शंकर छंद - श्लेष चन्द्राकर
विषय - मोबाइल टॉवर
मोबाइल के टॉवर सेती, सबो हे हलकान।
येकर विकिरण अलकरहा हे, करत बड़ नुकसान।।
जघा-जघा मा आज इखँर गा, बिछे हावय जाल।
चिरई चुरगुन अउ मनखे के, बनत हे ये काल।।
टॉवर के सेती होवत हे, ब्रेन ट्यूमर रोग।
घातक केंसर के पीरा ला, सहत हावय लोग।।
होत दिमागी बीमारी गा, खीक हे ये मान।
इखँर फायदा कमती हावय, अबड़ हे नुकसान।।
विषय - नरई
खेतखार के नरई मन मा, लगावव झन आग।
हाथ-गोड मा लग जाथे गा, केंरवस के दाग।।
हवा प्रदूषित होथे जानव, हरे राखड़ खीक।
नांगर चलवा नरई मन ला, पाट देना ठीक।।
आग लगाथव जब नरई ला, बिगड़थे गा खेत।
काम अकल के कर लव संगी, बखत रहिते चेत।।
कभू प्रदूषण झन बगरय जी, करव अइसे काम।
झन खराब गा होवन देहू, किसनहा के नाम।।
विषय- जंगली जानवर के संरक्षण
हुर्रा भलुवा चितवा बघवा, सिरावत हे आज।
गाँव-गाँव के जंगल मन मा, करत मनखे राज।।
जीव-जंतु ला पकड़े बर गा, बिछावत हे जाल।
मार-मार के खावत हावय, उखँर बेचत खाल।।
सबो जानवर जंगल मन के, घटत हावय रोज।
मिलय नहीं गा अब देखे बर, करव कतको खोज।।
लालच मा आके मनखे हा, गिरत हावय घात।
कल सवाल लइका मन करही, बताही का बात।।
वन्य जीव ला झन मारव जी, हरय वन के शान।
जुलुम उखँर ऊपर करहू ता, रिसाही भगवान।।
हरय प्रकृति के येमन सब जी, अंग जानव खास।
इखँर निशानी बचे रहे गा, करव सबो प्रयास।।
छंदकार - श्लेष चन्द्राकर,
पता - खैरा बाड़ा, गुड़रु पारा, वार्ड नं. 27, महासमुन्द (छत्तीसगढ़) पिन-493445
छंद खजाना मा मोर प्रयास रा जघा दे बर धन्यवाद
ReplyDeleteBahut hi sunadar rachna hai guru ji
Deleteवाह वाह चन्द्राकर जी। बहुतेच सुग्घर ,सारगर्भित शंकर छंद सृजन बर आप ला हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteउत्साहवर्धन करे बर हार्दिक आभार गुरुदेव
Deleteवाह वाह चन्द्राकर जी। बहुतेच सुग्घर ,सारगर्भित शंकर छंद सृजन बर आप ला हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत हवय आपके जम्मो रचना,एकर बर आप ला हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteहार्दिक आभार भाई
Deleteबहुत खूब सर जी
ReplyDeleteएक छंद म अनेक बिषय
बड़ सुग्घर
उत्साहवर्धन करे बर हार्दिक आभार भैया
Deleteबहुत बढ़िया चंद्राकर जी बधाई हो
ReplyDeleteउत्साहवर्धन करे बर हार्दिक आभार भैया
Deleteबड़ सुग्घर भाव रखे शंकर छंद के रचना,बधाई श्लेष जी।।
ReplyDeleteउत्साहवर्धन करे बर हार्दिक आभार
Deleteबहुत सुंदर सृजन सर जी बधाई
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteबहुत बहुत बधाई श्लेष भाई
ReplyDeleteहार्दिक आभार भाई
Deleteबहुत सुग्घर सर जी बधाई हो
ReplyDeleteहार्दिक आभार
ReplyDeleteबहुत सुंदर , हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteउत्साहवर्धन करने के लिए हार्दिक आभार सर
Deleteसुग्घर संग्रह। बधाई
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई सर
ReplyDeleteहार्दिक आभार सर
Deleteबहुत बहुत बधाई सर
ReplyDeleteवाह-वाह
ReplyDeleteजी, हार्दिक आभार आपका
Deleteशानदार 👌👌
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका सर
Deleteबहुत बढ़िया रचना सर जी
ReplyDeleteबधाई हो
महेन्द्र देवांगन माटी
हार्दिक आभार सर जी
Deleteवाहःह बहुत बढ़िया सार्थक सृजन
ReplyDeleteहार्दिक आभार दीदी
DeleteBahut sunder aur satya hai sir Ji
ReplyDeleteAapke wani jaisa meetha hai aapki
Kavita.
जी, उत्साहवर्धन करने के लिए हार्दिक आभार आपका
Deleteबिकट बढ़िया बढ़िया छंद रचना श्लेष भाई
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