*कुकुभ छंद* - ममता मयी गुरु माता मिनी माता के पावन सुरता
*हे ममता मयी मिनी माता, जब सुरता तोरे आही|*
*आँखी ले तर तर तर दाई, आँसू मोरे बोहाही||*
जिनगी भर बड़ टोरे तन ला, लड़े लड़ाई तँय भारी|
तभे हमन बन पाये हावन, छोटे मोटे अधिकारी||
बांध बनाये हिम्मत देके, छत्तीसगढ़हिन महतारी|
बाढ़िस हावय फसल सियारी, भागिस दुख के अँधियारी||
*महिला मन बर रसदा बनगे, शिक्षा पाइन हितकारी|* *
*तोर दया ले पढ़े लिखे बर, आगे बाढ़िन हे नारी||**
तन बर बस्तर मन भर खाना, घर घर परचम लहराये|
हक अधिकार दिलाके दाई, भाग सबो के सहँराये||
जोर लगा के भेलाईमा, कलखाना तँय खुलवाये|
छत्तीसगढ़िया बेटा मन ला, रोजगार तँय दिलवाये||
संसद मा तँय खड़े रहे माँ, ममता राखे गुन भारी|
बिलख बिलख के रोवत हावन, सुरता मारे हुदकारी|| *
*भेद मिटाये मनखे तन के, करे जगत ले रखवारी|**
*हाथ धरे तँय सुमता लाये, शोषित दुखिया सँगवारी||*
छंद साधक
अश्वनी कोसरे
कवर्धा कबीरधाम
सादर नमन
ReplyDeleteममतामयी मिनिनमाता जी ला सादर नमन🙏🌷
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