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Friday, October 6, 2023

जन्म भुइयाँ हम सबके एक

 जन्म भुइयाँ हम सबके एक


जनम भुइयॉं हम सबके एक।

भले हे पोथी पंथ अनेक।


सबोझन भारतवासी आन।

हृदय मा हिन्दी हिन्दुस्तान।


एक बस्ती ए झारा-झार।

बसे हन भलते चिन्हा पार।


नता मा एक कुटुम परिवार।

लड़ाई-झगरा हे बेकार।


निहारत जाति धरम के भेद।

जनम भुइयाँ ला होथे खेद।


खोभ के आगी करथे खाक।

सुनत देखत गय चूंदी पाक।


पढ़न गीता गुरुग्रंथ कुरान।

पढ़त खानी रहिके इंसान।


बने हे कल बनही कल आज।

सुमत समता ले नेक समाज।


अहिंसा परमधरम सुख सार।

महात्मा गाँधी कहिस बिचार।


-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'

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