*छन्न पकैया सार छंद *
*पितरपाख*
छन्न पकैया छन्न पकैया, पितर पाख हा आगे।
कँउआ मन के भइया देखो, अब तो किस्मत जागे।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, जीयत भर ले तरसे।
मरे बाप महतारी बर जी, मया अबड़ हे बरसे।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, जीयत कर लव सेवा।
सबो अकारथ पाछू बर जी, भले खवावव मेवा।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, मन मा बने बिचारो।
सरवन बेटा बन के भइया, पुरखा मन ला तारो।।
*प्यारेलाल साहू*
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