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Tuesday, October 10, 2023

आवव जानन अपन आसपास के पेड़ पौधा मन कतका गुणकारी हे। *जयकारी छंद*-विजेंद्र वर्मा


 

आवव जानन अपन आसपास के पेड़ पौधा मन कतका गुणकारी हे।

*जयकारी छंद*-विजेंद्र वर्मा

दाँत दरद मा मिले अराम। दतवन के गा आथे काम।।

सुघर सोनहा एखर फूल। लकड़ी ईंधन आय *बबूल*।।


औषधीय गुण ले भरपूर।फर पाना ला जान कपूर।।

दाद खाज ला दूर भगाय। *नीम* दाँत के दरद मिटाय।।


जीव जगत के प्रान अधार।ऑक्सीजन देथे भरमार।।

देव बिराजे एखर ठाँव। *बर* के सुग्घर शीतल छाँव।।


सबो देव हा करे निवास।पूजन ले पूरी हो आस।।

शारीरिक दुख दूर भगाय। *पीपर* मा जल जेन चढ़ाय।।


पीपर जइसन रंगे रूप।डारा खाँधा दिखे अनूप।।

घनेदार अउ शीतल छाँव। *गस्ती* मा चिरई के ठाँव।।


धरम-करम मा अगुवा मान।हे प्रतीक शुभता के जान।।

फल मा वो राजा कहलाय। पेड़ *आम* के वैभय लाय।।


कब्ज़ रोग ला दूर भगाय।गूदा एखर शुगर मिटाय।।

शिव बाबा हर खुश हो जाय। *बेल* पत्र जे रोज चढ़ाय।।


कतका मिनरल हवय भराय।एखर सेवन उमर बढ़ाय।।

धार्मिक महत्व पौधा आय।विष्णु *आँवला* तरी लुकाय।।


खट्टा-मीठा फर के स्वाद। लकड़ी चेम्मर अउ फौलाद।।

हवय आयरन के ये खान। *इमली* के गुण ला पहचान।।


इँकर पेड़ ला कटही जान।गोल जलेबी फर ला मान।।

फर मा पोषक तत्व भराय। *गंगा इमली* नाँव कहाय।।


रोग-रइ बर फायदेमंद। फाईबर गा भरे बुलंद।।

करथे पाचन तंत्र सुधार। *जाम* भगाथे पेट विकार।।


हवय आयरन गा भरपूर।फर दिखथे करिया अंगूर।।

पाना फर गुणकारी आय। *जामुन* कृमि नाशक कहलाय।।


रोजगार के स्रोत गा आय। मंडी मा फर हा कुड़हाय।।

नशा पान मा हे बदनाम। *महुआ* आथे मद के काम।।


कतका उपयोगी हे छाल।काढ़ा पी ले सालों साल।।

हेल्दी सेहत उही बनाय। *कउँहा* के गुण धरे समाय।।


जंगल के गा आग कहाय।लाली-लाली फूल झुलाय।।

पत्तल दोना आथे काम।   *परसा* के हे कतको नाम।।


लकड़ी मा सोना गा जान। फर्नीचर होथे निरमान।।

हरा-भरा हर ऋतु मा देख। पेड़ बने *सागौन* सरेख।।


खिड़की चौखट नाव बनाय।स्लीपर बन के ये बिछ जाय।।

कोनो गिलास तको बनाय। *साल* भिगों के रस पी जाय।।


छाल फूल फर पाना बीज।वात पित्त कफ चर्म मरीज।।

दूर भगाथे केंसर रोग। *सिरसा* आथे बड़ उपयोग।।


अल्सर मा दिखथे परिणाम।सेहत ला तब मिले अराम।।

मूत्र रोग ला दूर भगाय। *शीशम* के जे पत्ती खाय।।


एंटी आक्सीडेंट भराय। खट्टा-मीठा फर गा आय।।

घना पेड़ काँटा छबड़ाय। *बोइर*  दिमाग चुस्त बनाय।।


औषधीय गुण हे भरमार। प्रकृति देय हे गा उपहार।।

दाँत दरद अउ चमड़ी  रोग। दतवन *करंज* कर उपयोग।।


ठंडा एखर हे तासीर।छाल पीस के लेप शरीर।।

जेन कब्ज ले हे परशान।खाय फूल *सेमर* के जान।।


देख फोसवा लकड़ी आय।पाना फर अउ फूल सुहाय।।

रक्तचाप ला दूर भगाय। *मुनगा* हर तो बूटी आय।।


बहुते हवय फायदेमंद।तन ला रखथे सुघर बुलंद।।

खाँसी खुजली दूर भगाय। *नीलगिरी* के तेल लगाय।।


इमारती लकड़ी गा जान।खेत मेड़ मा बोय किसान।।

लकड़ी मा जानव गा सार।कतका आथे काम *खम्हार*।।


लाठी डंडा साज समान।बल्ली सूपा चरिहा तान।।

पूजा मंडप तको छवाय।    *बाँस* भाग्य ला तको बनाय।।


बर बिहाव मा शुभता आय।मंडप घर घर तभे छवाय।।

शुक्र देव के रहिथे वास। *डूमर* पूजन आथे रास।।


पेड़ हवय लंबा गा जान।फर फरथे ऊँच आसमान।।

फर कतका गुणकारी आय।तन ला *खजूर* स्वस्थ बनाय।।


तरिया नरवा डबरी तीर।खड़े हवय पानी मा गीर।।

चोट घाव गोदर हो जाय।पान *बेशरम* पीस लगाय।।


पेड़ जादुई येला जान।गैस कब्ज बर रामेबाण।।

पीला फुलवा पेड़ सजाय। *अमलतास* हा जगत हँसाय।।


बाग-बगीचे मा इठलाय।पान पीस के जेन लगाय।।

गंजा पन ला दूर भगाय। *गुलमोहर* सबके मन भाय।।


पर्यावरणी दूत कहाय।माटी कटाव रोक बचाय।।

रोजगार लोगन मन पाय। *छींद* पान फर बेंच कँमाय।।


लंबा सीधा जड़ मजबूत।इकर पेड़ मनखे के दूत।।

बवासीर खाँसी अतिसार। *हरड़* भगाथे कब्ज बुखार।।


कफ नाशक औषधि गा आय।जेन पेट कृमि मार भगाय।।

पित्त दोष अउ भूख मिटाय।बीज *बहेड़ा* ला जे खाय।।


इको फ्रेडली पेड़ कहाय।एंटी फंगल गुण ला पाय।।

शुद्ध हवा बड़ वोहर पाय।घर मा *अशोक* जेन लगाय।।


सुघर कीमती लकड़ी आय। औषधीय गुण हवय भराय।।

हवन पाठ पूजन करवाय। *चंदन*  शीतलता बरसाय।।


लीवर ला ये स्वस्थ बनाय।फूल फली सेवन कर खाय।।

कृष्ण बाँसुरी जिहाँ बजाय। पेड़ हरे गा *कदंब* ताय।।

विजेन्द्र कुमार वर्मा

नगरगाँव (धरसीवाँ)

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