विष्णु पद छंद - राजेश कुमार निषाद
पढ़थे लिखथे जेहर संगी,साहब गा बनथे।
पढ़य नही जी वोहर देखव,माटी ला खनथे।।
पढ़ लिख देखव आज सबो झन,भाग अपन गढ़थे।
करके संगी काम जगत मा,आगू गा बढ़थे।।
कतको करथे काम बूता ला, कतको हर घुमथे।
खुशी खुशी जी आके सब झन,घर मा हे झुमथे।।
पढ़व लिखव जी नोनी बाबू,मान तुँहर बढ़ही।
कोनो काहय नही तुमन ला,अढ़हा अउ अढ़ही।।
पढ़े लिखे ला छोड़े मा जी,घाटा हे सबके।
पढ़ लिख के जी सब बन जाहू, ज्ञानी गा अबके।।
रचनाकार:- राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद (समोदा) जिला रायपुर छत्तीसगढ़
पढ़थे लिखथे जेहर संगी,साहब गा बनथे।
पढ़य नही जी वोहर देखव,माटी ला खनथे।।
पढ़ लिख देखव आज सबो झन,भाग अपन गढ़थे।
करके संगी काम जगत मा,आगू गा बढ़थे।।
कतको करथे काम बूता ला, कतको हर घुमथे।
खुशी खुशी जी आके सब झन,घर मा हे झुमथे।।
पढ़व लिखव जी नोनी बाबू,मान तुँहर बढ़ही।
कोनो काहय नही तुमन ला,अढ़हा अउ अढ़ही।।
पढ़े लिखे ला छोड़े मा जी,घाटा हे सबके।
पढ़ लिख के जी सब बन जाहू, ज्ञानी गा अबके।।
रचनाकार:- राजेश कुमार निषाद ग्राम चपरीद (समोदा) जिला रायपुर छत्तीसगढ़
बहुत सुन्दर भाई जी।सुग्घर रचना।
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ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना निषाद जी
ReplyDeleteबधाई हो
महेन्द्र देवांगन माटी
शिक्षा के महत्व बतावत बहुत बढ़िया विष्णुपद छंद राजेश भाई जी।
ReplyDeleteगजब सुग्घर भाईजी
ReplyDeleteगजब सुग्घर भाईजी
ReplyDeleteबहुत खूब सर जी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया निषाद जी। विष्णु पद छंद।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया राजेश भाई
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