विष्णुपद छन्द--कमलेश कुमार वर्मा
अबड़ प्रदूषण ले प्राणी के, जिनगी दूभर हे।
साफ हवा अउ पानी उप्पर, मनखे निर्भर हे।।
झिल्ली-प्लास्टिक हा धरती बर, बिकट हानिकर हे।
प्रकृति देव के रक्षा ही अब, सबके उत्तर हे।
2
धरे हाथ मा हाथ इहाँ जी,तैं आलस भर के।
मन ला मारे बइठे हस अउ,बइठे मुड़ धरके।।
छोड़ निराशा हीन भावना, साहस मन -भर के।
बहा पसीना भाग जगा तैं, महिनत बड़ कर के।
कमलेश कुमार वर्मा
भिम्भौरी,बेमेतरा
(छ ग )
अबड़ प्रदूषण ले प्राणी के, जिनगी दूभर हे।
साफ हवा अउ पानी उप्पर, मनखे निर्भर हे।।
झिल्ली-प्लास्टिक हा धरती बर, बिकट हानिकर हे।
प्रकृति देव के रक्षा ही अब, सबके उत्तर हे।
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धरे हाथ मा हाथ इहाँ जी,तैं आलस भर के।
मन ला मारे बइठे हस अउ,बइठे मुड़ धरके।।
छोड़ निराशा हीन भावना, साहस मन -भर के।
बहा पसीना भाग जगा तैं, महिनत बड़ कर के।
कमलेश कुमार वर्मा
भिम्भौरी,बेमेतरा
(छ ग )
बहुत सुंदर छंद भाई , बधाई
ReplyDeleteसुग्घर छंद कमलेश भाई
ReplyDeleteVery nice sir
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