कुण्डलिया- विजेन्द्र वर्मा
आसन प्राणायाम ले, भाग जथे सब रोग।
रोज करिन जी योग तो,काया होय निरोग।
काया होय निरोग,सुघर जिनगी तब चलही।
जीवन होही धन्य,पीर नइ कोनों सहही।
मनखे जम्मो आज,खाव अब कम जी राशन।
निस दिन प्राणायाम,करिन हम सब जी आसन।
विजेन्द्र वर्मा
नगरगाँव(धरसीवाँ)
जिला-रायपुर
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