आवव जानन अपन आसपास के पेड़ पौधा मन कतका गुणकारी हे।
*जयकारी छंद*-विजेंद्र वर्मा
दाँत दरद मा मिले अराम। दतवन के गा आथे काम।।
सुघर सोनहा एखर फूल। लकड़ी ईंधन आय *बबूल*।।
औषधीय गुण ले भरपूर।फर पाना ला जान कपूर।।
दाद खाज ला दूर भगाय। *नीम* दाँत के दरद मिटाय।।
जीव जगत के प्रान अधार।ऑक्सीजन देथे भरमार।।
देव बिराजे एखर ठाँव। *बर* के सुग्घर शीतल छाँव।।
सबो देव हा करे निवास।पूजन ले पूरी हो आस।।
शारीरिक दुख दूर भगाय। *पीपर* मा जल जेन चढ़ाय।।
पीपर जइसन रंगे रूप।डारा खाँधा दिखे अनूप।।
घनेदार अउ शीतल छाँव। *गस्ती* मा चिरई के ठाँव।।
धरम-करम मा अगुवा मान।हे प्रतीक शुभता के जान।।
फल मा वो राजा कहलाय। पेड़ *आम* के वैभय लाय।।
कब्ज़ रोग ला दूर भगाय।गूदा एखर शुगर मिटाय।।
शिव बाबा हर खुश हो जाय। *बेल* पत्र जे रोज चढ़ाय।।
कतका मिनरल हवय भराय।एखर सेवन उमर बढ़ाय।।
धार्मिक महत्व पौधा आय।विष्णु *आँवला* तरी लुकाय।।
खट्टा-मीठा फर के स्वाद। लकड़ी चेम्मर अउ फौलाद।।
हवय आयरन के ये खान। *इमली* के गुण ला पहचान।।
इँकर पेड़ ला कटही जान।गोल जलेबी फर ला मान।।
फर मा पोषक तत्व भराय। *गंगा इमली* नाँव कहाय।।
रोग-रइ बर फायदेमंद। फाईबर गा भरे बुलंद।।
करथे पाचन तंत्र सुधार। *जाम* भगाथे पेट विकार।।
हवय आयरन गा भरपूर।फर दिखथे करिया अंगूर।।
पाना फर गुणकारी आय। *जामुन* कृमि नाशक कहलाय।।
रोजगार के स्रोत गा आय। मंडी मा फर हा कुड़हाय।।
नशा पान मा हे बदनाम। *महुआ* आथे मद के काम।।
कतका उपयोगी हे छाल।काढ़ा पी ले सालों साल।।
हेल्दी सेहत उही बनाय। *कउँहा* के गुण धरे समाय।।
जंगल के गा आग कहाय।लाली-लाली फूल झुलाय।।
पत्तल दोना आथे काम। *परसा* के हे कतको नाम।।
लकड़ी मा सोना गा जान। फर्नीचर होथे निरमान।।
हरा-भरा हर ऋतु मा देख। पेड़ बने *सागौन* सरेख।।
खिड़की चौखट नाव बनाय।स्लीपर बन के ये बिछ जाय।।
कोनो गिलास तको बनाय। *साल* भिगों के रस पी जाय।।
छाल फूल फर पाना बीज।वात पित्त कफ चर्म मरीज।।
दूर भगाथे केंसर रोग। *सिरसा* आथे बड़ उपयोग।।
अल्सर मा दिखथे परिणाम।सेहत ला तब मिले अराम।।
मूत्र रोग ला दूर भगाय। *शीशम* के जे पत्ती खाय।।
एंटी आक्सीडेंट भराय। खट्टा-मीठा फर गा आय।।
घना पेड़ काँटा छबड़ाय। *बोइर* दिमाग चुस्त बनाय।।
औषधीय गुण हे भरमार। प्रकृति देय हे गा उपहार।।
दाँत दरद अउ चमड़ी रोग। दतवन *करंज* कर उपयोग।।
ठंडा एखर हे तासीर।छाल पीस के लेप शरीर।।
जेन कब्ज ले हे परशान।खाय फूल *सेमर* के जान।।
देख फोसवा लकड़ी आय।पाना फर अउ फूल सुहाय।।
रक्तचाप ला दूर भगाय। *मुनगा* हर तो बूटी आय।।
बहुते हवय फायदेमंद।तन ला रखथे सुघर बुलंद।।
खाँसी खुजली दूर भगाय। *नीलगिरी* के तेल लगाय।।
इमारती लकड़ी गा जान।खेत मेड़ मा बोय किसान।।
लकड़ी मा जानव गा सार।कतका आथे काम *खम्हार*।।
लाठी डंडा साज समान।बल्ली सूपा चरिहा तान।।
पूजा मंडप तको छवाय। *बाँस* भाग्य ला तको बनाय।।
बर बिहाव मा शुभता आय।मंडप घर घर तभे छवाय।।
शुक्र देव के रहिथे वास। *डूमर* पूजन आथे रास।।
पेड़ हवय लंबा गा जान।फर फरथे ऊँच आसमान।।
फर कतका गुणकारी आय।तन ला *खजूर* स्वस्थ बनाय।।
तरिया नरवा डबरी तीर।खड़े हवय पानी मा गीर।।
चोट घाव गोदर हो जाय।पान *बेशरम* पीस लगाय।।
पेड़ जादुई येला जान।गैस कब्ज बर रामेबाण।।
पीला फुलवा पेड़ सजाय। *अमलतास* हा जगत हँसाय।।
बाग-बगीचे मा इठलाय।पान पीस के जेन लगाय।।
गंजा पन ला दूर भगाय। *गुलमोहर* सबके मन भाय।।
पर्यावरणी दूत कहाय।माटी कटाव रोक बचाय।।
रोजगार लोगन मन पाय। *छींद* पान फर बेंच कँमाय।।
लंबा सीधा जड़ मजबूत।इकर पेड़ मनखे के दूत।।
बवासीर खाँसी अतिसार। *हरड़* भगाथे कब्ज बुखार।।
कफ नाशक औषधि गा आय।जेन पेट कृमि मार भगाय।।
पित्त दोष अउ भूख मिटाय।बीज *बहेड़ा* ला जे खाय।।
इको फ्रेडली पेड़ कहाय।एंटी फंगल गुण ला पाय।।
शुद्ध हवा बड़ वोहर पाय।घर मा *अशोक* जेन लगाय।।
सुघर कीमती लकड़ी आय। औषधीय गुण हवय भराय।।
हवन पाठ पूजन करवाय। *चंदन* शीतलता बरसाय।।
लीवर ला ये स्वस्थ बनाय।फूल फली सेवन कर खाय।।
कृष्ण बाँसुरी जिहाँ बजाय। पेड़ हरे गा *कदंब* ताय।।
विजेन्द्र कुमार वर्मा
नगरगाँव (धरसीवाँ)
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