छप्पय छंद-दुर्गा शंकर इजारदार
(1) नेता सुन ले
जात धरम के नाम ,लड़ा के का तँय पाबे ,
समझ जाहीं गा देश ,तेन दिन लौठी खाबे ,
जल्दी कर दे बंद , खेल ला नेता सुनले ,
पछताबे बड़ जान ,हाथ आही ठुन ठुनले ,
कतको चल ले चाल तँय ,गलय नहीं गा दार हा ,
लाख जतन कर दार तँय ,धसक जही गा पार हा ।।
(2)मन अखरत हे
देख देश के हाल ,मोर मन हर भभकत हे ,
गद्दी दें हँव आन ,जान मन हर अखरत हे ,
हाथ पाँव ला जोड़ ,मोह तो दारे तँय हर ,
लल्लो चप्पो बात ,समझ नइ पाएं मँय हर ,
भारी लबरा आस गा, समझे हँव अब चाल ला,
आवन दे दिन बोट के , तोर खींच हँव खाल ला ।।
(3) हमर चिनहारी
दया मया हे घात ,देख हमरो चिनहारी ,
नइ जानन हम बात ,बैर अउ चुगली चारी ,
ओखर बर तो बात ,सार हे छत्तिसगढ़िया ,
कहत हवय संसार , देख गा सबले बढ़िया ,
छाँछर अँगना खोल सब ,गोबर चौंक लिपाय हे ,
बबा कहय नाती सुनय ,गोठ सियानी भाय हे ।।
छंदकार--दुर्गा शंकर इजारदार
सारंगढ़(मौहापाली)
(1) नेता सुन ले
जात धरम के नाम ,लड़ा के का तँय पाबे ,
समझ जाहीं गा देश ,तेन दिन लौठी खाबे ,
जल्दी कर दे बंद , खेल ला नेता सुनले ,
पछताबे बड़ जान ,हाथ आही ठुन ठुनले ,
कतको चल ले चाल तँय ,गलय नहीं गा दार हा ,
लाख जतन कर दार तँय ,धसक जही गा पार हा ।।
(2)मन अखरत हे
देख देश के हाल ,मोर मन हर भभकत हे ,
गद्दी दें हँव आन ,जान मन हर अखरत हे ,
हाथ पाँव ला जोड़ ,मोह तो दारे तँय हर ,
लल्लो चप्पो बात ,समझ नइ पाएं मँय हर ,
भारी लबरा आस गा, समझे हँव अब चाल ला,
आवन दे दिन बोट के , तोर खींच हँव खाल ला ।।
(3) हमर चिनहारी
दया मया हे घात ,देख हमरो चिनहारी ,
नइ जानन हम बात ,बैर अउ चुगली चारी ,
ओखर बर तो बात ,सार हे छत्तिसगढ़िया ,
कहत हवय संसार , देख गा सबले बढ़िया ,
छाँछर अँगना खोल सब ,गोबर चौंक लिपाय हे ,
बबा कहय नाती सुनय ,गोठ सियानी भाय हे ।।
छंदकार--दुर्गा शंकर इजारदार
सारंगढ़(मौहापाली)
वाह वाह सुग्घर छप्पय।हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteसुग्घर सुग्घर छप्पय छंद इजारदार सर।बधाई
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