सार छंद - बोधन राम निषादराज
(1) नवा जमाना आवय:-
नवा जमाना देखत हावय, रसता आगू बढ़ गा।
दुनिया के सँग हाथ मिला लव, अपन करम ला गढ़ गा।।
नवा-नवा जी बोर होत हे,खेती सोना होवय।
वाटर पम्प घलो हे चलथे,बारह महिना बोवय।।
आज सड़क मा चिखला नइहे,चिक्कन चाँदन चमकय।
घर कुरिया अब पक्का होगे,लेंटर वाले दमकय।।
पढ़े लिखे के राज आत हे,जम्मो सुघ्घर पढ़लव।
नोनी बाबू संगे सँग मा,अपनों जिनगी गढ़लव।।
तइहा के जी बात छोड़ दव,अब तो उहू नँदावय।
आगू आगू सोंचत राहव,नवा जमाना आवय।।
(2) माटी के हे काया :-
काया माया के बंधन मा,कब ले फँस के रहिबे।
तोर मोर के ए चक्कर मा,दुःख पिरा ला सहिबे।।
चार दिना के ए जिनगानी,हरि नाम तँय ले ले।
अब तो रख बिस्वास इहाँ जी,जिनगी भर तँय खेले।
कुछ तो करले भाव भजन ला,मानुष जोनी पाए।
बिरथा झन बोहा काया ला,बहुँते तँय इतराए।।
का लेके तँय आए जग में,अउ का लेके जाबे।
दया धरम सत् संगत करले,पाछू झन पछताबे।।
ए दुनिया मा काय धरे हे, एहा तो बस माया।
भजले राम नाम तँय संगी, माटी के हे काया।।
छंदकार-
बोधन राम निषादराज
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
बहुते सुग्घर सार छन्द गुरुदेव बहुत-बहुत बधाई
ReplyDeleteसादर आभार सर जी
Deleteबधाई हो भाई...👌👏💐💐
ReplyDeleteसादर आभार दीदी जी
Deleteसुग्घर छंद रचना
ReplyDeleteसादर आभार सर जी
Deleteसुग्घर छंद रचना
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना निषाद जी
ReplyDeleteबधाई हो
महेन्द्र देवांगन माटी
सादर आभार सर जी
Deleteअब्बड़ सुग्घर भावपूर्ण सार छंद भइया गजब सृजन बधाई भइया
ReplyDeleteसादर आभार जी
Deleteबहुत सुग्घर सर
ReplyDeleteसादर आभार गुरुदेव जी
ReplyDeleteसुग्घर सार छंद के हार्दिक बधाई सर
ReplyDeleteसादर आभार गुरुदेव जी
Deleteबहुत सुंदर सार छंद निषाद जी..
ReplyDeleteसादर बधाई आपला
👏👏👏👌👌👍👍
सादर आभार नमन गुरुदेव जी
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteरसता आगू बढ़ गा बर बधाई
Deleteसादर आभार नमन गुरुदेव जी
Deleteबढ़िया
ReplyDeleteसादर आभार नमन दीदी जी
Delete