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Monday, September 6, 2021

हरिगीतिका छंद -बोधन राम निषादराज (पोरा के परब)



 

हरिगीतिका छंद -बोधन राम निषादराज

(पोरा के परब)


भादो अमावस मा इहाँ,पोरा परब आथे सखा।

खुरमी अनरसा बोबरा,सब ठेठरी खाथे सखा।।

भगवान  भोलेनाथ के, नंदी  सवारी साथ मा।

करथे सबो पूजा इहाँ, फल फूल  थारी  हाथ मा।।


सुग्घर परब होथे इही,अउ गर्भधारण धान के।

देथे  सधौरी  रात  मा, देवी  बरोबर  मान के।।

दीया चुकलिया खेलथे,लइका सबो घर द्वार मा।

बइला  सजाके  दउड़थे, पोरा इही  त्यौहार मा।।


माटी बने गाड़ा सिली,लेके जहुँरिया खोर जी।

जाँता पिसनही खेल मा,करथे सबो मिल सोर जी।।

मिलके सबो संगी इहाँ,पोरा पटकथे गाँव मा।

खो-खो कबड्डी खेलथे,जुरियाय सब बर छाँव मा।।


छंदकार:-

बोधन राम निषादराज

सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)

4 comments:

  1. बहुत सुग्घर गुरुदेव जी सादर नमन

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  2. बहुत ही सुग्घर रचना

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  3. बहुत सुंदर गुरुजी

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