Followers

Saturday, November 30, 2019

शोभामोहन श्रीवास्तव - सार छंद

शोभामोहन श्रीवास्तव - सार छंद

1/
फेर जनम  बर फूल चढ़ाहूँ  ,फेर  माँगहूँ तोला।।
धन्य  लगत  हे  धराधाम मा , ए  माटी  के   चोला ।।
2/
उड़न गोठ का   करँव  भरोसा , पीयँव  तोरे मानी ।
गमकत  आस  भरोसा  जागत  , बनगे हस  जिनगानी   ।।
3/
दमकय माथा, चमकय बिंदिया , मगन रहय मन भारी ।
कारी मोती फूल सोनहा ,  अछत सुहाग चिन्हारी ।।
 4/
टिकली   चूरी  लाल    महाउर   , जिनिस  भले  मनिहारी   ।।
इही सवाँगा सजवन पहिरे  ,   भाग जगय   बड़ भारी।।
5/
आँसू   छलके  पाँव  पखारन  , आखर
 गिल्ला  होगे ।
संग साथ  मा  लागत  अइसन, सब  सुख  मिलगे भोगे ।।
6/
तोर  डेरउठी  चौंखट चूमे   , कोनो   सुख  नइ  चूके ।
जिनगी  आज   जिये  कस  लागत  , तोर  चरन ला  छूके ।।
7/
सार बात ला अंतस रखके,  थोरिक बात बताथँव ।
जब ले अंतस  लगन लगे  हे  , सरग असन सुख पाथँव ।।
8/
सोन  सवाँगा  तन  के करथे, मन ला मया सजाये।
तेकर सेती तोर गुन जस ल , साँस-साँस हर गाये ।। 

शोभामोहन श्रीवास्तव
अमलेश्वर रायपुर छ.ग.

4 comments: