माटी के दुलरुवा बेटा स्वर्गीय लक्ष्मण मस्तुरिया जी ला सादर काव्यांजलि
कुण्डलियाँ छन्द
मस्तुरिया ला आज मॅय , श्रद्धा सुमन चढाॅव ।
संग चलव मनखे सबो , कहे तोर दुहराॅव ।।
कहे तोर दुहराॅव , सबो मनखे जुरियाही ।
जब्बर बनही पेड़ , समय हा जल्दी आही।।
छत्तीसगढ़ी मान , बढा़ए जाके दुरिया ।
नमन करत हंव तोर , आज लक्ष्मण मस्तुरिया।।
माटी के महिमा लिखे , गुन गुन करे बखान।
तोरे परसादे मिलिस , छत्तीसगढ़ ल मान ।।
छत्तीसगढ़ ल मान , देवाए बेटा तॅयहा ।
सुरता करके तोर , आज रोवत हॅव मॅयहा।।
रचना रचे अपार , गरू तॅय हर लोहाटी।
माटी महिमा गान , करत सुतगे तॅय माटी।।
मस्तुरिया के नाम से , बने राज सम्मान।
मुखिया छत्तीसगढ़ के , देवव अब तो ध्यान।।
देवव अब तो ध्यान , सुघर हे मोरे कहना।
राजकीय सम्मान , बने लक्ष्मण के गहना।।
दावना हर गुहार , लिखत बइठे हे कुरिया ।
छत्तीसगढ़ी शान , हरे लक्ष्मण मस्तुरिया।।
छंद साधक
परमानंद बृजलाल दावना
भैंसबोड़
6260473556
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आशा आजाद: सरसी छंद गीत - आशा आजाद"कृति"
मस्तुरिया जी सान राज के, नेक रहिस इंसान ।
मानवता के पाठ पढ़ायिस, ए भुइयाँ के सान ।।
संग चलव रे गीत ल गाके, सुग्घर दिस संदेश ।।
दीन दुखी के संग चलव रे, कहिस मिटादव क्लेश ।
छत्तीसगढ़ म सोना जइसन, नायक के पहिचान ।
मानवता के पाठ पढ़ायिस, ए भुइयाँ के सान ।।
आशा आस्था उमंग साहस, युवा गीत के बोल ।
छत्तीसगढ़ी भाखा सुग्घर, ज्ञान दिहिन अनमोल ।
चंदैनी गोंदा मा कह दिस, हवे अधार किसान ।
मानवता के पाठ पढ़ायिस, ए भुइयाँ के सान ।।
रंगमंच के नायक राहिस, कला रहिस भरमार ।
ए भुइयाँ मा हीरा जइसन, बेटा के अवतार ।
वर्तमान मा ज्ञान दान हा, हमर हवे अभिमान ।
मानवता के पाठ पढ़ायिस, ए भुइयाँ के सान ।।
हमर राज के नेक धरोहर, गला म खूब मिठास ।
जन ला नित संदेश दिहिन जी, अंतस भर विश्वास ।
छत्तीसगढ़ी लेखन धारा, अमिट राज सम्मान ।
मानवता के पाठ पढ़ायिस, ए भुइयाँ के सान ।।
छंदकार - आशा आजाद"कृति"
पता - मानिकपुर कोरबा छत्तीसगढ़
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चोवाराम वर्मा बादल
छत्तीसगढ़ के नाम जगाये, माटी के जस गाके।
जनकवि हे लक्ष्मण मस्तुरिया,पावन कलम चलाके।।
महानदी के छलकत आँसू,सरु किसान के पीरा।
अउ गरीब ला हृदय बसाके, गाये गीत कबीरा।।
आखर आखर अलख जगाके,तैं अँजोर बगराये।
परे डरे कस मनखे मन बर,सुग्घर भाव जगाये।।
कर विरोध सब शोषक मन के,हक बर लड़े सिखोये।
दुखिया के बन दुखिया संगी, बीज मया के बोये।।
लोक गीत के ऊँचा झंडा, फहर फहर फहराये।
छत्तीसगढ़ियापन के लोहा,सरी जगत मनवाये।।
झुके नहीं तैं पद पइसा मा,कलाकार के सँगवारी।
पाये नहीं भले तैं तमगा, कोनो जी सरकारी।।
जन जन के हिरदे मा बसथस,सुरता मा लपटाये।
श्रद्धांजलि देवत हे 'बादल', तोला मूँड़ नँवाये।।
चोवा राम 'बादल'
हथबंद, छत्तीसगढ़
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आल्हा छंद- विजेन्द्र वर्मा
रिहिस हवै जी माटी बेटा,कहय चलव जी मोरे संग।
गिरे परे हपटे मन हा तब,रँगत रिहिन हे ओकर रंग।1।
हमर राज के राजा बेटा, लक्ष्मण मस्तुरिया हे नाँव।
गीत लिखे जी आनी बानी,गूँजय गली गली हर ठाँव।2।
कलम गढ़े जन जन के पीरा,परदेशी बर बनजय काल।
हितवा मन के हितवा बनके,बइरी बर डोमी विकराल।3।
रद्दा सुमता मा चलके जी,स्वारथ छोड़व अब इंसान।
कहत रिहिन हे लक्ष्मण भइया,बेंचव झन कोनो ईमान।4।
बसे हवै जन जन के हिरदे,गावयँ सुग्घर गुरतुर गीत।
परे डरे ला साथ लान के,बना डरिस जी सब ला मीत।5।
भरे रहै जी तन मा गरदा,अंतस जेकर हे अँधियार।
दीप जला के करदय लक्ष्मण,मन ला ओकर जी उजियार।6।
देश धरम बर काम करिन हे,देवत रिहिन मया के छाँव।
हाथ जोड़ के पाँव परत हँव,अमर रहय जी ओकर नाँव।7।
विजेन्द्र वर्मा
नगरगाँव(धरसीवाँ)
जिला-रायपुर
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ज्ञानु
संग चलव सब मोर कहइया।
दया मया के गीत गवइया।।
छ्त्तीसगढ़ के मान बढ़इया।
कहाँ गए तँय लक्ष्मण भइया।।
गिरे परे ला इहाँ उठइया।
भटके मन ला राह बतइया।।
सोवइया ला सदा जगइया।
कहाँ गए तँय लक्ष्मण भइया।।
बइरी बर फुफकार करइया।
शोषक मन ला आँख दिखइया।।
जनता बर आवाज उठइया।
कहाँ गए तँय लक्ष्मण भइया।।
नाम अमर जग मा मस्तुरिया।
छत्तीसगढिया सबले बढ़िया।।
स्वाभिमान हुंकार भरइया।
कहाँ गए तँय लक्ष्मण भइया।।
ज्ञानु
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अनमोल संग्रह
ReplyDeleteअनमोल संग्रह
ReplyDeleteबहुत सुग्घर संकलन
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