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Tuesday, November 24, 2020

कज्जल छंद --आशा देशमुख

 कज्जल छंद --आशा देशमुख


जाल


फाँसत हावय मोह जाल।

द्वारी मा हे खड़े काल।

मनखे अब्बड़ चले चाल।

सुख हा होगे फ़टे हाल।


हमर देश


भारत देश हवय महान।

जय जवान अउ जय किसान।

बड़का बड़का हे खदान।

होवत हे हर जगह मान।


बचपन


लइका मन के सुघर खेल

कंधा धरके बने रेल।

चोर पुलिस अउ धरे जेल।

थोकिन झगड़ा होय मेल।


रीति रिवाज


सुघ्घर लागय लोक रीत।

सुआ ददरिया मया गीत।

खेत खार हे हमर मीत।

जिनगी मा हे हार जीत।


जिनगी


अबड़ मिठावय साग भात।

बीतय दिन सुख चैन रात।

दुख के झन तो परे लात।

सब मनखे हो एक जात।



आशा देशमुख

एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा

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