कुकुभ छंद-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
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नइहे बापू तोर पुजारी, ना चरखा चश्मा खादी।
सत्य अंहिसा प्रेम सिरागे, बढ़गे बैरी बरबादी।
गली गली मा लहू बहत हे, लड़त हवै भाई भाई।
तोर मोर के तोता पाले, खनत हवै सबझन खाई।
हरौं तोर चेला जे कहिथे, नशा पान के ते आदी।
नइहे बापू तोर पुजारी, ना चरचा चश्मा खादी।।
कतको के कोठी छलकत हे, कतको के गिल्ला आँटा।
धन बल कुर्सी अउ स्वारथ मा, सुख होगे चौदह बाँटा।
देश प्रेम के भाव भुलागे, बनगे सब अवसरवादी।
नइहे बापू तोर पुजारी, ना चरचा चश्मा खादी।।
दया मया बर दाई तरसे, बरसे बाबू के आँखी।
बेटी बहिनी बाई काँपे, नइ फैला पाये पाँखी।
लउठी वाले भैंस हाँकथे, हवै नाम के आजादी।
नइहे बापू तोर पुजारी, ना चरचा चश्मा खादी।।।
राम राज के दउहा नइहे, बाजे रावण के डंका।
भाव भजन अब करै कोन हा, खुद मा हे खुद ला शंका।
दया मया सत खँगत जात हे, बड़ बढ़गे बिपत फसादी।
नइहे बापू तोर पुजारी, ना चरचा चश्मा खादी।।।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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सार छंद- जीतेन्द्र वर्मा खैरझिटिया
गीत-शास्त्री जी
जय जवान अउ जय किसान के, जग ला दिस हे नारा।
लाल बहादुर शास्त्री जी के, चलो करिन जयकारा।।
पद पइसा लत लोभ भुलाके, जीइस जीवन सादा।
बोलिस कम हे जिनगी भर अउ, काम करिस हे जादा।
रिहिस मीत बर मीठ बताशा, बइरी मन बर आरा।।
जय जवान अउ जय किसान के, जग ला दिस हे नारा।
आजादी के रथ ला हाँकिस, फाँकिस दुख दुर्गुन ला।
नित नियाव के झंडा गाड़िस, बता पाप अउ पुन ला।
रिहिस उठाये सिर मा सब दिन, देशभक्ति के भारा।।
जय जवान अउ जय किसान के, जग ला दिस हे नारा।
ताशकन्द मा कइसे सुतगिस, जेन कभू नइ सोवै।
देख समाधी विजय घाट के, यमुना रहिरहि रोवै।।
लाल बहादुर लाल धरा के, नभ के चाँद सितारा।
जय जवान अउ जय किसान के, जग ला दिस हे नारा।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
गांधी शास्त्री जयंती के अवसर मा दुनो हस्ती ला शत शत नमन
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कुकुभ छंद
तॅंय कलयुग के सच्चा मनखे,जग तोला कहिथे गाॅंधी।
लाने खातिर आज़ादी ला,बने बबा तॅंय हर ऑंधी।।
जब-जब संकट परे जगत मा,देव धरे मनखे चोला।
गदर गुलामी सहे देश हा,धरे फिरंगी गन गोला।।
देव सरी तब लइका जन्में,पुतली बाई के कोरा।
कोन जानथे इही हाथ ले, कटय गुलामी के डोरा।।
भारत माँ के बेड़ी काटे,काटे बर सब दुख पीरा |
करमचंद के कोरा खेले,भारत के बेटा हीरा ॥
लहू-रकत मा माँ के अँचरा,कलप- कलप आँसू ढारे।
तब अवतारी बापू आये,गोरा मन ला खेदारे।।
सत्य अहिंसा आय पुजारी,पहिरे सादा कस खादी।
बाॅंध लगोंटी पटका लउठी,भागत आइस आज़ादी।।
करो मरो के नारा गूॅंजे, बिगुल बजिस आज़ादी के।
मनखे-मनखे मन हर पहिरे, कपड़ा लत्ता खादी के।।
दाई दीदी बहिनी निकले,दल के दल पारा- पारा।
भारत माता अमर रहे के,गाॅंव गली गूॅंजे नारा।।
शशि साहू । बाल्को नगर
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गांधी के ओ बानी (छन्न पकैया छंद)
छन्न पकैया छन्न पकैया , गांधी के ओ बानी ।
सदा सत्य के मारग चलके , जियव अपन जिनगानी।।
छन्न पकैया छन्न पकैया , बुरा कभू झन बोलव ।
जब भी बोलव अपन बात ला , मन मा सुग्घर तोलव।।
छन्न पकैया छन्न पकैया , झन कर अइसे करनी ।
सरग नरक हे ए भुँइया मा , दिखथे बेरा मरनी ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया , नोहे गोठ लबारी ।
भला करे मा मिले भलाई , सुनलव जी सँगवारी।।
छन्न पकैया छन्न पकैया , बात बांधलव मन मा।
जिनगी हे चरदिनिया भाई , का राखे हे तन मा ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया , ये तन हा मिट जाही ।
सदा साँच के संगत करले , राम कृपा बरसाही।।
बृजलाल दावना
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