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Wednesday, August 11, 2021

सार छंद गीत-द्वारिका प्रसाद लहरे"मौज"


 


सार छंद गीत-द्वारिका प्रसाद लहरे"मौज"


ममता करुणा के तँय मूरत,मोर मिनी माता ओ।

अघुवा बनके जोरे राहस,जन-जन ले नाता ओ।।


सतनामी के शान तहीं हा,महके जस फुलवारी।

सुमता समता लाके तँय हा,टारे जग अँधियारी।।

दुखिया मन के दु:ख हरइया,सुख के तँय दाता ओ।

ममता करुणा के तँय मूरत,मोर मिनी माता ओ।।

नारी मन के मान बढ़ाये,पहली संसद बनके।

सत्य राह मा निसदिन तँय हा,चले रहे ओ तनके।।

दीन हीन सब मनखे मनके,तँय भाग बिधाता ओ।

ममता करुणा के तँय मूरत,मोर मिनी माता ओ।।


तोर सहीं महिमा वाले अब,नइ हें कोनो दूजा।

जब तक चाँद सुरुज हा रइही,जुग-जुग होही पूजा।।

भाई-चारा अमर एकता,सब मा उद्गाता ओ।।

ममता करुणा के तँय मूरत,मोर मिनी माता ओ।।


 द्वारिका प्रसाद लहरे"मौज"

व्याख्याता/शा.उ.मा.वि.इंदौरी

बायपास रोड कवर्धा

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