कज्जल छंद- विजेन्द्र वर्मा
मोह
बइहा मोला तँय बनाय
मोह मया मा तो फँसाय
हिरदे मा अइसे समाय
मीठ बोल के बड़ लुभाय।
सपना देखत हवँव तोर
बइहा बनके करँव शोर
मूरख बनगे बुद्धि मोर
मोह मया के चलत जोर।
गावत हावँव मया गीत
बन जा संगी तही मीत
बाढ़त राहय सदा प्रीत
जिनगी के अब इही रीत।
मँदरस टपकय तोर बोल
जाथे नींयत मोर डोल
गाल गुलाबी दिखै गोल
कखरो से अब नहीं तोल।
विजेन्द्र वर्मा
नगरगाँव(धरसीवाँ)
जिला-रायपुर
बेहतरीन सर जी .💐💐
ReplyDeleteवाह वाह सर
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