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Monday, November 4, 2019

छप्पय छन्द-राम कुमार चन्द्रवंशी

छप्पय छन्द-राम कुमार चन्द्रवंशी

1सुम्मत रखव बनाय
     
सुम्मत रखव बनाय,सदा जी काम सिरजथे।
बिम्मत के परिणाम,सधे सब काम बिगड़थे।
आये विपत पहाड़,सुमत मा तिल हो जाथे।
बिम्मत मा परिवार,सदा आँसू बोहाथे।
सुम्मत जे घर मा रहे,लक्ष्मी पाँव लमाय जी।
बिम्मत मा बँगला घलो,झट कुटिया बन जाय जी।।

गाँठ सुमत के बाँध,सदा जीवन मा राखव।
छोड़व इरखा द्वेष,सदा बिम्मत ले बाँचव।
आये विपत हजार,कभू झन सुम्मत छोड़व।
बिगड़े के जी दोष,काकरो मुड़ झन फोड़व।
सुम्मत मा बनथे सदा,कतको बिगड़े काम जी।
जस बढ़थे परिवार के,होथे जग मा नाम जी।।

2चलव राखबो साफ
       
चलव राखबो साफ,अपन हम गाँव सहर ला।
करबो जी हम दूर,रोग-राई के डर ला।
लाबो नवा बिहान,जागरुकता हम लाके।
करबो जी परकास,ज्ञान के जोत जलाके।
सउचालय के फायदा,कहिबो हम चउपाल मा।
अँधियारी ला जीतबो,जुरमिल के हर हाल मा।।

कचरा ले नुकसान,चलव सब ला समझाबो।
जुरमिल के अभियान,चलव जी सफल बनाबो।
छोड़ सिरिफ उपदेश,काम करके देखाबो।
लिखबो जी इतिहास,नवा जुग जी हम लाबो।
बात करे ले नइ बने,जुड़व चलव जी जान से।
चढ़बो तभे विकास के,सीढ़ी मा हम सान से।।

रचनाकार- राम कुमार चन्द्रवंशी
 ग्राम+पोष्ट-बेलरगोंदी
वि. खं.-छुरिया
जिला-राजनांदगाँव
छत्तीसगढ़

2 comments:

  1. हार्दिक बधाई।सुग्घर छप्पय छंद

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