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Thursday, November 21, 2019

सार छंद मनीराम साहू मितान

सार छंद मनीराम साहू मितान

सुनव सुनव जी सबो किसनहा, बइठव झन बन भैरा।
धनहा डोली खेतखार मा, बारव झन जी पैरा।

धुँगिया होथे फरी हवा मा, परदूषन हा बढ़थे।
एकर सेती भुँई ताव के, पारा हा बड़ चढ़थे।

संग साँस के तन मा जाथे, घात नँगत के करथे।
एती बर सब जीव जन्तु मन, फोकट फोकट मरथे।

जब सकेल के एला भइया, रखहू लेग बियारा।
भँइसा बइला गरू गाय के, बनही सुग्घर  चारा।

किंजरत रइथें एमन भइया, एती ओती देखव।
मर जाथें जी बिन चारा के, इन ला चिटिक सरेखव।

बाँधव घर मा सब झन पोंसव, चारा देव बरोबर।
सब ला मिलही दूध दही घी, खातू बर जी गोबर।

काम धरम के हावय एहा, करतब हे सब झन के।
सफल बनालव जिनगी ला जी, साँस मिले हे गन के।
                   
                      मनीराम साहू 'मितान'
                      कचलोन (सिमगा)
                      जिला- बलौदाबाजार
                      भाटापारा
                      छत्तीसगढ़

14 comments:

  1. सुग्घर संदेश परक रचना मितान सर

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  2. बहुत बढ़िया रचना
    बधाई हो गुरुजी

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  3. सिरतों हद होवत हे देखव हरियाणा मा भाई।
    रोज रोज दिनरात चलत हे पैरा के जलवाई।।
    परदूसन खरदूसन बनके लीलत हे लोगन ला
    सस्ता हो गे हवय जिंदगी काला हम चिचियाई।।
    बहुत सुंदर सार छंद म सार बात भाई...
    👌👌👍👍👏👏👏🌹🙏

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    1. वाह भइया सुग्घर सार छंद आप के।

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  4. सुग्घर सार छंद मा सार बात गुरुदेव

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  5. वाह्ह वाह वाह्ह मितान भइया अब्बड़ सुग्घर संदेश देवत सार छंद भइया बधाई 🙏🙏

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  6. जितेन्द्र भाई अउ आप सब ला बहुत-बहुत धन्यवाद आभार

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  7. बहुत सुग्घर सिरजन सार छंद मा,समसामयिक विषय

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  8. बहुतेच सुग्घर रचना हे मितान जी।हार्दिक बधाई।

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  9. वाह वाह बहुतेच सुघ्घर सृजन।

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  10. बहुतेच बढ़िया रचना हे मितान जी, बधाई

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  11. बड़ सुग्घर सृजन,बधाई

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  12. बहुत सुग्घर सर

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  13. बहुत सुग्घर सर

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