Followers

Monday, November 23, 2020

कज्जल छंद - अनिल सलाम

 कज्जल छंद - अनिल सलाम


साफ-सफाई


साफ सफाई करव रोज

कचरा बीनव खोज खोज

बिनके गड्ढा देव बोज

रोग भागही सोज सोज।


बिहान 


होगे हावय गा बिहान 

चटनी बासी धर किसान 

खेत जात हे लुए धान

माटी के वो हे मितान।। 


मोह


बढ़य मोह झन कर गुमान

बन  भाई नेक इंसान 

झूठ कभू झन कर जुबान

सत गंगा मा सब नहान।।


गोरसी


लकड़ी करले खाप खाप

बार गोरसी ताप ताप

हरि हरि बस तँय नाम जाप

धुल जाही जी तोर पाप।।


गरम गरम कपड़ा सुहाय 

चटर पटर कुछ खाय जाय

ठंडा दिन हा अबड़ भाय

सब्बो साग अबड़ मिठाय।। 


पताल


दिखथे भारी लाल लाल

बारी फरे हवय पताल

चटनी मा लागय कमाल

होय खाय मा लाल गाल।।


सूपा


सूपा के करथँव बखान

फूनव चाँउर दार धान

बड़का येखर हवय मान

पूजय येला देव जान।।


करेजा


मोर करेजा चान चान

ले डारे तैंहा परान

गोरी मोरो बात मान

मोर डहर भी दे धियान।।


दिल मा रखले अपन जान

अपन बना ले ओ परान

साथ निभाहूँ बात मान 

मया भरे जिनगी बितान।।


छंद साधक - अनिल सलाम

गाँव - नयापारा उरैया

तहसील - नरहरपुर

जिला - कांकेर (छत्तीसगढ़)

1 comment: