( जनकवि- स्व.कोदूराम दलित जी के 56 वीं पुण्यतिथि मा काव्य सुमन सादर समर्पित)🙏💐
आल्हा छंद- सुरता पुरखा के
करके सुरता पुरखा मन के, चरन नवावँव मँय हा माथ।
समझ धरोहर मान रखव जी, मिलय कृपा के हर पल साथ।।
इही कड़ी मा जिला दुर्ग के, अर्जुन्दा टिकरी हे गाँव।
जनम लिये साहित्य पुरोधा, कोदूराम दलित हे नाँव।।
पाँच मार्च उन्निस सौ दस के, दिन पावन राहय शनिवार।
माता जाई के गोदी मा, कोदूराम लिये अवतार।।
रामभरोसा पिता कृषक के, जग मा बढ़हाये बर नाँव।
कलम सिपाही जनम लिये जी, बगराये साहित के छाँव।।
बचपन राहय सरल सादगी, धरे गाँव सुख-दुख परिवेश।
खेत बाग बलखावत नदिया, भरिस काव्य मन रंग विशेष।।
होनहार बिरवान सहीं ये, बनके जग मा चिकना पात।
अलख जगाये ज्ञान दीप बन, नीति धरम के बोलय बात।।
छंद विधा के पहला कवि जे, कुण्डलिया रचना रस खास।
रखे बानगी छत्तीसगढ़ी, चल के राह कबीरा दास।।
गाँधीवादी विचार धारा, देश प्रेम प्रति मन मा भाव।
देश समाज सुधारक कवि जे, खादी वस्त्र रखे पहिनाव।।
ढ़ोंग रूढ़िवादी के ऊपर, काव्य डंड के करे प्रहार।
तर्कशील विज्ञानिकवादी, शोधपरक निज नेक विचार।।
गोठ सियानी ऊँखर रचना, जग-जन ला रस्ता दिखलाय।
मातृ बोल छत्तीसगढ़ी के, भावी पीढ़ी लाज बचाय।।
आज पुण्यतिथि गिरधर कवि के, गजानंद जी करे बखान।
जतका लिखहूँ कम पड़ जाही, कोदूराम दलित गुनगान।।
✍🏻इंजी. गजानंद पात्रे 'सत्यबोध'
बिलासपुर (छत्तीसगढ़ी)
No comments:
Post a Comment