शोभामोहन श्रीवास्तव - सार छंद
1/
फेर जनम बर फूल चढ़ाहूँ ,फेर माँगहूँ तोला।।
धन्य लगत हे धराधाम मा , ए माटी के चोला ।।
2/
उड़न गोठ का करँव भरोसा , पीयँव तोरे मानी ।
गमकत आस भरोसा जागत , बनगे हस जिनगानी ।।
3/
दमकय माथा, चमकय बिंदिया , मगन रहय मन भारी ।
कारी मोती फूल सोनहा , अछत सुहाग चिन्हारी ।।
4/
टिकली चूरी लाल महाउर , जिनिस भले मनिहारी ।।
इही सवाँगा सजवन पहिरे , भाग जगय बड़ भारी।।
5/
आँसू छलके पाँव पखारन , आखर
गिल्ला होगे ।
संग साथ मा लागत अइसन, सब सुख मिलगे भोगे ।।
6/
तोर डेरउठी चौंखट चूमे , कोनो सुख नइ चूके ।
जिनगी आज जिये कस लागत , तोर चरन ला छूके ।।
7/
सार बात ला अंतस रखके, थोरिक बात बताथँव ।
जब ले अंतस लगन लगे हे , सरग असन सुख पाथँव ।।
8/
सोन सवाँगा तन के करथे, मन ला मया सजाये।
तेकर सेती तोर गुन जस ल , साँस-साँस हर गाये ।।
शोभामोहन श्रीवास्तव
अमलेश्वर रायपुर छ.ग.
1/
फेर जनम बर फूल चढ़ाहूँ ,फेर माँगहूँ तोला।।
धन्य लगत हे धराधाम मा , ए माटी के चोला ।।
2/
उड़न गोठ का करँव भरोसा , पीयँव तोरे मानी ।
गमकत आस भरोसा जागत , बनगे हस जिनगानी ।।
3/
दमकय माथा, चमकय बिंदिया , मगन रहय मन भारी ।
कारी मोती फूल सोनहा , अछत सुहाग चिन्हारी ।।
4/
टिकली चूरी लाल महाउर , जिनिस भले मनिहारी ।।
इही सवाँगा सजवन पहिरे , भाग जगय बड़ भारी।।
5/
आँसू छलके पाँव पखारन , आखर
गिल्ला होगे ।
संग साथ मा लागत अइसन, सब सुख मिलगे भोगे ।।
6/
तोर डेरउठी चौंखट चूमे , कोनो सुख नइ चूके ।
जिनगी आज जिये कस लागत , तोर चरन ला छूके ।।
7/
सार बात ला अंतस रखके, थोरिक बात बताथँव ।
जब ले अंतस लगन लगे हे , सरग असन सुख पाथँव ।।
8/
सोन सवाँगा तन के करथे, मन ला मया सजाये।
तेकर सेती तोर गुन जस ल , साँस-साँस हर गाये ।।
शोभामोहन श्रीवास्तव
अमलेश्वर रायपुर छ.ग.
गजब सुग्घर दीदी
ReplyDeleteगजब सुग्घर दीदी
ReplyDeleteसुग्घर रचना बधाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर सिरजन। बधाई दीदी
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