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Wednesday, August 11, 2021

लावणी छंद


 

लावणी छंद 


अट्ठारह सौ छियानबे के, बात बतावत हँव तोला।

पड़े रहय जब अकाल भारी, बेच डरिन सब घर कोला।।


तीन बछर के अकाल बैरी, कमर सबो के टोर डरे।

दाना दाना बर सब तरसे, लोगन भूखन प्यास मरे।।


पंडरिया के गाँव सगोना, मालगुजार बुधारी जी।

खाय कमाये निकल पड़े तब, संग पत्नि बुधियारी जी।।


चाउँरमति अउ पारबती, देवमती तीनों बेटी।

छोट छोट लइका ला राखे, मुड़ी उठाये दुख पेटी।।


चले कमाये असम राज मा, सब्बो बैठ रेलगाड़ी।

बीच सफर मा दू बेटी के, देख जुड़ागे तन नाड़ी।।


भूख प्यास मा दू बेटी ला, परगे जिनगी ले खोना।

दिल मा पथरा बाँध रखे जी, कोंन सुनय ममता रोना।।


मातु पिता के गोद बचिस तब, देवमती बेटी इक झन।

कोंख येखरे जनम धरिस हे, मीनाक्षी अनमोल रतन।।


आगे चलके जेन कहाइस, ममता मयी मिनी माता।

दीन दुखी के बनिस मसीहा, छतीसगढ़ से रख नाता।।


सन उन्निस सौ तेरह के अउ, तेरह तारीख पहाती।

लेइस जनम मिनी माता जी, दहन होलिका के राती।।


असम राज के नवागांव मा, जनम धरे माटी पावन।

धन्य बुधारीदास पिता हो, माता बुधयारिन दामन।।


दग दग काया कंचन जइसे, चमके माँ सूरत भोली।

जग उद्धार करे बर आये, ममता भरके माँ ओली।।


जन्म ग्राम सलना ला छोड़े, जमुनामुख मा आ बसगे।

पाय प्राथमिक तक शिक्षा माँ, देश प्रेम तन मन रसगे।।


सतनामी समाज छत्तीसगढ़, अगमदास गुरु गोसाई।

रामत सामत करत पहुँचगे, असम राज के परछाई।।


निसंतान गुरु जी हा राहय, चिंता उत्तराधिकारी।

ब्याह करे बर मीनाक्षी से, बात करिस पिता बुधारी।।


कहे बुधारीदास संत जी, अहो भाग गुरु  हमरे हे।

बनहि बहू गुरु कुल मीनाक्षी, ओखर किस्मत सँवरे हे।।


दू तारीख जुलाई महिना,सन उन्निस सौ तीस रहे।

धूमधाम से शादी होगे, जन जन जय जयकार कहे।।


राजनीति मा अगुवा गुरु जी, काम करे जन प्रिय भावन।

लोकसभा मा सांसद बनगे, सन उन्निस सौ जी बावन।।


अगम दास सतलोकी होगे, तरस गये माँ सुख अंगद।

सन तिरुपन के उपचुनाव मा, बनिस मिनीमाता सांसद।।


मध्यप्रदेश अविभाजित के, सांसद पहिली महिला ये।

ज्ञानवान माँ प्रखर प्रवक्ता, विचार जेखर गहिला ये।।


तीन बार माँ लगातार जी, करिस सुशोभित खुद आसन।

बाँध रखे राहय मुट्ठी मा, सबो प्रशासन अउ शासन।।


सन उन्निस सौ इक्यासी मा, हसदो बाँध बनाये बर।

माँ प्रस्ताव रखिस संसद मा, भूख अकाल मिटाये बर।।


संसद ले मंजूरी ला के, बनगे माँ भाग्य विधाता।

नामकरण ला मिलके राखिन, बांगो बाँध मिनीमाता।।


माँगिस कानून एक अइसे, सत्रह अप्रैल तिरुपन के।

अश्पृश्यता करे निवारण, दुःख हरे माँ जन जन के।।


आठ मई उन्निस सौ पचपन, करिस राष्ट्रपति मंजूरी।

एक जून सन पचपन मा जी, सपना होइस माँ पूरी।।


बड़े बड़े नेता मन से तो, माँ के राहय पहिचानी।

रहिस इंदिरा खास करीबी, राखे खुदे स्वाभिमानी।।


श्रमिक हित मा कदम बढ़ाइस, देख इँखर जी करलाई।

छत्तीसगढ़ मजदूर संघ के, गठन करिस  तब भेलाई।।


कांड करिस गुरुवाइन डबरी, बन सवर्ण मन उन्मादी।

ला कटघरा खड़ा कर दिस माँ, तब सुनौ इंदिरा गाँधी।।


जिनगी ला अर्पण कर दिस माँ, जन जग दीन भलाई मा।

सत उपदेश धरे अँचरा गुरु, घासीदास दुहाई मा।।


काल बरोबर बनके आइस, ग्यारह अगस्त बहत्तर जी।

छोड़ सबो ला माता चल दिस, रोये धरती अम्बर जी।।


लौट चले आजा ओ माता, जन जन आज पुकारत हे।

गजानंद बन दुखिया बेटा, श्रद्धा सुमन चढ़ावत हे।।


इंजी. गजानंद पात्रे 'सत्यबोध'

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

मो. नं.-  8889747888


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