आल्हा छन्द :- गुमान प्रसाद साहू
।। कतका करँव बखान ।।
छत्तिसगढ़ीन दाई तोरे, कतका मै हर करँव बखान।
गा नइ पावँव महिमा तोरे, दाई लइका हवँ नादान।।1
बोहावत हे अरपा पैरी, महानदी हर हावै साथ।
पाँव पखारे सोंढुर हसदो, लीलाधर अउ हे शिवनाथ ।।2
हरियर हरियर जंगल झाड़ी, नदियाँ नरवा हवय अपार।
बड़े बड़े पर्वत रुखराई, रतन भरे हावय भरमार ।।3
उठके सब झन बड़े बिहनियाँ, लागै दाई पइयाँ तोर।
पालन हारी हस दुनिया के, बँधे तोर सब अँचरा छोर।।4
माटी हावय चंदन तोरे, दया मया के हावस खान।
राखी अस भाई बहिनी के, दाई ममता के पहिचान ।।5
सोन चिरइया कहिथे तोला, धान कटोरा तहीं कहाय।
कोरा हीरा खान भरे हे, महिमा तोरे जग हा गाय।।6
जनम धरिन हे ॠषिमुनि ग्यानी, कोरा तोरे बीर महान।
बंजर मा सोना उपजइया,जन्मे माटी पुत्र किसान।।7।
छन्दकार:- गुमान प्रसाद साहू
ग्राम:- समोदा (महानदी),
जिला:- रायपुर छत्तीसगढ़
बढ़िया गुमान जी
ReplyDeleteराइटिंग मन मा मिस्टेक होगे हे गुरूजी
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