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Wednesday, August 11, 2021

कुकुभ छंद* - ममता मयी गुरु माता मिनी माता के पावन सुरता


 

*कुकुभ छंद* - ममता मयी गुरु माता  मिनी माता के पावन सुरता


*हे ममता मयी मिनी माता, जब सुरता तोरे आही|* 

 *आँखी ले तर तर तर दाई, आँसू मोरे बोहाही||* 


जिनगी भर बड़ टोरे तन ला, लड़े लड़ाई तँय भारी|

तभे हमन बन पाये हावन, छोटे मोटे अधिकारी||


बांध बनाये हिम्मत देके, छत्तीसगढ़हिन महतारी|

बाढ़िस हावय फसल सियारी, भागिस दुख के अँधियारी||


 *महिला मन बर रसदा बनगे, शिक्षा पाइन हितकारी|* *

 *तोर दया ले पढ़े लिखे बर, आगे बाढ़िन हे नारी||** 


तन बर बस्तर मन भर खाना, घर घर परचम लहराये|

हक अधिकार दिलाके दाई, भाग सबो के सहँराये||


जोर लगा के भेलाईमा, कलखाना तँय खुलवाये|

छत्तीसगढ़िया बेटा मन ला, रोजगार तँय दिलवाये||


संसद मा तँय खड़े रहे माँ, ममता राखे गुन भारी|

बिलख बिलख के रोवत हावन, सुरता मारे हुदकारी|| *


 *भेद मिटाये मनखे तन के, करे जगत ले रखवारी|** 

 *हाथ धरे तँय सुमता लाये, शोषित दुखिया सँगवारी||*


  छंद साधक

अश्वनी कोसरे

कवर्धा कबीरधाम

2 comments:

  1. ममतामयी मिनिनमाता जी ला सादर नमन🙏🌷

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