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Wednesday, March 11, 2020

शंकर छंद - अशोक धीवर "जलक्षत्री"

शंकर छंद - अशोक धीवर "जलक्षत्री"

तीन लोक के स्वामी भोला, तिरलोकी कहाय।
सगरो दुनिया खोज डरिन हे, तोर पार न पाय।।
धरती अगास अउ पताल ला, तहीं  हा सिरजाय।
तीन लोक अउ चउदा भुवन ला, तिरछूल म बसाय।।1।।
गांजा भांग धतूरा तीनों, तोला बड़ सुहाय।
सागर मंथन के सब बिख ला, पी के तँय पचाय।।
एकर सिवाय धन दौलत अउ, काँहीं हा न भाय।
कपड़ा कस बघवा खंड़री ला, तन मा ओरमाय।।2।।
भूत  प्रेत बैताल घलो ला, साथी तँय बनाय।
चंदन भभूत त्रिपुंड तीनों, तोर शोह बढ़ाय।।
तोर समाधि भंग करिस ता, रति पति ला जलाय।
तीसर नयन उघारे तँय हा, भू म प्रलय मचाय।।3।।
बेद शास्तर अउ पुरान हा, तोर गुण ला गाँय।
शेष वासुकी नांगदेव ला, तन मा ओरमाँय।‌।
पारवती अउ सति माता के, तप के सत बढ़ाय।
करिन तपस्या तोर वरण बर, तहीं हा अपनाय।।4।।
चांद दूज के अपन जटा मा, मुकुट असन लगाय।
गंगा तोर जटा ले निकले, बहत हिंद म आय।।
डमरू डम डम बजे हाथ मा, तांडव कर दिखाय।
नंदी बइला तोर सवारी, बड़ वो मेछराय।।5।।
दान सोन के लंका करके, करय मरघट वास।
मुर्दाराख चुपर के तन मा, खुद ल समझे खास।।
अंतर्यामी तँय अविनाशी, महाकाल कहाय।
"जलक्षत्री" करजोर पूजत हे, रोज ध्यान लगाय।।6।।


छंदकार - अशोक धीवर "जलक्षत्री"
ग्राम - तुलसी (तिल्दा नेवरा)
जिला - रायपुर (छत्तीसगढ़)

4 comments:

  1. वाह वाह बहुत खूब, भगवान भोलेनाथ के बड़ सुग्घर महिमा बखान करे हव भैया, बहुत बधाई

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  2. बहुत सुग्घर बधाई हो

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  3. गजब सुग्घर रचना सर

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  4. गजब सुग्घर रचना सर

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