Followers

Tuesday, November 5, 2019

छप्पय छंद-श्रीमती आशा आजाद



छप्पय छंद-श्रीमती आशा आजाद

(1)प्राथमिक ज्ञान*
पढ़ँलव पहिली पाठ,पाठशाला मा जाके।
बनही जी आधार,पढ़ँव सब सुग्घर गा के।।
खेलव कूदँव रोज,सँग मा भोजन खावौ।
मध्यांतर मा खेल,मजा कर सब घर जावौ।।
पहल प्राथमिक ज्ञान हा,देवँय सुग्घर सार जी।
जिनगी के सुरुवात हे,इही हवे आधार जी।।

(2)सफाई
भारत सुग्घर देश,करौ जी रोज सफाई।
चमचम रखे म सान,आज सबला समझाई।
कूड़ा सबो डलाय,जिहाँ हे कचरा दानी।
देवय जे सहयोग,उही कहरावय ज्ञानी।
परदूषण झन होय जी,इही गोठ मा सार हे।
बड़े बिमारी ले बचौ,सेहत के आधार हे।।

(3)कम्प्यूटर के ज्ञान
कम्प्यूटर के ज्ञान,आज अपनावौ भाई।
जम्मो होथे काज,देश के होत भलाई।।
होवै बुद्धि विकास,देश दुनियाँ के शिक्षा।
आनलाइन भराय,होत जे आज परीक्षा।।
जन-जन के आधार हा,इही म आज रखाय जी।
सबो आकड़ा काम के,छिन मा सब मिल जाय जी।।

(4)पलायन
झन जावव जी छोड़,हमर भारत हे भुइयाँ।
धन के छोड़व लोभ,इहाँ के जनम लेवइया।
सुग्घर आज कमाव,इहाँ सब काही हावै।
ए भुइयाँ ला छोड़,आन देश म झन जावै।।
जनम लिये ये देश मा,कर्म अपन तँय जान ले।
सुग्घर देश के नाव कर,देश धर्म पहिचान ले।।

(5)लोभ मोह
धन के लालच छोड़,धीर ला तँय हा धरले।
मिहनत मा दे ध्यान,नेक तँय रद्दा चुनले।।
होथे धीर म खीर,गोठ ला तँय पतियाले।
धर्म कर्म ला राख,दीन मन ला अपनाले।।
लोभ मोह सब त्याग दे,करथे सबला दूर जी।
मिहनत आही काम सब,जिनगी जी भरपूर जी।।

(6)साफ पानी
पानी पीयव साफ,बिमारी दूर भगाही।
गंदा होही जान,अबड़ ये रोग लगाही।।
डायरिया बड़ होय,जीव ला अपन बचावौ।
कब्ज बढ़े नित मान,जान झन रोग लगावौ।।
स्वस्थ देह बर सीख दव,करय सुरक्षा जान के।
जिनगी सुग्घर बन जही,पानी पी लयँ छान के।।

(7)रोकौ मारपीट
खून खराबा देख,आज कतका हे बढ़गे।
जन-जन बीच म देख,द्वेष मा कतका मरगे।
भाई-भाई के बीच,नही हे भाई चारा।
पइसा के बड़ लोभ,फेर बनथे हत्यारा।
क्रोध भाव हा मान लव,नाता सबला तोड़थे।
प्रेम भाव रद्दा बड़े,इही सबो ला जोड़थे।।

(8) योग करौ
योग करौ जी रोज,बिमारी दूर भगाही।
रोज उठँय सब भोर,पोठ तन आप बनाही।
ओम विलोम म ध्यान,शुद्ध फेफरा ल करही।
रहहूँ स्वस्थ निरोग,योग सब करना परही।।
सेहत हे अनमोल जी,तन ला राखव पोठ जी।
वर्तमान के दउँड़ मा,स्वस्थ रहौ ये गोठ जी।।

(9)वायु प्रदूषण
आज प्रदूषण देख,अबड़ जी रोग लगाथे।
धुँआ के भरमार,इही अंतस घुस जाथे।
करे फेफरा जाम,दमा के पीरा सहिथें।
कैंसर रोग लगाय,चिकित्सक जम्मो कहिथें।
गाड़ी मोटर कोयला,प्लांट प्रदूषण छोड़थे।
धुँआ अबड़ बगरात हे,तन भीतर ले तोड़थे।।

(10)शिक्षा अनमोल
शिक्षा के गुण जान,इही ले हो उजियारा।
एहा चारो धाम,मिटाथे सब अँधियारा।।
कतको विपदा होय,पार लग जाथे नैया।
पढ़े लिखे मा सान,बनालौ अपने छैया।।
शिक्षा आवय काम बड़,ज्ञान हवय अनमोल जी।
शिक्षक बनके ज्ञान दे,शिक्षा के रस घोल जी।।

छंदकार-श्रीमती आशा आजाद
पता-मानिकपुर कोरबा छत्तीसगढ़

10 comments:

  1. सुग्घर छप्पय छंद के हार्दिक बधाई दीदी

    ReplyDelete
    Replies
    1. हिरदे ले बधाई भाई🙏🙏

      Delete
  2. बहुत बहुत बधाई हो बहन

    ReplyDelete
  3. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  4. बहुत सुग्घर सारगर्भित रचना बहिनी

    ReplyDelete
  5. वाह वाह सुग्घर छप्पय छंद सृजन। हार्दिक बधाई।

    ReplyDelete
  6. आभार गुरुदेव🙏

    ReplyDelete
  7. हार्दिक बधाई।बढ़िया छंद सृजन

    ReplyDelete