सार छंद गीत-द्वारिका प्रसाद लहरे"मौज"
ममता करुणा के तँय मूरत,मोर मिनी माता ओ।
अघुवा बनके जोरे राहस,जन-जन ले नाता ओ।।
सतनामी के शान तहीं हा,महके जस फुलवारी।
सुमता समता लाके तँय हा,टारे जग अँधियारी।।
दुखिया मन के दु:ख हरइया,सुख के तँय दाता ओ।
ममता करुणा के तँय मूरत,मोर मिनी माता ओ।।
नारी मन के मान बढ़ाये,पहली संसद बनके।
सत्य राह मा निसदिन तँय हा,चले रहे ओ तनके।।
दीन हीन सब मनखे मनके,तँय भाग बिधाता ओ।
ममता करुणा के तँय मूरत,मोर मिनी माता ओ।।
तोर सहीं महिमा वाले अब,नइ हें कोनो दूजा।
जब तक चाँद सुरुज हा रइही,जुग-जुग होही पूजा।।
भाई-चारा अमर एकता,सब मा उद्गाता ओ।।
ममता करुणा के तँय मूरत,मोर मिनी माता ओ।।
द्वारिका प्रसाद लहरे"मौज"
व्याख्याता/शा.उ.मा.वि.इंदौरी
बायपास रोड कवर्धा
शत शत नमन
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