*मरिया हरिया अउ बर बिहाव*
सार छन्द-सूर्यकांत गुप्ता
मरिया हरिया बर बिहाव मा,कइसन खरचा होथे।
बोझा जेकर ऊपर लदथे, मूड़ पकड़ के रोथे।।१।।
दाइज दानव दँवथे जँउहर, होथे अत्याचारी।
नारिच हर नारी के दुश्मन,बन के बारय नारी।।२।।
जहाँ अमीरी डारिस डेरा, मनखे मति फिर जाथे।
सत् के रद्दा ला दुरिहावत, अतलँग खूब मचाथे।।३।।
सान बघारत करथे शादी,लइकन के वो अइसे।
लोक्खन के वो धनी जगत के,एक्के झन हे जइसे।।४।।
किसम किसम के जिनिस जहाँ वो, खाये के बनवाथे।
आधा ले जादा बच जाथे, ओला वो फिंकवाथे।।५।।
खुशी मनाये बर नइये जी, काँही हमला हरजा।
हे अमीर बर बात सहज गा, पर गरीब बर करजा।।६।।
मरिया घलो इहाँ गरीब के, दुख ला दुगना करथे।
किरिया करम करे के बोझा,ढोवत दुखिया मरथे।।७।।
नइये काबर बंद तेरही, मृत्यु भोज करवाना।
सँगे संग मा दान पुन्न के, चक्कर मा फँसवाना।।८।।
काबर चद्दर ले बाहिर जी, गोड़े अपन लमाथौ।
करौ ओतके खरचा भाई, जतका तुमन कमाथौ।।९।।
करन चोचला बंद समाजिक, मिलके किरिया खाई।
कांत मरँय झन एक्को प्रानी, ध्यान रखन हम भाई।।१०।।
सूर्यकान्त गुप्ता, 'कान्त'
सिंधिया नगर दुर्ग(छ.ग.)
वाह वाह सूर्या भैया जी।सामाजिक विसंगति ऊपर प्रहार करत सुग्घर सार छंद।सादर नमन।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद चोवा भैया
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ReplyDeleteवाह भइया सुग्घर सार छंद
ReplyDeleteरचना पसंद करे बर सादर बधाई भाई
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रचना पसंद करे बर हिरदे ले धन्यवाद भाई
Deleteबहुत बढ़िया विषय सृजन आपके लेखनी ला नमन भैया जी
ReplyDeleteहिरदे ले धन्यवाद दीदी.
Delete🌹🌹🙏🙏🌹🌹
बहुत सुघ्घर सृजन हे भैया जी
ReplyDeleteआप तो आशुकवि हव भाई जी
हिरदे ले सादर धन्यवाद भाई..
Delete🌹🙏
भैया जी
Deleteमें आशा देशमुख हरव
बहिनी ए हर नवा नंबर ए का...क्षमा करिहौ बहिनी ए नंबर सहेजाए नइये 🌹🌹🙏🙏
Deleteअति सुन्दर सर जी । बधाई हो
ReplyDeleteसादर हिरदे ले धन्यवाद निषाद जी
Delete।.🙏🙏🌹
बहुत सुग्घर सार छंद भैया जी बधाई
ReplyDeleteहिरदे ले सादर धन्यवाद भाई..
Delete🌹🌹🙏🙏
सिरतोन बात ला सार छंद मा पिरोय हव भइया ।सुग्घर सिरजन
ReplyDeleteहिरदे ले सादर धन्यवाद साहू जी..🌹🌹🙏🙏
Deleteकरन चोचला बंद समाजिक,मिलके किरिया खाई।
ReplyDeleteअतका सुग्घर रचना बर जी,झोकॅव हमर बधाई।।
वाहहहहहह...
Deleteबढ़िया बधाई दे हव भाई..
सादर हिरदे ले शुक्रिया बघेल जी
🙏🙏🌹🌹
काहेन के सुग्घर सार छंद भैया।रचना के संदेश ला अब धरना ही परही
ReplyDeleteहिरदे ले बहुत बहुत शुक्रिया भाई अहिलेश्वर🙏🙏🌹🌹
Deleteकरे दिखावा का मिले,धरम करम के नाँव।
ReplyDeleteसुख दुख बाँटत ला जियौं,दया मया के छाँव।।
वाह्ह सूर्या भैया!समाजिक सम्स्या ऊपर सुग्घर सार छंद।बधाई
भाई पोखन के अंतस ले शुक्रिया जी
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सामाजिक कुरीति के ऊपर सार करारा प्रहार आदरणीय!
ReplyDeleteसादर हिरदे ले धन्यवाद आदरणीय
Delete🙏🙏🌹🌹
बहुत शानदार रचना भैयाजी
ReplyDeleteबहुत शानदार रचना भैयाजी
ReplyDeleteभाई ल अंतस बहुत बहुत धन्यवाद
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वाह्ह वाह वाह्ह गुप्ता भइया अब्बड़ सुग्घर विषय मा शानदार सन्देश देवत सुग्घर सार छंद भइया बहुत बहुत बधाई गो 🙏🙏
ReplyDeleteअंतह ले बहुत धन्यवाद भाई मोन
Deleteअंतस ले धन्यवाद भाई
Deleteबहुत सुग्घर छंद रचे हव आपमन...बहुत बधाई
ReplyDeleteरचना पसंद आइस आपला ए मोर सौभाग्य ए..हिरदे ले बहुत बहुत धन्यवाद भाई ल
Delete🌹🌹🙏🙏🌹🌹
वाह आद.बड़े भैया बहुत सुग्घर वर्ए के स्थिति ला लिखे हव👏👏👏👌💐💐
ReplyDeleteअंतस ले धन्यवाद बहिनी
Delete🌹🌹🙏🙏🌹🌹
बहुत सुग्घर बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteअंतस ले शुक्रिया जी...🌹🌹🙏🙏
ReplyDeleteवाह खूब सर जी
ReplyDeleteसबले पहली ए खजाना म ए नानकुन सिक्का ल
Deleteआप डारेव ओकर बर आभार आपके..अउ रचना पसंदगी बर बहुत बहुत धन्यवाद भाई जितेंद्र..🌹🌹🙏🙏
बेहतरीन गुरुदेव
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद भाई डी.पी.🌹🌹🙏🙏
Deleteबहुत बढ़िया रचना गुप्ता जी
ReplyDeleteबधाई हो
महेन्द्र देवांगन माटी
भाई माटी जी ल सादर धन्यवाद रचना पसंद आइस आपला...
Deleteबहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर धन्यवाद बहिनी..
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वाह, सुघ्घर भैया,,छा गेव
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