगुरू शेखर खुदी, देदिस अपन परान।।


ये माटी  के पूत  तँय, करजा  अपन उतार।

कर ले सेवा  देश के, जिनगी  दिन हे चार।।


नागेश कश्यप.

कुंवागाँव, मुंगेली छ.ग.।।

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विष्नुपद छंद


आजादी ला पाये हावन, बड़ हम मुश्किल मा।

हवय अभी ले चिंगारी बड़, भभकत हे दिल मा।।


कतको कुर्बानी दे हन जब, ये दिन आइस हे।

लहर लहर ये  हमर तिरंगा, तब लहराइस हे।।


नमन वीर सैनिक मन ला अउ, नमन तोर भुइँया।

केसरिया सादा अउ हरियर, अँचरा हे मइया।।


भुइँया के रक्षा खातिर जें, देथे प्रान इहाँ।

अइसन वीर सपूत ल दे सब, बड़ सम्मान इहाँ।।


दाई के सुग्घर अँचरा मा, अब झन दाग लगे।

कोनो ठगिया बनके छलिया, अब झन आज ठगे।।


देशभक्ति झन दिखय एकदिन, सब दिन हो दिल मा।

मान करव ये मिले हवय दिन, हम ला मुश्किल मा।।


ज्ञानुदास मानिकपुरी

चंदेनी- कवर्धा

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 दोहे: *देशभक्ति*🇮🇳🇮🇳


रक्षा करबो देश के, नइ आवन दन आँच।

बैरी बन ललकारहीं, ओला देबो खाँच।

   

आजादी के पेड़ ला, रखबो खूब सम्हाल। 

अपन लहू ला छींचबो, नइ मुरझावै डाल। 


रक्षा खातिर देश के, भेदभाव सब टार।

सुरता करव शहीद के, देखव आँख उघार।

     

करँय गरब माँ बाप हा, होवय पूत शहीद।

अइसन बेटा ला नमन, करय लड़े बर जीद।

  

फाँसी चढ़ेव देश बर, राज भगत सुखदेव।

करँव नमन तुहँला सदा, माँ के लाज रखेव। 

    

कतको इहाँ तिहार हे, राहय कोई वार। 

सब्बो ले सुग्घर हवै, ये राष्ट्रीय तिहार।

     

जाति-धरम ला टार दव, भाई-भाई आन। 

मिट जाबो हम देश बर, भारत के संतान।

      

बोस भगत मन देश बर, होगें हवँय शहीद। 

तभे खुशी से मान थन, दीवाली अउ ईद।


भारत माँ के पूत मैं, मोरे ले उम्मीद।

दस-दस झन ला मारके, होगे हवँव शहीद।

   

माँग उजर गय सैकड़ों, सुन्ना होगय गोद।

बिजय मिलिस गा अंत मा, छागय बड़ आमोद।

   

      जय हिन्द 🇮🇳🙏

भेजइया:-धन्नूलाल भास्कर 'मुंगेलिहा' 

              लोरमी, जि.मुंगेली (छ.ग.) 

                साधक सत्र  - 15

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*देश भक्ति दोहा*


सीमा मा जम्मो खड़े, सैनिक छाती तान।

भारत के रक्षा करँय, दे के अपन परान।।


भारत के सरहद खड़े, सेना गजब महान।

विपदा आवय देश मा, लड़ के राखँय मान।।


देश भक्त बलिदान दे, करवाइन आजाद।

मोर सोनहा देश हा, झन होवय बरबाद।।


आसमान लहरात हे, ध्वजा तिरंगा आज।

चाहे जावय जान हा, एखर राखव लाज।।


राजगुरू आजाद अउ, बिस्मिल उल्ला खान।

भारत खातिर हाँस के, करिन अपन बलिदान।।


जाति धरम बर झन लड़व, जुरमिल राहव एक।

फूट होय झन देश मा, काम करव सब नेक।।


देश सुरक्षा मा घलो, होवय सबके ध्यान।

अब तियार राहय सदा, हर घर एक जवान।।


त्याग करव अइसन सबो, काम देश केआय।

भारत खातिर लड़ भिड़व, भले जान हा जाय।।


जानव समझव अब सबो, आजादी के हाल।

कतको उजड़े माँग हा, कखरो खो गे लाल।।




भागवत प्रसाद चन्द्राकर

ग्राम-डमरु

बलौदाबाजार

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- दोहा छन्द

शीर्षक-देशभक्ति


कोनो बैरी हा कहूँ, हम ला आँख दिखाय।

किरिया हाबय देश के, जगत देख नइ पाय।।


माटी हे चंदन असन, सोना जइसन धान।

दाई अइसन देश के, बने रखव सब ध्यान।।


इंकलाब के घोष मा, भारी राहय जोश।

सुन गोरा सरकार के, उड़ जावय गा होश।। 


भगत राजगुरु बोस के, बारे मा सुन बात।

देश प्रेम के भावना, रग रग मा भर जात।।


देश भक्त सुखदेव अउ, वीर भगत आजाद।

तुँहर वीरता ला सदा, करही देश ह याद।।


🙏नारायण प्रसाद साहू

     आगेसरा (अरकार)

     जिला-दुर्ग(छत्तीसगढ़)

     छन्द साधक सत्र-15

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मनोज वर्मा: दोहा छंद 


लहर लहर लहरात हे, बने तिरंगा शान।

तोरे सेवा बर खड़े, सैनिक सीना तान।।


सुघर तोर मॉं भारती, हावय वीर सपूत।

बैरी मन बर काल बन, लागे यम के दूत।।


सरदी गरमी हर रहय, या होवय बरसात।

पानी हवा जमीन मा, पहरा दय दिन रात।।


तन मन ला अरपन करें, देशभक्ति मा सान।

तोरे सेवा बर खड़े, सैनिक सीना तान।।

लहर लहर लहरात हे, भारत मॉं के मान....


सींच लहू तन के अपन, सुतगे अॅंचरा छॉंव।

होगे बलिदानी अमर, लेके तोरे नॉंव।।


गात अजादी गीत ला, नाचत गावत झूम।

चढ़गे फॉंसी लाल सब, रस्सी ला तब चूम।।


स्वतंत्रता के राग मा, चढ़े जवानी जीद।

नमन करव सब वीर ला, होगे जेन शहीद।।


जेखर यश के गीत ला, गावत हे भगवान।  

लहर लहर लहरात हे, बने तिरंगा शान।

तोरे सेवा बर खड़े, सैनिक सीना तान......

    


मनोज कुमार वर्मा

बरदा लवन बलौदा बाजार

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: कुण्डलिया छंद


आजादी


गावव गाथा गान ला, सब मनखे मन आज।

महतारी के लाल मन, करलव सुग्घर काज।

करलव सुग्घर काज, मिले हे अब आजादी।

स्वारथ ला अब छोड़, बनव झन अवसरवादी।

देश धरम बर लोग, एकजुट अब हो जावव।

छाती तानें आज, देश के गाथा गावव।।


संगीता वर्मा तरंगिणी

भिलाई, अवधपुरी

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★★★★★

ए धरती ला हे नमन, जहां जनम हम लेन।

जेकर धुर्रा खेल के, अतका जड़ बाढ़ेन ।।

★★★★★

अंग्रेजी शासन चलय, सब झन बड़ दुख पाय।

सत्याग्रह के जोर ले, गांधी बबा भगाय ।।

★★★★★

बोस तिलक आजाद अउ, भगत गुरू सुखदेव।

कुर्बानी रद्दा चले, नाव अमर कर लेव।।

★★★★★

ऊंचा झण्डा हा  रहय, बाढ़य एकर शान।

आजादी के पर्व मा, झूमे लइका सियान ।।

★★★★★

देशभक्ति मन मा रहय, राखव सेवा भाव।

रक्षा खातिर देश के,  जीवन अपन लगाव ।।

★★★★★

आजादी बर देश के, देदिन कतको प्राण।

कीमत एकर सोच लव, राखव एकर मान।।



आशुतोष साहू

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कुण्डलिया- अजय "अमृतांशु"


आजादी के रंग मा, रंगे हवय परिवेश।

रंग बसंती छाय हे, झूमत हावय देश।।

झूमत हावय देश, भगतसिंह सुरता आथे।

खुदीराम के त्याग, जोश मन मा भर जाथे।।

सुन गाँधी के गोठ, देश मा छागे खादी।

कतको दिन बलिदान, पाय बर ये आजादी।।


आजादी के ये परब, जुरमिल सबो मनाव।

धजा तिरंगा शान ले, लहर लहर लहराव।

लहर लहर लहराव, मान येकर सब कर लव। 

देश प्रेम के गोठ, सबो गठिया के धर लव। 

बढ़ही निसदिन शान, पहिरही जब सब खादी। 

बड़ मुसकुल ले जान, मिले हावय आजादी।


अजय साहू"अमृतांशु"

भाटापारा(छत्तीसगढ़)

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 दोहा-


जनम धरे हन हम जिहाँ, करबो येकर मान।

आवय कोनो आँच झन, जावय चाहे जान।।


धन्य भाग हावय हमर, हमन  हिन्द संतान।

हिलमिल के रहिथन इहाँ, रखबो येकर मान।।


जनम दुबारा जब मिलय, जनमँव भारत देश।

सबो  धरम  के  मेल  हे,  सुघ्घर  हे  परिवेश।।


लहू  बूँद  तन  के  कहूँ, आय  देश  के  काम।

जीवन   न्योछावर  करँव,  ये  माटी  के  नाम।।


द्रोपती साहू "सरसिज"

महासमुन्द, छत्तीसगढ़

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6 comments:

  1. आजादी के पावन परब
    सुग्घर छंदमय संकलन

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  2. बहुत सुघ्घर संकलन आजादी परब मा गुरुदेव ला सादर प्रणाम सबो छंदकार मन ला बहुत बहुत बधाई

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  3. बहुत सुग्घर संकलन।
    गुरुजन मन ला अउ सबो साधक भाई बहिनी मन ला स्वतंत्रता दिवस के गाड़ा गाड़ा बधाई।

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  4. बहुत सुघ्घर संकलन सबो गुरु देव मन ला हार्दिक बधाई

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  5. वाह वाह
    बहुत बढ़िया देशभक्ति रचना के संकलन हे गुरुदेव
    स्वतंत्रता दिवस के बहुत बहुत बधाई हो

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  6. मोर रचना ल स्थान दे खातिर बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय गुरुदेव जी

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